तारा⭐
हसरतों के आसमान पर टिमटिमाता है इक तारा,
इक रोज़ छू कर मेरे व्यथित हृदय को है पुकारा।
पाषाण सी थी मैं जाने कब से!मोम सी पिघल गई,
खुशियों से भर कर दामन मेरा जीवन है संवारा।।
अर्चना तिवारी तनुजा ✍️
©archanatiwari
कैसी है आप?