हिसाब-ए-इश्क़
अगर इश्क़ है तो बेहिसाब कर लेते हैं...
वर्ना फिर बचा-खुचा हिसाब कर लेते हैं...
रख लेते हैं जिंदगी की निधानी में समेट के...
दिलों के इन पन्नों को इश्क़ का किताब कर लेते हैं...
Amresh
amreshrai97
insta... amresh bhatt 1997
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amreshrai97 5w
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amreshrai97 5w
Complete ishq
खुद को अब और आजमाया नहीं जाता...
प्यार है तुमसे बेशक़ जताया नहीं जाता...
दिल के जज्बातों को दबाने का है हुनर तुझमें...
पर तुम्हारी आँखों से कुछ भी छुपाया नहीं जाता...
मेरी हंसी पे आँखें तुम्हारी आज लाल हो गई...
और लम्हा बचपन का वो हमसे भुलाया नहीं जाता...
बेग़ैरत कहलाया भी तो बस तुम्हारी खातिर 'अमर' ...
वर्ना हमसे भी किसी के आगे गिड़गिड़ाया नहीं जाता...
जिसने जो समझा मुझे ठीक ही समझा होगा...
अपनी सफाई के दलीलों को हमसे गिनाया नहीं जाता...
Amresh -
amreshrai97 7w
जुदाई
ऐसे छोटी छोटी बात पे जुदाई क्यों है...
अगर इश्क़ है हमसे तो फिर ये रुसवाई क्यों है...
अमरेश -
amreshrai97 12w
यूँहीं
कल आँखों ही आँखों में वो बता रहे थे ...
जो था ही नहीं वो इश्क़ क्यूँ जता रहे थे...
फ़ुर्सत के पल -
amreshrai97 14w
तेरा रंग
मेरे रंगों को मिला जो तेरे रंगों का ये संग है....
हाँ...तेरे रंगों से गीला मेरा हर अंग-अंग है.....
ना लाल है- गुलाल है मेरे इस दीवार ए रुह पे...
जो रंगी इस जेहेन को तेरे इश्क़ की धानी रंग है....
अमरेश -
amreshrai97 16w
ये हवाएं
ये कैसी हवाएं आज चल रही है...
मैं भी बदल रहा हूँ तू भी बदल रही है...
Amresh
फुर्सत के पल -
amreshrai97 19w
जज़्बात
लिखना मुकम्मल हो जायेगा मेरा...
जिस दिन तुम मेरे शब्दों में छुपे जज़्बात पढ़ लोगे...
Amresh -
amreshrai97 20w
गर निकल गया हूँ हद्द से तो गुज़र जाने दो...
कुछ तो करूँगा अब कर जाने दो...
और मैं दुनिया की नहीं अपनी नजरों में मसीहा था...
जब इनसे ही गिर गया तो फिर मर जाने दो...
Amresh -
amreshrai97 20w
यादें तेरी
इस अमावस की रात में तू उम्मीदों की आफताब है...
जागूँ तो मीठी याद है तू, गर सो जाऊँ तो ख्वाब है...
तू है मलिका हुश्न की या फिर कोई गुलाब है...
जो लिखी मैंने चाहत की, हाँ तू वही किताब है...
Amresh
फ़ुर्सत के पल -
amreshrai97 21w
वक़्त
ना हताश हैं, ना ही हारे हैं हम...
किसने समझ लिया के वक़्त के मारे हैं हम...
आज हर वो सख़्श जो मौका-ए-रुख़्सत चाहता है...
कल वही आके सबसे पहले कहेगा कि तुम्हारे हैं हम....
