कोई नहीं हैं हमारा जिंदगी में,
ये बात हमारे दिल में बिठा देतीं हैं,
किसी की पल भर की मुहब्बत,
हमें लोगों पर शक़ करना सीखा देतीं हैं।
©amar_singh61090
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आज भी ज़रूरत है मुझे उसकी,
ये बात वो भी जानती हैं,
पर मुझसे दूर रहने को ही,
जाने क्यु वो बेहतर मानती हैं,
में उदास हूँ दर्द भी हैं मुझे,
कभी हाल न पूछती हैं,
जबकि हर हाल की ख़बर हैं उसे,
मेरी चाहत और उसकी नफ़रत के बीच,
फासला बहुत बढ़ गया है,
मेरी जगह नहीं उसकी जिंदगी में,
उसके दिमाग में जाने क्यु ये चढ़ गया हैं।
धड़कने रुक सी जाती हैं,
जब भी उसे भूलने का ख़्याल आता है,
क्या उसकी याद बिना रह पाउँगा,
हरबार मन में बस यहीं सवाल आता है,
मैं उसके बिना रह तो रहा हूँ,
पर दिल में आज भी वही रहती हैं,
बस उसी चाहत है दिल की,
मेरी धड़कन हमेशा यहीं तो कहती हैं,
पर इंतज़ार ये मोहब्ब्त का,
दर्द बहुत ही दे जाता है,
हरपल उसकी याद होती है सीने में,
टूटने के बाद भी दिल कहाँ आराम कर पाता है।
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दिल दुःखता हैं मेरा भी,
जब कोई प्यार हमकों सिखाता हैं,
निभाना कैसे हैं प्यार किसी से,
ये सब हमकों बतलाता हैं,
अरे समझाओ इन नादानों को,
मैं ख़ुद
इश्क़ समझने में, बेहिसाब हूँ,
अगर हैं ये मोहब्बत के पन्ने,
तो फ़िर मैं, पूरी की पूरी क़िताब हूँ।
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एक बारिश की याद हैं,
एक तन्हाई का साथ हैं,
एक पीले सूट में धुंधली सी तस्वीर हैं,
औऱ एक हमारी बेकार सी तकदीर हैं,
एक तोहफ़े की अंगूठी हैं,
औऱ एक जिंदगी जो हमसे जाने क्यु रूठी हैं,
एक मोहब्ब्त हैं उसी से मेरी इबादत हैं,
उसी को लेकर हज़ार मेरी शिक़ायत हैं,
उसे पता नहीं एक भी,
शायद यहीं मेरी शराफ़त हैं।
एक मेरी मोहब्ब्त हैं,
उससे हज़ार मेरी शिकायत हैं,
पर उसको पता नहीं एक भी,
शायद यहीं मेरी शराफ़त हैं,
वो पूछी की,
तुम्हें क्या फ़र्क़ पड़ता है मेरे दुःखी होने से,
वो पूछी मतलब,
उसे पता हैं मुझें फ़र्क़ पड़ता हैं।
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Second I'd
This one is my second I'd because for first I have some commenting issue ... Please support and give me instructions how to use this plateform
©amar_singh61090
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युवा
वो युवा ही तो है जो जरा सी बात पर उठ खड़ा होता है
जहां कहीं गलत होता है तो रैली निकालता है
प्रदर्शन करता है हड़कंप मचा देता है
वो युवा ही तो है जो दहेज की मांग करता है
फिर उसी दहेज के लिए विरोध भी करता है
वो युवा ही तो है जो बलात्कार करता है
फिर काले झंडे लेकर सड़कों पर उतरता है
वो युवा ही तो है जो जिसमें नई ऊर्जा का संचार होता है
फिर वही युवा नशे की लत में धुत हो गर्त में डूब जाता है
वो युवा ही है जो सोशल मीडिया में लीन होकर
अपने फर्ज अपने कर्तव्य को भूलता जा रहा है
वो युवा ही है जो अपने सपनों को अंजाम देता है
मेहनत लगन से अपने मुकाम को हासिल करता है
वो युवा ही है जो देश के लिए सीमा पर लड़ रहा है
सबकी रक्षा के लिए अपने प्राण हथेली पे रखता है
वो युवा ही है जो सब कुछ कर गुजरने की क्षमता रखता है
वो युवा ही है जो सुनहरा भविष्य भी है
और गलत राह पर चले तो काला अतीत भी है
©tejasmita_tjjt -
aavantika 25w
मेरी सादगी से इश्क़ कर पाना तो बताना
मानती हूं की चेहरा कुछ ख़ास हसीन नही है -
extreme_case 20w
#mood be like: kuch bhi.
