जिस शहर का मैं होने गया था
एक दिन वहां से भी तबादला हो गया
बदलता रहा कभी गांव कभी मोहल्ला
पर मुझमें वो थोड़ा थोड़ा बस्ता गया...!!
©deeptimishra
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deeptimishra 10w
Jab Hume koi naya insan milta hai,,,hume aisa lgta hai bs isi ka to intezar tha pr fir ek din vaha ye bharam bhi Tut jata hai.
Zindagi me bhut se log aate hai or jate hai,,waise to ye koi badi bat hai ni...pr har insan hum par ,,humari zindgi par...humare man pr ek chap chod jata hai..
Fir voh insan dubara kbhi mile ya na mile...par humari yadon me uski ek jgh fix ho jati hai.
Hum aage badhte rehte hai...or yadon ki potli bharti rehti hai.
Kisi ka humare zindgi se asal mayne me kbhi jana hota hi nahi hai...
Unki nishani kbhi hmari baton me,,,kbhi aasu me,,,kbhi gusse me nafrat me,,,kbhi humare astitv me dikh hi jati hai.
Log or rishte humari zindgi se kbhi puri taraf nahi jate hai.
Voh hmesha vaha hote hai.
Fir voh dard ban k rahe ya khushi
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Isi chiz k upr likha gya hai ye... -
मेरे जेहन में भरा नफरत
पिघलता गया,,
देखा जो,, उसके कर्मों का फल था वो
मेरा घाव भरता गया...
©deeptimishra -
Mera safar bhut lamba hai
Kisi ka sath nahi,,
Mujhe bs mere manzil ki aawaj chahiye
Mai girta padta rehta hu,,
Mujhe sahara nahi
Himmat ka libas chahiye
Mai badi dur se aaya hu,,
Mujhe aaram me
Haste chehre or sapno se bhari aakhe chahiye
Mai shehro me basa ek gaw hu
Mujhe badlav nahi
Pyaar or apnapan chahiye
Mai apne tute khwabo ke Mahal ko jodta rehta hu,,
Mujhe karigar nahi
Tumhari sabar chahiye
Mera Safar bhut lamba hai
Kisi ka sath nahi,
Mujhe bs mere manzil ki aawaj chahiye
©deeptimishra -
Is raat ne bhi fir vahi sawal pucha hai,,
Bhrte hai jhakam ya bs in sang jeena sikha hai
Mita Diya hai jiska naam hatheli se
Dil se bhi voh nikale ja skte hai kya ?
Kehte hai Zamana badal jata hai waqt ke sath
Kya hum pehle jaise hi rehte hai kya ?
©deeptimishra -
वो बैठी तेरी यादों के संग
फिर तन्हा रात में
ढूंढती कुछ तस्वीरें तेरी
कुछ कांपती सी धड़कने,,
कुछ सिसकियां भी साथ थी
कुछ गलतियां भी अब साफ थी,,
ठहर जाती तेरा नाम पुकारते ही
सोचती "क्या अब भी बाकी हैं इश्क़ कही "?
सूखे गुलाब का पत्ता भी ढूंढा
ढूंढती तेरी हर बात को..,,
कहीं तेरी आंखे,, कहीं तेरी आवाज को
बिखरे बालों में ,,तेरी सांसों को
मेरी उंगलियों पर तेरे निशान को..,,
ढूंढती तुझसे जुड़े एहसास को
अपनी हथेली पर लिखे तेरे नाम को
तेरे बदलते चेहरे के हर रंग को..,,
तुझ संग बिताए हर पल को
वो ढूंढती खुद में, तेरी हमसफर को,,
कुछ अधमरे वादों को
कुछ दफन हो गए इरादों को,,
तुझमें खो चुकी , उस बेहोश को
उस वक्त को, उस होश को
बैठी तेरी यादों के संग
वो फिर तन्हा रात में...!!
©deeptimishra -
सागर को बांध से मोहब्बत हो जाएं
जब रैना सूरज के गले लग जाएं
गगन में पंछियों के घोंसले बन जाएं
हवां थम्बे,, मुस्कुराए और झूमती जाएं
डोलती इधर से उधर कुछ मधुर गीत गाएं
धरती अम्बर को देख शर्मा जाए
फूलों का रंग पत्तों पर निखरता जाएं
आए जब पतझड़ का मौसम
सूखे पत्तों का पेड़ कस कर हाथ थाम ले
वो मुसाफिर किसी शहर को भा जाएं
रोती आंखो को, लब हंसना सिखाया
सागर को बांध से मोहब्बत हो जाए
जब रैना सूरज के गले लग जाए...!!