फ़ुर्सत के पल
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ग़ज़ल~:६
वज़्न:- २१२ २१२ २१२ २१२
ऐ खुदा मैं तुम्हें खोजता रह गया,
तेरी चौखट को मैं चूमता रहा गया।१।
हाल से मेरे तू बे-खबर क्यों रहा,
मैं यही आज-तक सोचता रह गया।२।
पांव के छाले भी दर्द से टीसते,
फिर भी मैं तेरा दर ढूंढता रह गया।३।
आसरा दे मुझे आस है तेरी ही,
मैं दुआ बस यही मांगता रह गया।४।
मैं लुटा जो सरे-आम तू भी वहीं,
अश्क़िया बन फ़क़त देखता रह गया।५।
बुत बने लोग सारे ही तनुजा यहां,
रात भर सोच ये जागता रह गया।६।
©archanatiwari -
ग़ज़ल~: ५
वज़्न :- १२१२ ११२२ १२१२ २२/११२
धुन:- खिजां के फूल पे आती कभी बहार नहीं
तेरी निगाहों का है कौन जो तलबगार नहीं,
रहा किसी का भी अब दिल पे इख़्तियार नहीं।१।
करीब तुम जो आ जाओ बहार आ जाये,
यहां फ़िजा भी है बिन तेरे खुशगवार नहीं।२।
गिला करु भी तो कैसे कशिश ही है ऐसी,
निसार उनपे हुए वो गुनाहगार नहीं।३।
तमाम उम्र गुज़ारी है हमने तन्हा ही,
बहुत किया है के अब होता इंतज़ार नहीं।४।
न बिजलियां गिरा बे-मौत मारे जायेंगे,
फ़ना हुए हैं कई इक़ हमीं शिकार नहीं।५
सज़ा मिले या मिले इश़्क से रिहाई ही,
यकीन कीजिए बिन तेरे है करार नहीं।६।
गुबार ही भरा तनुजा ज़ुबां ही बस मीठी,
जो खुद-निगार हैं उनपे है ऐतबार नहीं।७।
©archanatiwari
अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ -
archanatiwari 24w
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09/01/2022ग़ज़ल~: २
वज़्न-: २१२ २१२ २१२ २१२
है भरम तेरा के वो सुधर जाएंगे,
धमकियों से तिरी क्या वो डर जाएंगे।१।
लड़खड़ाते कदम संभलेंगे कभी,
छोड़ मैंखाना अपने ही घर जाएंगे।२।
क्या भरोसा है उनकी किसी बात का,
हां वो तो बे-अदब हैं मुकर जाएंगे।३।
डर है इज़्हार कैसे करु तू बता,
दिल के जज़्बात भी बे-असर जाएंगे।४।
कब कहां सिर झुकाना हुनर सीख लो,
इल़्म ये भी बड़े काम कर जायेंगे।५।
हम ठिकाना तलाशें भला किस गली,
सोचते हैं कि कल दोपहर जाएंगे।६।
साल तनुजा नया आ गया है बता,
अब पुराने हसीं दिन किधर जाएंगे।७।
©archanatiwari -
ग़ज़ल~:३
वज़्न-: १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
खड़े हैं राह में तेरी झलक तुम कब दिखाओगे,
बड़ा बेताब है ये दिल हमें कब तक सताओगे।१।
तलब दीदार की हमदम कभी तो सामने आओ,
तो चाहे जान भी ले लो यूं कब तक आजमाओगे।२।
मिले फ़ुर्सत कभी बे-कस ख़यालो में ही मिल जाओ,
मुक़म्मल हो दुआ मेरी कहो कब मिलने आओगे।३।
तकल्लुफ़ से न यूं देखो मुसर्रत से न मर जायें,
गये जो दूर तो तुम भी सदा आंसू बहाओगे।४।
मुहब्बत की सज़ा क्या है? बता तेरी रज़ा क्या है?
बताओ और कब तक तुम यूं हमपे ज़ुल्म ढ़ाओगे?५।
बहुत हैं ग़म जमाने में मुहब्बत के सिवा देखो,
कहो क्या ग़ैर का ग़म भी कभी तुम बांट पाओगे।६
फ़क़त बातें बनाते हो नहीं है ये कलमकारी,
अज़म"तनुजा"रविश का रख तभी सबको लुभाओगे।७।
©archanatiwari
अर्चना तिवारी तनुजा ✍️ -
खुले गेसु बिखरे काजल
दास्तां वस्ल की सुनाते गए
वो कभी चेहरे को हाथों में छुपा के
कभी हमदम से नज़रें मिला के गए
©alkatripathi79 -
_onederstruck 22w
वो मेरे गाँव का रस्ता है, मैं आँख बंद भी चल जाऊं
मैं उसमे थोड़ा बस्ती हूँ, वो थोड़ा मुझ में बसता है।
मैं मन मोजी बंजारन सी, वो ठहराव सा थामे रखता है
मैं कड़े धूप मैं तप जैसी वो वादीयों से बहता झरना है।
मैं राख हूँ कोरे पन्ने की, वो बेश कीमती खत सा है
मैं गुज़रे हुए लम्हे जैसी, वो सफर रात का लम्बा है।
मैं तिलावत सी रमज़ानों की, वो नमाज़-ए-ईद मुसलसल है
मैं मुकम्मल हुई दुआ सी हूँ, वो सब्र का ऊंचा परचम है।
मैं आगाज़ हूँ एक हिस्से का, वो मेरा पूरा किस्सा है।मैं मन मोजी बंजारन सी, वो ठहराव सा थामे रखता है
मैं राख हूँ कोरे पन्ने की, वो बेश कीमती खत सा है।
-सुम्बुल -
eraxutirxur 30w
बदल गया दिन...
बदलता रहा समय...
पर ये दिल की एहसास जो तुम्हारे लिए है...
वह बदलता ही नहीं... -
ansarisofia 87w
#studymotivational #medicopassion #whitecoat dream
Ishq, mohabbat , pyar ka hume nahi pata sahab ,
Humne to raato ki neend wese bhi uda li haiIshq, mohabbat , pyar ka hume nahi pata sahab ,
Humne to raato ki neend wese bhi uda li hai
©ansarisofia
