'Cause baby you're my morning tea
Even after you leave,
your fragrance lingers deep in my soul!!!
©akanksha_priya
akanksha_priya
Some infinities are bigger than other infinities ❤️
-
-
काली गहरी रातों में हीं तो
चांद की तारीफ में नज़्में लिखी जाती हैं ।
©akanksha_priya -
I may look normal but deep inside I just want someone to love me irrespective of the complexion or the body weight that I have!!
©akanksha_priya -
❤️
उस दिन पहली बार देखा था तुम्हें
तुम अपने दोस्तों के साथ
हमारे कॉलेज फेस्ट में आए थे
लाल रंग की शर्ट में
शायद उस दिन
लाल मेरा पसंदीदा रंग बन गया था
जब मेरी गाने की बारी आई
मैं सहम गई
तुम्हें देखते ही सारी लाइने जो भूल गई थी
पर किसी तरह खुद को समझाया, शांत किया
और शुरू हो गई।
वो हज़ारों लोग मुझे कभी दिखे ही नहीं
ऐसा लगा जैसे कोई था ही नहीं वहां
सिर्फ तुम थे और मैं थी
अगले दिन तुम मुझे गार्डन में मिले
बेंच पर बैठे
ना जाने आसमान में क्या देखे जा रहे थे
फिर तुमने मुझे देखा
वैसे तो कई बार लोगों ने मेरे गानों की तारीफ की थी
पर ना जाने क्यों जब तुमने तारीफ की
एक सिहरन सी दौड़ पड़ी थी पूरे शरीर में
इस बात की अलग ही खुशी थी
कि अगले दस दिन तुम ऐसे हीं मिलते रहोगे
और हुआ भी कुछ ऐसा ही
लगभग रोज़ दिखते थे तुम
और कभी कभी तो मुझे देखकर मुस्कुरा भी देते थे
सच कहूं तो
सारे दुनिया की खूबसूरती उसी मुस्कान में समाई हुई थी
इन सारी बातों के बीच
मुझे पता ही नहीं चला कि कब आखिरी दिन आ गया
बहुत सोचा और अंत में ये तय किया
कि आज तुम्हें सब कुछ बयां कर दूंगी
थोड़ा ढूंढने पर तुम मिल भी गए
शायद उसी पल मैं सब कुछ कह देती तुम्हें
पर अचानक ही तुम्हारा फोन बज उठा
तुमने कहा, थोड़ी देर में आता हूं
और चले गए।
तुम वापस नहीं आए
मैंने काफ़ी देर इंतज़ार किया
और शायद आज भी कर रहीं हूं
पता नहीं तुम कब आओगे
पर तुमसे कुछ कहना है मुझे
ज्यादा कुछ नहीं, बस यही
कि लाल आज भी मेरा पसंदीदा रंग है।
©akanksha_priya. -
Your eyes...
Whenever I see them..
I never get lost
Rather,
I find...
Tranquility
Healing
Passion
You
Me
And the entire universe
❤️
©akanksha_priya -
आज सालों बाद फोन की घंटी बजी
और सालों बाद मैंने सुनी वही पुरानी आवाज़
तुम हैरान थे
इतने सालों के बाद भी तुम मुझे याद थे
भूल ही कहां पाई थी कभी
चाहे वो हमारी दोस्ती हो
या छोटी मोटी नोक झोंक
चाहे वो तुम्हारा मुझे बेवजह सताना हो
या रूठ जाने पर मुझे मनाना
सब याद है मुझे
क्लास में सबसे पीछे बैठकर साथ खेलना हो
या फिर चुप चाप चॉकलेट खाना
और हां, मेरा वो टिफिन भी
जो तुम हमेशा चट कर जाते थे
सब याद है मुझे
फुटबॉल मैच में तुम्हारा फर्स्ट आना हो
या क्रिकेट मैच में सेकंड
और हां, वो सिंगिंग कॉम्पटीशन भी
जिसमे तुम हार गए थे
सब याद है मुझे
तुम्हारी वो मनपसंद लाल टीशर्ट हो
या मेरी मनपसंद नीली टाई
और हां, वो सफ़ेद शर्ट भी
जिसपे मैंने इंक गिरा दी थी
सब याद है मुझे
गर्मी में आईसक्रीम खाने जाना हो
या ठंड के दिनों में कॉफी पीने
और हां, वो बारिश भी
जिसमे भीग कर हम बीमार हो गए थे
सब याद है मुझे
भूल ही कहां पाई थी कभी
चाहे वो हमारी दोस्ती हो
या छोटी मोटी नोक झोंक
चाहे वो तुम्हारा मुझे बेवजह सताना हो
या रूठ जाने पर मुझे मनाना
सब याद है मुझे
और शायद हमेशा याद ही रहेगा ।
©akanksha_priya -
आज पार्क में दो बच्चियों को देखा
उस पीली वाली बेंच पर बैठे
मुझे हमारी याद आ गई
वो हमारी मनपसंद जगह थी ना
शाम होते ही साथ खेलने निकल पड़ते थे
जब थक जाते, तो उस बेंच पर बैठ जाते थे
छोटी से छोटी बात एक दूसरे को कहते थे
हर किसी का मज़ाक बनाते थे
एक दूसरे के बिना जैसे अधूरे थे हम
याद है, लोगों को लगता था कि हम बहनें हैं
फिर क्या हो गया हमें?