©deeptimishra -
मेरे बिस्तर पर तेरे निशान हैं
ये बात जमाने भर से छुपानी हैं
चाहें दिल से कितना भी इश्क किया हो
बस जिस्म साफ हो,, फिर कहानी रूहानी हैं..!!
©deeptimishra -
मेरी मुस्कान मानो
गुलाब का बगीचा हो
जो हर ज़िंदगी मे
अपनी खुशबु भरना
चहता हो
और मेरे आंसू मानो
मधुशाला का कोई एक कोना
जहां बस सच्चे और पुराने
आशिक़ ही आया करते हो..
शायद बरबाद होने,, या
मुझमें आबाद होने..!!
©deeptimishra -
कुछ लकीरें हाथों में बनी थीं
कुछ लकीरें मैंने बनाई हैं
हां कुछ किस्मत सी भी होती हैं
पर कुछ तो किस्मत,, मेहनत से बनाई जाती हैं..!!
©deeptimishra -
There was a time
When a single thought about you used to make me smile
And now
Your memories steal my smile every time.
I wanted you at any cost
And now I think
I have paid too much.
©deeptimishra
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7saptarangi_lekhan 7w
#hindiwriters @hindiwriters #writersnetwork #gzsptrng #hindilekhan
दरवाज़ा....❤️क्या सोचा था और वो क्या निकला
उड़ाई जब धूल तो आसमा निकला
जिसे चिठ्ठी थमाई पहुँचाने के लिए
कबूतर वो पागल आवारा निकला
नहीं सँवारा जाए घर तो क्या हो
खिड़की खोली दरवाज़ा निकला
समझ रहे थे एक दिन की मजदूरी
वो तो रोज़ का आना जाना निकला
सुरमयी आँखें चाहती हैं हम को
दुपट्टा मगर उनका बेवफ़ा निकला
मिलाले हाँथ तो फिर से जी उठेंगे
गले से उसे लगाए ज़माना निकला
©7saptarangi_lekhan -
bohemian_ballerina 7w
#prose #wod @writersnetwork @miraquill
Thank you so much @writersnetwork for the kind repost!!Remember me,
Remember me as a vintage clock, that fades over time and rusts over its edges but never too late to be a classic.
I want you to remember me as the windmill we saw on our way back from the long walk, which wouldn't stop teasing the wind that blew my hair on your face.
I want you to remember me as the rows of trees that we pass in our commute while I rest my head on your shoulders, which continues to follow us till our journey ends.
I want you to remember me as a tide that we jumped over in joy which easily resurfaces again unlike real happiness.
I want you to remember me as a plain sheet of paper that could bury deep secrets and endless stanzas of poetry that flowed from your heart.
Remember us as a thing of the beautiful past and let go off the chains that we're bonded to, my love.
©bohemian_ballerina -
कहीं दूर से मुझ को सहर देखती थी
नद्दी की खुशीयों में आँख चमकती थी
ऊपर - ऊपर सन्नाटा पसरा रहता था
बे - चैनी अन्दर ही अन्दर चीखती थी
कितने अकेले थे हम जिंदगी के मकाँ में
ज़िंदगी हम को कितना डराया करती थी
खिलौनी हथियार थे जब नन्हें हाथों में
गम की परछाईं हमसे बच के चलती थी
लगाता था दौड़ इससे जीतने के लिए पर
ये राह मुझ से बहुत तेज़-तेज़ दौड़ती थी
कभी तुम ने मेरे दिल पर बीज बोया था
कभी मिरे इस दिल पर धूप उजली थी
शरमा के तुम ने जब पलके झुकाईं थी
ह'म ने आपके कानों की बाली देखी थी
एक घड़ी जब जिंदगी फर्ज निभाती थी
एक घड़ी जब लबों पे फरियाद रहती थी
गुलाब के कान में कुछ कहा था भंवरो ने
क्या सुन के आखिर कली मुस्कुरायी थी
रह-ए-लम्हात में एक ऐसा भी मोड़ आया
नहीं ' सप्तरंग ' जिसमें कोई चेतावनी थी
©7saptarangi_lekhan -
मैं शून्य तुल्य,
तू जुड़े,
तभी मेरा मूल्य।
©jigna_a -
deovrat 10w
ज़िक्र
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ज़िक्र-ए-मोहब्बत से दिल कुछ तो सुकूँ पाता।
उसकी वफ़ा के किस्से सुनाता तो यकीं आता।।
चलो बेसाख़्ता ही कुफ़्र से तौबा तो की उसनें।
बला की तोहमतें सर थीं वो कैसे सामने आता।।
रहा तनहा मग़र उसकी ज़ुबां ख़ामोश सी क्यूँ है।
जो कोई जिक्र कर लेता जैसे दम निकल जाता।।
करोगे इस क़दर शिक़वे नहीं मालूम था उसको।
दिले नाज़ुक की बातें हैं कलेजा मुँह को है आता।।
जो कभी आईन दिल के आईने में देख लेते हम।
खोया था वो मिल जाता आगे भी संभल जाता।।
'अयन' इतनी सी हसरत है मिल पाएं ख़ुदी से भी।
दहर की सैर पर काश! ये अरमां भी निकल जाता।।
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©deovrat 'अयन' 22.04.2022 -
आंगन में जल ,राख हो गई थीं,
मेरी राख तलक बची नही थी,
सजी उस दिन बहुत दुल्हन तेरी,
मेरे जैसी मगर सजी नहीं थी!
