प्रिय वादा...
प्रिय वादा, तुम्हे मैने जेब में जो रखा, तुमने मेरे दिल पर वार कर दिया,
की तुमने सांस लेना तो तय किया पर आह भरने से इनकार कर दिया,
की कलाई पर घड़ी तो तुमने नज़ाकत से बांध दी, उसमे चाबी भी भर दी, पर दिल से इंतजार करने हक तुमने, कठोरता से छिन लिया
की हथेली तो मुझे सलामत दी,उसपर लकीरें भी कुरेद दी, पर जब उनकी किसी से जुड़ने की बारी आई तो तुमने, तकदीर को बीच में टोक दिया
की किताब तो तुमने मुझे पकड़ा दी, भाषा भी मुझे समझा दी, मगर उसमे पड़ा पुराना गुलाब छूने से तुमने, उंगलियों को परहेज़ कर दिया
की मेरे कदमों को तुमने मंदिर का रास्ता तो दिखा दिया पर जब दुवा में उसे मांगने की बारी आई तो जलते कपूर से तुमने, मेरा हाथ जला दिया
की दिखे गर वो किसी चौराहे पर तो नजरों को तुमने नहीं रोका, मगर जब भर आई वही आंख तो पलको को तुमने, नहाने से मना कर दिया
की उस ठहरे वक्त को तुमने बा-इज्जत बरी तो कर दिया मगर उसमे बने मासूम लम्हों को तुमने, फांसी पर लटका दिया
प्रिय वादा,तुमसे थोड़ी वफाई जो निभाई, तुमने मुझे मंजर से हटा दिया,
की ज़िंदगी काटना तो तुमने बड़े शौक़ से लिख दिया पर ज़िंदगी जीना तुमने, उसी बे-रहमी से मिटा दिया।
@nik_heal_khandare
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Charchit khandelwal
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