क्यों इतने दूर हो गए हम?
हमने वादा किया था कि कुछ भी हो जाए
हमारे बीच सब वैसा ही रहेगा
फिर क्यों शहर बदलने के बाद
हमने दोस्त भी बदल लिए?
क्यों अब कोई भी बात एक दूसरे को नहीं बताते?
क्यों एक दूसरे के बिना एक अधूरी सी ज़िन्दगी जी रहे हैं हम?
क्यों ये दोस्त बहनों से अजनबी बन गईं?
ये मेरे कुछ सवाल हैं
जिनके जवाब ढूंढते हुए थक गई हूं मैं
अगर तुम्हारे पास इनका जवाब है
तो मुझे बताने ज़रूर आना
मैं इंतज़ार कर रही हूं
पार्क की उसी पीली वाली बेंच पर
©akanksha_priya -
akanksha_priya 137w
Maybe we all are stars...
Maybe you and I do not belong to the same constellation!!
©akanksha_priya -
akanksha_priya 144w
पूजा खत्म हुई
घर छोड़ कर तो आ गई
पर ये जो घर की यादें हैं
इनका क्या करूँ ?
©akanksha_priya -
akanksha_priya 147w
मैं रंगों सी
तुम जैसे चित्रकार कोई।
©akanksha_priya
-
ayushsinghania 129w
मैं मुसलमान बन कर थक चुका,
तुम हिन्दू बनकर नही थके क्या;
सुनो,
क्या पहले हम हिन्दोस्तां नही बन सकते.....? -
तुम्हारे और मेरे शहर के दरमियान
इक कुछ पुल सा है।
बीच के बैचैन समंदर पर खड़ा,
कदमों को याद किये हुए,
कि कहाँ हम दोनों ठहरते है हर रोज़।
यूँ तो ये स्थिर ही रहता है,
पर कभी कभी हवाओ की शरारतों के बीच,
कुछ हलचल करता है और कोशिश की
हम दोनों इक दूसरे की बाहों में आ सके।
आसान है ख़ुद को रोकना यूँ तो,
पर फ़िर वादा था की तुम्हें हर बार संभालूंगा।
तो गिरने कैसे दूँ..?
तुम्हें बाहों में लेकर
सुकून और डर दोनों होता है।
सुकून ये के उस लम्हे में वक़्त रुक सा जाता है और मैं
खुद में मुक़म्मल हो जाता हूँ।
और डर ये की,
कही हवा अपना मिज़ाज़ न बदल दे।
ख़ैर,
कुछ भी हो,
वो पुल मुझे तुम्हारे पास रखता है।
क्योंकि, जिस तरफ़ से मैं लौटा हूँ,
वहाँ वापसी मुमकिन नही लगती और आगे का सफ़र बहोत लम्बा रहने वाला है।
सो ये पुल मेरी मौत को रोके हुए सा है शायद।
या यूं कह लो,
उस आख़री अलविदा का पैमाना है,
जो बहोत क़रीब है शायद।
दुआ रहेगी कि ख़ुश रहो और कुछ नही।
और अब फ़िर मुलाक़ात न हो तुमसे.....!
अब मिट्टी के खिलौनों से मन भर सा गया मेरा...
©ayushsinghania -
रिश्ता
संदूक में बंद अँधेरे की गहराई हो जैसे,
.
डूबते सूरज पर बनती इंसान की परछाई हो जैसे,
.
सूखे पत्ते हो और उनकी पेड़ों से जुदाई हो जैसे,
.
अपने मायके से किसी बेटी की विदाई हो जैसे,
.
परीक्षा कुछ मिनटों में हो,और रात की पढ़ाई हो जैसे,
.
हौसलों पर क़दम और क़दमों पर दवाई हो जैसे,
.
अक्षरों को सीखता अनपढ़ हो,और अनपढ़ की लिखाई हो जैसे,
.
नयी नौकरी लगी औलाद हो,और औलाद की पहली कमाई हो जैसे,
.
चेहरे पर बढ़ती शिकन हो,और शिकन उम्र की इकाई हो जैसे,
..
कुछ ऐसा ही है मेरे ख़्वाबों का अंत और तेरा चले जाना।
©kumar_atul -
Don't think that you are not special. Just look up, the light has traveled billion of miles just to reach your eyes.
-
krishnega 191w
-K
-
krishnega 191w
.
When it’s too dark and stormy,
And you can’t carry a lamp;
carry faith.
-K -
रिश्ता
अगर बांधो कोई धागा मुझ पर हमारा रिश्ता साबित करने का
.
