मुद्दतो बाद यूं तब्दील हुआ है मौसम ...
आंखो में फिर से आंसुओं की लहर है ...
ना जाने आज कौन सी कश्ती डूबेगी ..
ना ही मुझे पता ,ना ही किसी और को खबर है ...!!!
एहसास - ए - मोहब्बत ❣️❣️
©_____ehsaas_e__mohabbat_
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मेरी दोस्त
कभी कभी उसकी बातें कुछ बचकानी लगती है...
कोई सच्ची सी कहानी , कुछ नई , कुछ पुरानी लगती है ...
मासूम सी वो लड़की , छोटी छोटी बातों में खुशियां ढूंढती है ..
और छोटी छोटी बातों में गुस्सा भी हो जाती है ..!!
दोस्त भी है, हमसफर भी है ..
कभी पापा की तरह डांटती भी है ...
कभी मां की तरह समझाती भी है ...!!
कुछ मेरे ,कुछ अपने किस्से , दादी मां की तरह कहानियों में सुनाती है ...
हर रिश्ते का फर्ज वो खुद ही अदा कर देती है ...!!
और कहती है, कि वो तो, कुछ भी नही करती है ..!!
उसका ये भोलापन कभी कभी डरा भी देता है ..
रूठ जाए तो उसको मनाना , थोड़ा मुश्किल सा होता है ..!!
मगर बस थोड़ी सी नाराजगी फिर उसकी मुस्कुराहट में बदल जाती है ...
जैसे ही उसको मेरी थोड़ी सी याद आती है ..!!
हा थोड़ी सी झल्ली है , ज्यादा कुछ नही समझती है ..!!
मुझसे हर बात पर छोटे छोटे सवाल भी करती है ...
और कहती है कि मेरा वक्त सारा वही बर्बाद भी करती है ..!!
कैसे समझाए उसे कि ऐसा तो कुछ नही है ...!!
ये रिश्ता ऐसा भी नहीं, जिसमे वक्त की कोई कमी है..!!
उसकी नज़रों से बस थोड़ा सा बचना पड़ता है ...
झूठ जब भी बोलो उससे , तो थोड़ा सा संभलना पड़ता है ..!!
ना जाने वो दिल की बातें, बिन बोले कैसे समझ जाती है ...
मुझसे पहले मेरी बातें शायद उससे मिल कर आती हैं ...!!
मेरे ख्यालों से ना जाने उसने कैसे खुद को जोड़ा है ...
ऐसा लगता है जैसे .. हर ख्याल उसका कोई मोहरा है ..!!
कभी रूठती है वो , तो कभी उसे मुझे मनाना पड़ता है ...!!
कोई सपने , अपनेपन सा, एक ख्वाब हकीकत के जैसा ,
ये रिश्ता हम दोनो का....यूं ही निभता रहता है ...!!
कभी खुशी, तो कभी आंसुओं की तरह ..
ये रिश्ता हम दोनो का....यूं ही चलता रहता है ...!!
- एहसास - ए - मोहब्बत ❣️❣️
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
छोड़ आया
पता नहीं , कि मेरे बाद तुम पर क्या गुजरी ..
पता नहीं .. कि मेरे बाद तुम पर क्या गुजरी ..
मैं तुझसे रूठ कर तुझे रोता हुआ छोड़ आया था ...!!
मैंने रौशन तो किया था एक दिया ..मगर ...
मैं उस दीपक तले अंधेरा छोड़ आया था ...!!
मैं उस दीपक तले अंधेरा छोड़ आया था ...!!
मेरी आंखों में भी एक समंदर छुपाए बैठा था ..
मगर मजबूरी थी.. मैं रो ही कहां पाया था
मैं तुझसे रूठ कर ..तुझे रोता हुआ छोड़ आया था ...!!
मैंने सोचा कि तुझे भुला कर एक नया ख़्वाब सजाऊंगा ...
मगर मैं अपनी नींदें तो तुझे देकर आया था ..!!
पता नहीं .. कि मेरे बाद तुम पर क्या गुजरी ..
मैं तुझसे रूठ कर तुझे रोता हुआ छोड़ आया था ...!!
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
तमन्ना
तेरे हर वक्त खुश रहने की तमन्ना रहती है इस दिल में ...
तेरे मायूस होने का डर बहुत सताता है ...
क्या करू मैं इस दिल का .. ये तो सिर्फ तेरा, ..
बस तेरा होना चाहता है ।
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
दायरे
दायरे ...या बंदिशें ...
कभी घर की दहलीज़ों पर ...
कभी रिश्तों की नीयतों पर ..
कभी खुद के अल्फाजों पर...
कभी ख्वाबों ख्यालों पर ...
ये दायरे हर किसी को बांधे रहते हैं ...!!
कभी खुशियों के आंसुओ पर ...
कभी गम में भीगी आंखों पर..
कभी आसमां से ऊंची उड़ानों पर ...
कभी सफलता के पैमानों पर ...
ये बंदिशें हर किसी को समेट कर रखती है ...!!
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
टूटे रिश्ते
माला से टूट कर बिखर गए थे जो मोती ...
उन्हें फिर से पिरोने का वक्त आ गया है ...!!
रिश्ता जो टूटा था कुछ वक्त पहले ...
उसके फिर से जुड़ने का वक्त आ गया है....!!
अब तो बारिश की बूंदें भी चुभती नही है ...
