ज्ञान वही श्रेष्ठ होता हैं, जिसमे अहंकार ना हो।
वरना उस ज्ञान का क्षणिक मात्र भी महत्व नही रह जाता।
वह सिर्फ आपको जमाने की नजरो मे अभिमानी ही बनायेगा।
शायद इसीलिये माता सरस्वती को सफेद रंग ही प्रिय हैं, जो सदा साफ़, स्वच्छ, निश्चल, पवित्र प्रतित होता हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
alwidaa
mirakee will always be in my heart.
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ayush_tanharaahi 171w
ज्ञान वही श्रेष्ठ होता हैं, जिसमे अहंकार ना हो।
वरना उस ज्ञान का क्षणिक मात्र भी महत्व नही रह जाता।
वह सिर्फ आपको जमाने की नजरो मे अभिमानी ही बनायेगा।
शायद इसीलिये माता सरस्वती को सफेद रंग ही प्रिय हैं, जो सदा साफ़, स्वच्छ, निश्चल, पवित्र प्रतित होता हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan -
ayush_tanharaahi 171w
प्रेम का कुछ यूं पाश्चात्यीकरण हो गया,
जो प्रेम सात जन्मो का बन्धन हुआ करता था,
फ़िर भी हमेशा समझ से परे हुआ करता था,
वो आज महज कुछ दिनो का मोहताज हो गया।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan.
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ayush_tanharaahi 171w
आज प्रेम के पाश्चात्य दिवस के सप्ताह का चौथा दिन हैं, जिसे promise day, यानी वादा दिवस कहते हैं। आज मैं भी एक वादा करना चाहता हूं, वादा अपने सच्चे प्रेम का, कभी ना साथ छोड़ने का, उसे हर हाल मे याद करने का, उसके अनुसार चलने का,और उसे कभी ना भुलाने का।
पता हैं, मेरा इश्क क्या हैं, मेरे ईष्ट मेरे महांकाल, और किताबें । बाकी अब भरोसा इस दुनिया मे किसी पर रहा नही।
यहीं हैं, मेरे सच्चे दोस्त, सच्चे साथी, और मेरा जीवन।
कभी किया था, कोई वादा किसी से,
उसे आज भी निभा रहा हूँ मैं,
वो निभा रहे हैं वादा मुझसे झुठा करके,
साथ किसी और का,
उनके झूठे वादों पर भी अपनी सच्चाई के साथ,
अपने सच्चे वादों के साथ, उनकी ही यादों से रिश्ता आज भी निभा रहा हूं मैं।
आज फ़िर एक वादा करता हूँ किसी से,
मगर आज का वादा हैं, सिर्फ एक सत्य से।
आज का वादा हैं मेरा, दुनिया के सबसे भरोसेमंद दोस्त से,
आज का वादा है मेर, दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते से।
आज वादा करता हूँ मैं,
अपने माता-पिता, अपने ईष्ट और उन सच्चे यारो से जिन्हे कहते हैं पुस्तक,
उनके विचारो और ज्ञान से।
मेरे शरीर मे जब तक जान हैं,
साँसों का रूह से जुड़ा जब तक यह रिश्ता महान हैं।
मैं साथ नही छोडूंगा कभी आपका,
हो सुख की घड़ी कोई,
या दुख की घनी काली छटाये,
हर पल आपके साथ रहूँगा मैं।
बस यहीं वादा हैं मेरा आपसे,
आपको पूजूंगा हर पल,
आपका होकर ही हमेशा रहुँगा मैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan.
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ayush_tanharaahi 170w
प्रश्न -
भगवान ब्रह्मा के 5 शीश थे, शिव के उग्र रूप और रुद्र अवतार काल भैरव ने ब्रह्मा जी का एक शीश, अपने नाखून से काट दिया था। जिसके बाद उन्ह्र ब्रह्म हत्या का दोष लगा था। वो कौन मनुष्य था जिसने काल भैरव को ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति दिलाई थी?