तो सुनना मेरी बात और गाँठे ज़रा दो लगाना...
जिसमें एक में तुम मुझसे उलझी हो और दूसरे में मैं तुमसे।
©kumar_atul -
kirtiraj 194w
मेरे दोस्त मेरी किताब के अहम किस्से हो तुम,
जिन पन्नों को कभी मिटा न पाउं ज़िन्दगी के वो हिस्से हो तुम,
मेरी स्कूल की कहानियों के नायक हो तुम
तो मुझे स्कूल मे मिली सजाओं के खलनायक भी हो तुम,
तुम्हारे लिए जितना भी लिखूं कम है,
मन मे प्यार है इतना जितनी गालियाँ दूं वो भी कम है
वो रोज़ का मेल-मिलाप और अड्डेबाजी़ आज भी याद है,
पर अब वो रोज़ हफ्ते मे केवल एक दफा आता है,
वो घन्टों चलती अपनी अनगिनत बातें आज भी याद है
अब बातें तो कम है फिर भी मिलने पर वो यादों का पिटारा खुल सा जाता है
ज़िन्दगी आगे तो बढ़ी है, पर मन अब भी वहीं है,
जिन गलियों मे अपनी आवाजें गूंजा करती थी
आज उन गलियों मे भी कुछ नमी है
वक्त़ तो बदला है, ज़िन्दगी भी कुछ नयी है
हांँ खुशनसीब हूं मे मेरे दोस्त अब भी वही है,
ये ज़माने का डर तो सालों ने कबका निकाल दिया
दोस्ती मे जीना-मरना सब कुछ ही सिखा दिया
यूं तो तेरी आवाज़ सुने एक अरसा हो गया
पर कानों मे तेरी गूंज हर रोज़ सुनाई देती है
तु पास है या नहीं मालूम नहीं दोस्त
पर तेरी यादें तेरी मौज़ूदगी का अहसास हर रोज़ करा देती है,
कुछ जिद्दी से कुछ नटखट से आज भी निकल पड़ते हैं,
मौका मिलता है तो कुछ यादें आज भी समेट लेते हैं
चार दिन तो नहीं पर छोटी तो ये है ज़िन्दगी,
पर मेरे दोस्त गर तुम साथ हो तो बड़ी अनोखी भी ये है ज़िन्दगी।
©kirtiraj
#hindiwriters #mirakeehindi #mirakeeapp #hindilekhan #hindiquotes #mirakee #mirakeewriters #writersofmirakee #writersnetwork #writerscommunity #writersbureau #writerstolli #writersworld #writersofindia #writersofmirakee #pod #readwriteunite #hindiमेरे दोस्त
मेरे दोस्त मेरी किताब के अहम किस्से हो तुम,
जिन पन्नों को कभी मिटा न पाउं ज़िन्दगी के वो हिस्से हो तुम,
मेरी स्कूल की कहानियों के नायक हो तुम
तो मुझे स्कूल मे मिली सजाओं के खलनायक भी हो तुम,
तुम्हारे लिए जितना भी लिखूं कम है,
मन मे प्यार है इतना जितनी गालियाँ दूं वो भी कम है
वो रोज़ का मेल-मिलाप और अड्डेबाजी़ आज भी याद है,
पर अब वो रोज़ हफ्ते मे केवल एक दफा आता है,
वो घन्टों चलती अपनी अनगिनत बातें आज भी याद है
अब बातें तो कम है फिर भी मिलने पर वो यादों का पिटारा खुल सा जाता है
ज़िन्दगी आगे तो बढ़ी है, पर मन अब भी वहीं है,
जिन गलियों मे अपनी आवाजें गूंजा करती थी
आज उन गलियों मे भी कुछ नमी है
वक्त़ तो बदला है, ज़िन्दगी भी कुछ नयी है
हांँ खुशनसीब हूं मे मेरे दोस्त अब भी वही है,
ये ज़माने का डर तो सालों ने कबका निकाल दिया
दोस्ती मे जीना-मरना सब कुछ ही सिखा दिया
यूं तो तेरी आवाज़ सुने एक अरसा हो गया
पर कानों मे तेरी गूंज हर रोज़ सुनाई देती है
तु पास है या नहीं मालूम नहीं दोस्त
पर तेरी यादें तेरी मौज़ूदगी का अहसास हर रोज़ करा देती है,
कुछ जिद्दी से कुछ नटखट से आज भी निकल पड़ते हैं,
मौका मिलता है तो कुछ यादें आज भी समेट लेते हैं
चार दिन तो नहीं पर छोटी तो ये है ज़िन्दगी,
पर मेरे दोस्त गर तुम साथ हो तो बड़ी अनोखी भी ये है ज़िन्दगी।
©kirtiraj -
solace 194w
I hope you
bury my memories behind the curtain
so the evening breeze can take it
to the world
away from you
©solace -
krishnega 194w
.
©krishnega
