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bhavna_r_verma 55w
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लोग बिछड़ कर मर नहीं जाते,
तुम खुद अपनी मिसाल ले लो।
©Bhavna_R_Verma -
तुम्हारा साथ हो और दिन न निकले,
मुझे एक रात ऐसी रात चाहिए।
©Bhavna_r_verma -
bhavna_r_verma 55w
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@prakhar_sony
#anougraphy #shriradhey_apt @hindiwriters #reetey #adhure_lafz @rangkarmi_anuj
#hindiwritersआज फिर तुम ज़रा से याद आये,
आज फिर दिल ने धड़कना चाहा।
©Bhavna_r_verma -
bhavna_r_verma 65w
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#hindiwritersमोहब्बत में बिताये रंग
सभी बेरंग निकल आये,
मिले कुछ खत अचानक तो
पुराने पल निकल आये,
मिला था नाम का तेरे
फ़क़त एक शख्स महफ़िल में,
ज़हन में याद कि तेरे
घने जंगल निकल आये...!
© Bhavnarverma -
अब तक दिल पे लगाये बैठे है ,
"बात जो कब की भुला दी हमने"
©Bhavnarverma -
bhavna_r_verma 71w
©bhavnarverma
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bhavna_r_verma 102w
प्रेम हर किसी से नहीं होता
या किसी से भी हो जाता है,
ये दोनों बातें ही सही है..
प्रेम बस प्रेम होता है ,
या तो होता है,
या नहीं होता।
©BhavnaRVerma -
bhavna_r_verma 107w
मैं सुबह का सूरज बन जाऊँ,
तुम कोई चाँदनी रात बनो,
मैं शिव का डमरू हो जाऊँ,
और तुम उसकी आवाज़ बनो,
मैं कोई समुन्दर हो जाऊँ,
तुम मुझमें पानी सी बहना,
जब टकराऊ मैं पर्वत से,
तुम मेरी ढाल बने रहना,
मैं कोई तारा बनके टूटू ,
तुम दुआ किसी की बन जाना,
तुम ख्वाब कभी जो देखो तो,
बस साथ मुझे अपने पाना,
मैं तपती गर्मी का मौसम,
और तुम मेरी बरसात बनो,
मैं शिव का डमरू हो जाऊँ,
और तुम उसकी आवाज़ बनो,
मैं कोई कठोर पिता जैसा,
और तुम माँ की मूरत बनना,
मैं बन जाऊँ जब कृष्ण कभी,
तुम मीरा सी सूरत बनना,
मैं गंगा का कोई घाट बनूँ,
तुम बनना राख किसी तन की,
मैं राम कभी जब बन जाऊँ,
तुम बनना शबरी जीवन की,
मैं उगते सूरज सा चंमकू,
तुम काली घनी रात बनो
मैं शिव का डमरू हो जाऊँ,
और तुम उसकी आवाज़ बनो,
मैं जब कोई मुश्किल राह बनूँ ,
तुम कोई मुसाफ़िर हो जाना,
मैं कड़वा कोई सत्य बनूँ,
तुम झूठ बोलकर सो जाना,
मैं बादल से बरसूँगा जब,
धरती मैं मुझे समा लेना,
मैं राह कोई भटकूंगा जब,
तुम राह सही दिखला देना,
जहाँ प्रेम, मोह, विश्वास खड़ा,
तुम उस नगरी का वास बनो,
मैं शिव का डमरू हो जाऊँ,
और तुम उसकी आवाज़ बनो !!