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ekprashn
उत्तर
ब्रह्मा के 5 शीश थे । जिनमे से चार ,चार वेदो की वाणी हैं। ब्रह्मा का पांचवा शीश, अहंकार और दंभ का प्रतिक बन चुका था। जिसका अन्त शिव के रुद्र रूप काल भैरव ने किया। मान्यता हैं, की काल भैरव का जन्म शिव के रक्त कण से हुआ हैं, जो दो रूपों मे हैं। जिनका बाल रूप बटुक भैरव और युवा रूप काल भैरव हैं। काल भैरव अग्नि तत्व के देवता होने के साथ साथ, सनातन मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के भी स्वामी हैं।
जब ब्रह्मा का चौथा शीश अहंकार वश, महादेव की अवहेलना कर उन्हे अपशब्द कहने लगा तो, महादेव ने क्रोधित हो, काल भैरव की उत्त्पत्ति कर उन्हें उस शीश का अन्त करने का आदेश दिया।
महादेव की बात मानकर काल भैरव ने अपने नख मात्र से ब्रह्मा का पांचवा शीश उनके धड़ व बाकी चारो शीशो से अलग कर दिया।
जिसके बाद महादेव के आदेश अनुसार वे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिये, काशी के समीप गंगा तट पर, विराजमान हो गये, और काशी का कोतवाल कहलाने लगे।
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ekprashn #ayuspiritualप्रश्न 4-उत्तर
लगभग हजारों वर्षो तक वह अवंतिका की पावन भूमि पर एक कठोर चट्टान के रूप मे वहीं तपस्या मे लीन थे। उस समय पृथ्वी पर चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का शासन चल रहा था। अगहन मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को काल भैरव का अवतार हुआ था। जिसे काल भैरवअष्टमी भी कहाँ जाता हैं। सम्राट विक्रमादित्य उस पावन पर्व को उस समय अपने बंधु-बांधवो के साथ मना रहे थे, मगर कुछ लोगो ने सम्राट को धौखा देते हुएँ काल भैरव के अभिषेक के दुग्ध मे मदिरा मिला दी थी। जिससे काल भैरव रुष्ट हो गये थे। जब सम्राट को यह और उन्होने अपना रुद्र रूप धारण कर अवंतिका की नगरी पर कहर ढ़ा दिया था। जब सम्राट विक्रमादित्य को यह बात पता चली तो उन्होनें, काल भैरव द्वारा ब्रह्मा के कटा शीश ढुँढ निकाला और, उसका विधि-विधान पूर्वक तर्पण कर, काल भैरव को ब्रह्म हत्या दोष से मुक्त कराया। जिससे काल भैरव उन पर प्रसन्न हो गये तथा, सदा अवंतिका मे रह वहां के कोतवाल के रूप मे वही विराजमान हो गये। इस सारे घटनाक्रम मे मदिरा का भी योगदान रहा था, इसलिये काल भैरव ने आशीर्वाद स्वरूप वरदान देते हुएँ कहाँ, जो भी मनुष्य श्रद्दा पूर्वक यहां मदिरा का प्रसाद चड़ायेगा, उसके घोर शत्रुओ का दमन होगा,व उसकी हर वांछित मनोकामना पुर्ण होगी।
उस समय के बाद से आज तक अवंतिका अर्थात् उज्जैन मे काल भैरव की प्रतिमा लगातार मनुष्यों की बुराई को, उनके पापों को उनके द्वारा चडाई गई मदिरा के रूप मे गृहण करती जा रही हैं।
यह पुरा विवरण ब्रह्म वैवर्त पुराण मे निहित हैं।
ॐ काल भैरवाय नमः
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi -
ayush_tanharaahi 171w
प्रश्न- रामायण और रामचरितमानस मे मूल अन्तर क्या हैं।
आप सभी लोगो का प्रश्न का जवाब देने के लिये तहे दिल से धन्यवाद।
@vishalprabtani
रामायण सम्पुर्ण हैं, जबकी रामचरितमानस सिर्फ प्रभू श्री राम के बारे मे।
@rangkarmi_anuj
रामायण वाल्मिकी जी व रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा रचित हैं। रामायण पुरा जीवन हैं, राम के जन्म से लेकर चीर सागर तक का वर्णन,और रामचरितमानस राम की पूरी जीवनी उनके आदर्श की कहानी ।
@naushadtm
रामायण संस्कृत मे हैं,तो रामचरितमानस अवधी मे। रामायण वाल्मिकी जी की सम्पूर्ण रचना हैं,जबकी रामचरितमानस तुलसीदास जी ने अवधी मे दोहराई हैं।