इन हवाओं को तो जैसे उसकी खुशबू पता है ..!!
लौट आई है, पूनम की रात जैसे ....
आज तो आसमां में ये चांद भी पूरा है ..!!
सुबह की किरणें मुझे फिर से जगाने आईं है ...
लगता है उसका कोई पैग़ाम आया है...!!
दरवाजे पर कौन है??, ये किसकी दस्तक हुई है ??
ये इतनी सुबह, किसने दरवाज़ा खटखटाया है...??
हवा का झोंका है, या कोई वहम मेरा ...
इक हसीं ख्वाब सा , वो सामने नज़र आया है ...!!
ना उसके आने की खबर थी, ना उसने कुछ बताया है ..
शायद मेरे सजदे के लिए , आज वो खुदा....
इस आशियां में, फिर से वापिस आया है ...!!
इस आशियां में, फिर से वापिस आया है ...!!
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
ज़िंदगी
मैं ज़िंदगी को समझने की कोशिश कर रहा हूं...
समझ आया कि मैं पानी पर लिखने की कोशिश कर रहा हूं..!!
समन्दर की लहरों की तरह...
आसमां में बनते बिगड़ते बादलों की तरह ..
एक तूफां सी है ये जिंदगी ...
और मैं हूं कि इसे पेड़ों की शीतल छाया समझ बैठा हूं !!
कि पल पल एक डर सा रहता हैं ...
हर अगले पल क्या कुछ नया होगा ...?
मन यही सोच में डूबा रहता है..!!
खुशियों की सौगात मिलेगी ..
या गमों में फिर से उलझ जाएंगे ..
ये आँखें खुशी से नम होंगी ...
या हम फिर से आंसू बहाएंगे ...!!
ना जाने कौन सी नई चिंता सताएगी ...
ना जाने अमावस की काली घटा ...
कब पूर्णिमा बन जायेगी ...!!
ना जाने कब एक नया सवेरा होगा ...
ना जाने कब अंधियारी रात आएगी ..!!
©_____ehsaas_e__mohabbat_ -
अधूरे रिश्ते
जो रिश्ते बेवजह सबसे ज्यादा रुलाते है ...
वो रिश्ते ही क्यों आधे अधूरे होते है ...!!
और जरूरी तो नहीं , हर ख्वाब मुकम्मल ही हो ...
कुछ अधूरे ख्वाब भी तो बेहद ख़ूबसूरत होते है ...!!
कमाल तो इस बात का है,
कि ज़िंदगी को मेरी तन्हाई पसंद नही...मगर ...
इस ज़िंदगी में कोई मेरा साथ निभाए ...
मेरी ही ज़िंदगी को, ये भी तो पसंद नही है ..!!
कि तेरे ही तो काबिल बनने की कोशिश कर रहे थे हम...
वक्त ज्यादा लग गया और तुझसे बिछड़ गए है..!!
थामना था हाथ खुशियों का जिस दौर में हमें...
हम हैं , कि गमों की बारिश में भीग रहे है ..!!
©srivastavadeep -
दुबारा से प्यार
सुनो ..
तुमसे फिर मिलूंगा किसी राह, किसी मोड़ पर ...
नज़रंदाज़ तो नही करोगे ...!!
हिम्मत जुटा अगर फिर से तुमसे बात कर लूंगा ...
तो फिर से प्यार तो नही कर लोगे.. !!
वैसे अब तुमसे बस तुम्हारा हाल पूछने की ख्वाहिश ही बची है ... मगर ..
मगर तुम ये बताओ...
तुम मेरी मोहब्बत की नुमाइश तो नही करोगे ...!!
और हां शिकायतें जो भी हो मुझसे ...
कोरे कागज़ पर लिख कर संभाल कर रखती रहना..
जब मिलूं कभी ...मुझे सारे लतीफे सुना देना ...!!
और हां मेरी मुस्कान देख तुम नाराज़ हो जाओगी जाॅंना ...
मगर ...
मेरे चेहरे पर लगे झूठे लिबास पर एतबार मत करना...
एक वादा निभा सको तो निभाना जानशीं ...
मुझसे मिलना, बात करना ...
सारे हालात बयां करना मगर ...
बस फिर दुबारा से प्यार मत करना ...
बस फिर दुबारा से प्यार मत करना..!!!
©srivastavadeep -
एक आफ़त सा इश्क़ है उसका ..
और एक आफ़त सी मेरी मोहब्ब्त है ...!!
और ये जो आसमां दरिया से मिलने की जुर्रत कर रहा है ...
इसे कह दो, हम दोनो की मुलाकात में अभी बहुत वक्त है !!
तुम पूरब से उगता हुआ सूरज , तो मै पश्चिम में ढलती हुई शाम हूं .....
तुम हो चांद की चांदनी जैसे, तो मै अमावस की काली अंधेरी रात हूं ...!!
तुम हो चांद की चांदनी जैसे, तो मै अमावस की काली अंधेरी रात हूं ...!!
तुम बारिश के बादलों की तरह शीतल , तो मै लावे सी धधकती आग हूं ...
तुम हो समंदर में उठती गिरती लहरों की तरह , मै दरिया की गहराई में ठहरा आब हूं ...!!
तुम हो समंदर में उठती गिरती लहरों की तरह , मै दरिया की गहराई में ठहरा आब हूं ...!!
©srivastavadeep