मुखालिफ - opposite
मीसाक - promise
तौफीक़ - God's grace
उजरत ए इश्क - price of love
अर्जानी - cheap
साअत - moment, time
#beinglazybeingकि सजाओं के मुखा़लिफ हम, मोहब्बत सजा कर बैठे,
जो देखा फुरसत - ए - आइना, तस्वीर गुलाबी कर बैठे।
सलीका - ए - अर्ज - ए -हुनर से जो मीसाक़ किया उसने,
कि हर टूटे दिल की रंजिश को, सनम तौफीक़ कर बैठे ।
उजरत - ए -इश्क़ जो मांगा उसने, अर्जा़नी में रवां से मेरी,
कि ज़िन्दगी को जकड़ मयखाने में, मौत उधारी कर बैठे।
कि न आया वो खत लेकर, साअत ताकता रहा बागी दिल,
दीवारों के जालों को चराग और राख़ को पानी कर बैठे।
©extreme_case -
chahat_samrat 28w
खूबसूरती तुम्हारे हथियार है,इसे खुद पर न चलने दो
बेफिक्र हो गिरो उलझनों में,फिर खुद ही संभलने दो
~चाहत
Something old from diaryस्त्रियां
स्त्रियां काफी समय से प्रस्तुत करती रहीं हैं खुद को पुरुषों की इच्छानुसार उनको सदैव खुश रखने के लिए , अपने स्वाभिमान, अपनी ख्वाहिशों को अपनी ही एड़ियों के नीचे कुचलकर
बस इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने स्वाभिमान अपनी नींद अपने सपने अपनी ख्वाहिश सब की आहुति दे दी, पुरुष की खातिर बेहतर नजर आने और पुरुष को हमेशा खुश रखने के यज्ञ में,
वो सोचती रही, आज भी सोचती हैं की पुरुष के लिए हर तरह से समर्पित रहने से उसका सम्मान हमेशा बरकरार रहेगा , पर ऐसा बहुत कम हुआ है कहीं कही ही स्त्री का समर्पण पुरुषों द्वारा पूजा जाता हैं जिन पुरुषों ने स्त्री को स्त्री समझा हैं,
पर जहां स्त्री को उपभोग और उपयोग का सामान समझा गया स्त्रियां वहां रोई हैं घुट घुट के जी हैं और मजबूरी के चलते कई जगह आज भी मर रही हैं जी कर
बहुत कुछ गलत हुआ है स्त्रियों के साथ ,आज भी होता है जिसके जिम्मेदार सबसे पहले वो स्त्रियां ही है क्यों उन्होंने जंग नहीं छेड़ी, न आवाज उठाई है जब उनका इस्तेमाल एक मशीन या सामान की तरह होता रहा है
पर शायद गलती उनकी भी नही है
वो भी शायद लड़ना चाहती थी अपनी खातिर
मगर समाज का नजरिया और उसके खुद पर आत्मविश्वास आत्मनिर्भरता की कमी उन्हें रोकती रही, और वो बस सहती रही,
किसी से कुछ न कहती रही,परदे से सब ढंक कर रखती रहीं.
स्त्रियां आज भी जगी नही है , वो आज भी खुद को अपने हिसाब से बहुत कम और पुरुषों के हिसाब से बहुत ज्यादा प्रस्तुत करती हैं खुद को , दूसरी स्त्री को नीचा दिखाने के लिए खुद की ही नजरों में बहुत नीचे गिरकर,
वो आज भी खुद को अपने हिसाब से नही पुरुषों की खुशी के हिसाब से खुद को प्रस्तुत करती हैं करने की कोशिश करती हैं जिनमे पुरुष खुश रहें खुद की खुशी और अस्तित्व से से एकदम बेखबर
जो स्त्रियां जगी हैं वो आत्मनिर्भरता पर काम कर रही हैं खुद को हमेशा खुश रखने के लिए खुद पर अपना आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बरकरार रखने के लिए , और कभी खुद के साथ साथ किसी और स्त्री के साथ गलत न होने देने के लिए
पुरुष और स्त्री को एक समान सम्मान जगाने के लिए
~चाहत -
shrii_ 27w
शरारतें रह गई बाकी
मुस्कुराहटें रह गई बाकी,
बात बात में रूठ जाती थी मैं उससे
अब आदतें रह गई बाकी,
हमेशा छोड़ने तेरा दरवाजे तक चले आना
मैं ताकती रहती थी वो हसरतें रह गई बाकी,
बहुत सी बातें दिल की दिल में ही रही
मुलाकात के लिए तस्वीरें रह गई बाकी,
दिल को तसल्ली देती हूं बार-बार, बच्चों के खिलौने की तरह
वो लौट के आएगा इक दिन ये उम्मीदें रह गई बाकी,
पुराने खतों को तनहाई में पढ़ती हूं बार-बार
यादों के सहारे जीने को लिखावटें रह गई बाकी।।
©shrii_