@naimishawasthi
रामचरामचरितमानस तुलसीदासजी द्वारा रचित हैं, जिसमे लवकुश कांड नही हैं। रामायण वाल्मिकी द्वारा रचित हैं,जो की संस्कृत मे हैं।
@vineetapundhir
रामचरितमानस अवधी भाषा मे हैं, जिसमे चौपाई के माध्यम से राम चारित्र का वर्णन हैं। रामायण संस्कृत मे हैं तथा उसमे सम्पुर्ण राम कथा का वर्णन हैं।
@yenksingh
रामायण की रचना वाल्मिकी जी ने ,जबकि रामचरितमानस की रचना तुलसीदास जी ने की हैं।
@rajni_pant
वाल्मिकी जी कृत रामायण संस्कृत भाषा मे, रामजन्म के पहले लिखी गई । गोस्वामी तुलसीदास कृत रामायण 15 वी शताब्दी मे राम जन्म के कई वर्षों बाद लिखी गई ।
#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ekprashn #ayuspiritualप्रश्न 1- उत्तर
रामायण वाल्मिकी द्वारा संस्कृत भाषा मे रचित एक महाकाव्य हैं। जो की सम्पूर्ण हैं। राम के जन्म के पहले से, उनके सरयू मे विलिन होने तक उनके साथ व उनसे त्रैतायुग मे जुड़े सभी जीवों के चरित्र के वर्णन के साथ। जिसमे असुर और उनके पुर्व जन्म के कार्य तथा उन्हे जो मोक्षप्राप्ती हुई उसका उसका सम्पूर्ण वर्णन हैं ।जो की त्रैतायुग मे ही लिखा गया हैं, 8 काण्ड मे। रामायण के सभी कांडो की रचना वाल्मिकी जी ने अपने योग ज्ञान से ध्यान के माध्यम से प्राप्त कर,घटित होने से पहले ही करदी थी। अन्य कुछ विद्वानो के मतानुसार ऋषी वाल्मिकी दस्यू से ऋषी बने, और ज्ञान प्राप्ती के बाद उन्होने , रामायण की रचना की। जैसा की रामायण नाम से ही स्पष्ट हैं,
राम+अयन (राम के जीवन वर्ष) ।
रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा अवधी भाषा मे छन्द, सोरठा,दोहा, और चौपाई के माध्यम से लिखा गया, कलयुग का महाकाव्य हैं। जिसमे राम के चरित्र का वर्णन ही उसका मूल हैं। इसकी रचना सन 1630 से 1633 के समय गोस्वामी तुलसीदास जी ने की। रामचरितमानस मे 7 सात कांड हैं, जिनमे लवकुश कांड को स्थान नही दिया गया हैं। रामचरित मानस मे वर्णित सुन्दरकांड , कलयुग मे पूजित रामचरितमानस का सबसे अहम भाग हैं। जिसमे हनुमान जी द्वारा लंका मे जाकर, सीता माता की खबर व उन्हे रामजी द्वारा दी गई भेंट प्रदान करने व, हनुमान जी द्वारा अक्षय कुमार वध का व लंका दहन का, बहुत सुन्दर वर्णन व चित्रण मिलता हैं।
अगर देखा जायें तो यह कहाँ जा सकता हैं, की रामायण आधार हैं, तो रामचरितमानस उसका सार हैं।
जय श्री राम
हर हर महादेव
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi -
ये इश्क़ है जनाब... इसमें कभी इतवार नहीं होते...!
©ritusinghrajpoot -
✌
Never be a part of any priority list
until you are on its top....
©riyabansal -
_aahana_ 171w
संभल जाएं जरा वक्त रहते रहते
कब तक करेंगे गलतियां नासमझी कहते कहते
सत्य अडिग है ,झूठ की उम्र थोड़ी
थक गए बुजुर्ग भी सीख देते देते
बन कर्म योगी ,तज दे आलस्य
हासिल हो लक्ष्य कर्म की राह चलते चलते
है सूरज हम खुद ,चीर ही डालें तिमिर
हार जाएंगे नाकामी का तंज सहते सहते
ठान लें गर तो बदल डाले हाथ की लकीरें भी
भरा पड़ा है इतिहास, किस्से कैसे-कैसे
मैदान-ए-जंग सा जीवन ,है हालातों से लड़ना
भरें हुंकार रणभेरी में जीत का उद्घोष करते करते
©riyabansal -
_aahana_ 171w
Repost #promise
पहला वादा खुद से
@mirakee @writersnetwork @hindiwriters #osr#satender @hindikavyasangam.
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मेरी रचनाएँ
खयालों का खजाना
आधी हकीकत आधा फसाना
©riyabansal