-शायरा -
thelonesurvivor 11w
Confused
#wod #never @miraquill @writersnetwork
Thanks alot @writersnetwork ❤️I can never understand
why people get their children married in the first place
if you can't trust their partner's love and care for them.
I can never understand
if it is not meant to be,
why we cross paths with some people in our lives.
I can never understand
if he/she is the one
then why aren't they with the one they love.
I can never understand
if matches are made in heaven
then why some end up divorced.
©thelonesurvivor -
बहन को चिट्ठी
तितली(✿ ♡‿♡),
कितना मुनासिब है बहनों की रीढ़ की हड्डी खींच कर उन्हें समय से पहले बड़ा करना,हम खाएं दूध भात और उन्हें मिले बस बुखार से तपता हुआ माथा जिससे बार बार हाथ जला बैठती हैं। इस बात की खुशी होती है बहन ने भाई के दुःख हरने के लिए ग्रंथ रच दिए बदले में भाई के हथेली में मिला भाग्य का कटोरा जिसमें रोपते रहते हैं बहनों के सुख दुःख से भरे आंसू।
अक्सर ईश्वर से यही प्रार्थना फुसफुसाते रहता हूं बहन को सुख दुःख के फेर में ज्यादा ना फंसाए,उसे थोड़े दुःख भरे ठोकर और मिले जिससे मजबूत बनी रहे,बस हर ठोकर के बाद के लड़खड़ाहट पर सम्हालने के लिए पीछे मौजूद रहूं।
वर्षों का समय कुछ सेकेंड में बीत जाता है और बहन ले लेती है फेरा।कितना असहाय महसूस होता है जब साड़ी में अपनी स्मृतियों के गांठ बांधना पड़ता है और बहन बनी रहती है गरम आंसूओं से तपता हुआ घड़ा।घर को लगता है जैसे लील रहा हो कोई ब्लैकहोल सिर्फ़ बचा रहता है बहन के नन्हें हाथों के छाप जो पूरे घर में चमकते रहते हैं।
/तुम्हारा भाई -
वही है एक जो सबको प्यार करती है दुआएँ देती है
' माँ ' अपने बच्चों में कभी भेद भाव नहीं करती
©7saptarangi_lekhan -
7saptarangi_lekhan 13w
#hindiwriters @hindiwriters #writersnetwork #hindilekhan #gzsptrng
कहते कहते....❤️आज की रात बहुत काली थी
सूरज ने चाँदनी पाली थी
समझ रहे थे जिसे कहकशाँ
वो तो महज़ एक थाली थी
महकती रहीं जो आठ - पहर
वो बाहें फू'लों की डाली थी
मोहब्बत मिली बचपन मिला
कल मैं ने यादें खंगाली थी
दोस्ती महँगी पड़ी मुझ को
दुशमनी भी मेरी ज़ाली थी
समझ रहे थे तारीफ़ के पुल
दरअसल मिरे लिए गाली थी
कोई चाँद समझता कोई सूरज
वो तो तेरे कान की बाली थी
हमारे शेर में आसमां लाल था
या फिर तिरे लबों की लाली थी
'सप्तरंग' तस्वीर मिलगई आज
जो आपने कब से संभाली थी
©7saptarangi_lekhan