©BhavnaRVerma
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@anougraphy @hindiwriters©bhavnarverma
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succhiii 108w
#SaveAnimals #StopAnimalAbuse #BeKind
ईश्वर ने जब मानव जाति को बनाया होगा .तो ख़ुश हुआ होगा अपनी सबसे उत्कृष्ट रचना देखकर ..लेकिन आज वो क्या ख़ुश हो रहा होगा ?? नही कभी नही ..रो रहा होगा पश्चाताप कर रहा होगा कि मैंने ये क्या बनाया ..😭😭😭केरल के मल्लहपुरम में एक गर्भवती हथिनी के साथ क्रूरता के हद को पार करते हुये कुछ निर्दयी मनुष्यों ने ..जिन्हें मनुष्य कहना उचित न होगा , अनानास फल में बारूद भरकर भूखी हथिनी को खिलाया ..तीन दिन तक दर्द से तड़पकर अपने बच्चे के साथ उसने अपने प्राण त्याग दिए ...हाय रे ! मानव तेरी मनुष्यता 👎👎 हमें सोचने पर मजबूर करती है ..आत्मचिंतन का वक्त है ये ..सोचिए जरा मनुष्य ने क्या दिया है इस दुनिया को इस प्रकृति को ??सिर्फ़ लिया है
दिया कुछ नही ...दिया है तो सिर्फ़ तबाही और भीषण तबाही
प्रकृति का दोहन किया है इस मनुष्य जाति ने ..लेकिन ये भी नही भूलना चाहिए जब माँ प्रकृति सज़ा देने पर आती है तब किसी की नही सुनती ..धरे रह जाएँगे सभी विज्ञान के फ़ार्मूले ...उसके बेज़ुबान मासूम बच्चों पर अत्याचार जब तक करोगे ..तुम्हारी भी बारी आएगी जब वो तुमसे गिन-गिन के बदले लेगी ..और शुरुआत तो कर दी है उसने लेकिन अभी भी होश नही ..शायद इससे भी ज़्यादा विनाश देखना हम मनुष्यों के क़िस्मत में लिखा है तभी हम नही संभल रहे ..और ग़लतियाँ किए जा रहे हैं 🙏🏻🙏🏻😢😢😭😭😭😭 बर्दाश्त से बाहर होती जा रही है मनुष्यों की ये पाप लीला ...कवि निर्गुण अवस्थी जी की ये पंक्तिया आज स्वतः याद आ रही है
यही सत्य क्या प्रगति हमारी ?
इसी भाँति क्या मनुज बढ़ेगा
अथवा अपने ही कर से वह
नितप्रति अपनी चिता रचेगा
यही विषमता इस जीवन की
दिन दूनी बढ़ती जाती है ,
मानव को मानव कहने में ,
लज्जित होती शरमाती है
🙏🏻🙏🏻🙏🏻😢😢😢😭
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succhiii 148w
दश्तो -दरिया से गुज़रना हो कि घर में रहना
अब तो हर हाल में है हम को सफ़र में रहना
— परवीन शाकिर
बेसम्ती -दिशाहीन
रहबर- guide
@mirakeeworldमौसमों से कोई गिला नहीं है
क़िस्मत में मेरे सिला नहीं है
धूप में दरख्त सा साया हो
ऐसा तो कोई मिला नहीं है
बेसम्ती ही रही ज़ीस्त अपनी
रहबर तो ऐसा दिखा नहीं है
ख़ुशबू फैला दे फ़िज़ाओं में
फ़ूल तो ऐसा खिला नहीं है
हवायें चलती रही रात भर
चिराग़ तो अभी बुझा नहीं है
@Succhii -
तेरी यादों की बर्फ़ कभी पिघलती नहीं
शिकस्ता दिल को राहत, मिलती नहीं
तारीक ही रहे सदा दिन-ओ-रात मिरे
हो सहर आस,ये कभी दिखती नहीं
@Succhiii Suchita -
स्वप्नलोक के उज्ज्वल नभ पर
चल देना है मुझको पथ पर
नई राह है नए हैं साथी
रंग चढेगा अपना सब पर
©vikaspoorve -
shriradhey_apt 168w
बना लो तुम वज़ह मुझे अपनी तक़लीफ़ों की
पर ये जान लो तुम मेरा होना बेवज़ह नहीं है
©shriradhey_apt -
succhiii 168w
बागबाँ - माली
शजर -पेड़
खिजा़-पतझड़
शफक -सूर्यास्त की लालिमा
#hindiwriters #hindilekhan @panchdoot @hindikavsangam @mirakeeworld @soulwriterरफ्ता-रफ्ता
रफ्ता-रफ्ता यूँ भूले जा रहा कोई
हर शाम उदास किए जा रहा कोई
शफक की लालिमा छाने सी लगी है
सितारों का मजमा सज़ा रहा कोई
चाँद बादलों मे छुपता तो कभी निकलता
दिल चाँदनी का क्यूँ जला रहा कोई
तेरी यादों की जुगनुओं से चमकता था जो
बियाबान सा शजर नज़र आ रहा कोई
बागबाँ तिरे गुलिस्ताँ मे हवा कुछ ऐसी चली
बहारों मे मौसम-ए-खिजा़ दिखा रहा कोई
Suchita @succhiii -
shriradhey_apt 168w
जब मुझसे जुड़े ही नहीं कभी तो
मेरे लफ़्ज़ों में अपनी तलाश क्यूँ
©shriradhey_apt -
shriradhey_apt 168w
वक्त ज़रूरतें बदल कर जीना सीखा देता है !!
वो कहता था ज़रूरत हूँ मैं उसकी ...
©shriradhey_apt -
उसके लिए बहुत जरूरी थी मैं
समय के साथ उसने बतला भी दिया
©shriradhey_apt -
एक ज़माने से पीछे है तुम्हारे
गर लौटना हो तो चले आना
©shriradhey_apt
