मासूम सा चेहरा, गाल गुलाबी, हल्की सी मुस्कान लिए है,
कोई और नहीं ये खूबी ओढ़े, ये तो मेरी वही प्रिये है,
स्वभाव नरम तो कभी गरम है, चंचल वो मदमस्त पतंग है,
वैसे वो है चांद सी शीतल, कभी वही हड़कंप द्वंद्व है।
~ehsaas_arav
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ehsaas_arav 20w
13 2 2- succhiii बहुत सुंदर 👌👌👌💐💐
- ehsaas_arav @succhiii tah-e-dil se shukriya dost, really happy
ehsaas_arav 20w
सपने में कल पापा का आना हुआ,
उन्हें देखकर रहा ना गया
मेरा उन्हें कसकर गले लगाना हुआ,
नये जीवन का जैसे आभास और आगाज हुआ,
उन्हें मुस्कुराता देख जैसे मैं पुनः जीवंत हुआ,
वक़्त बिताया बातें हुई, काफी हंसी ठिठोली भी चली,
जैसे अधजली किताब के बचे पन्नों को
पानी की बौछार मिली,
पापा के स्नेह की छत्रछाया में
मैं मंत्रमुग्ध हो गया था,
जी ऐसे रहा था जैसे
स्वप्न ही अब जीवन हो गया था।
~ehsaas_arav8 4 2rituchaudhry 20w
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#vimal_tyagiहम जॉन नहीं तो क्या
हादसों की कमी तो नहीं
©rituchaudhryPhoto By Zdenk Machek on Unsplash17 6 5- bubbly_bluebells
- rituchaudhry @bubbly_bluebells
- rituchaudhry @iamfirebird ,
- da_badshah
- rituchaudhry @da_badshah
73mishrasanju 29w
बस यूँ ही
तम तमी अँखियों में बीत गई ,
तुम बेवज़ा फिर याद आ गई ।
हम टूट गए थे बा वज़ तुम पर
तुम तम सी बेवफ़ा यामिनी हो गई।
बा वज़ / सभ्यता के साथ
बेवज़ा/ बगैर बनावटी ढंग के
©73mishrasanju
26 /10/2021 4:00 amPhoto By Eric Mller on Unsplash37 7 14- dil_k_ahsaas Wahhh
- bal_ram_pandey Kya khoob likha aapne ✍️
- raaj_kalam_ka khub
-
mallah
बड़े दिनो बाद मिले की मरहम भी खिल उठा
हम ताक में थे जाने कैसे तस्वीर में वो दिखा - roshni31 Khubsurat
khanmt50 34w
मोहब्बत की सज़ा
मोहब्बत की सज़ा अब सरेआम दिया जाए,
इल्जाम कोई भी रहे बस मेरा नाम लिया जाए।
©khanmt504 0khanmt50 34w
शक्स
अजीब ये शक्स था जो कभी खुश मुझे रहने ना दिया,
खुद खुश ना रहा और मुझे कभी कहने ना दिया।
©khanmt505 0khanmt50 35w
गुनाह
गुनाह जब हद से गुज़रता है तो ख़िराज मांगता है,
सज़ा भी अपने करीने से चल के आती है।
©khanmt502 073mishrasanju 39w
तकिया
मैंने बदल दिया है
वह तकिया जिस पर सर रखकर हम सोते थे
सपने देखते थे
बहुत दिनों तक मेरी नींद सोख लेता था वह तकिया
सपने बुलबुले हो गए
अपने जाने कहां खो गए
धुल धुल कर भी ना गई तुम्हारी खुशबू
उस तकिए से
मेरा रतजगा बुलाती रही हर रात
बिस्तर के हर तरफ से उतरता रहा, चढ़ता रहा पैर ,पेट ,कांधे सब सो गए ,सोते रहे
सिवाय एक मन के ,
जो प्रेत सा उड़ता रहा रात भर जागता रहा या पीता रहा अश्क ,मन मेरा ,अब
मैंने वह तकिया बदल दिया है ।
संजय मिश्रा
15/8/2021
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends56 11 18- saknim24 Kya baat mishraji
- sakshi_trivedi ☺️☺️
- pritty_sandilya Waaahhhh ❤️
- dil_k_ahsaas Beautiful
- shobharani Bahut khub
73mishrasanju 50w
जागृत स्वप्न
दिनभर की थकन से पस्त हुआ
बिस्तर पर आकर बैठा था
आँखे बोझिल होती जाती थी
जैसे तैसे सिरहाना सर को टिकाया था
सरगोश नींद की हुई शुरू
तभी शरारत करके अचानक
मन ने सपनों को जगा दिया
सोने पर तो सभी देखते
तुम देखो जगती आँखों से ख़्वाब
गहन नींद में गाहेबगाहे आये
सपनों की तुलना से अधिक सजग होंगे
नींद बेचारी अचकचाई सी
ये गई कि वो गई
देखने सपने शुरू किये
बढ़ते ही गए बढ़ते ही गए
कुछ छूटा कुछ पकड़ा
कुछ बांधा कुछ छोड़ा
कुछ लिया सहेज लिया सदा के लिए
कुछ छोड़ दिए बस गिरह लगा
ताना बाना भूली बिसरी
खट्टी मीठी यादों की
डोर पकड़ बढ़ता ही गया
सपनों की विस्तृत ये चादर
जितनी समेटी उतनी ही
फैलती गई जिद्दन बच्ची सी
कुछ रंग बिरंगे से सपने थे
कुछ काले और सफेद भी थे
कुछ स्वप्नों पर थी राख जमी
कुछ दहके हुए लावे भी थे
कुछ बर्फ से सर्द कठिन थे
कुछ रंग बहारों के भी थे
कुछ बीत चुके सपने भी थे
कुछ नए सँजोये से भी थे
सपनों की आपा धापी में
गुजर तीसरा प्रहर गया
नींद कहीं पथराई सी
इंतजार करती होगी
मैं सोच रहा आँखे खोले
कल सुबह हकीकत क्या होगी
सब प्यारे सपने पलकों में भर
आँखों को कसकर भींच लिया
अब नींद रूठ कर बैठी है
आती भी नहीं बुलाने से
संजय मिश्रा
3/6/2021
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends45 8 21- lazybongness Sundar likha hain aapne
- 73mishrasanju @lazybongness धन्यवाद
- 73mishrasanju @kanishkasharma17 कृपया व्हाट्सएप पर संपर्क करें । 9926767748
- sakshi_trivedi
- lovenotes_from_carolyn Shandaar lekhan!
73mishrasanju 55w
जलती चिताओं की अनल अब ,
दावानल वलय सी लगती है ।
चमकती बेफिक्र ज़िंदगी अब ,
धुँआ धुँआ , राख सी लगती है ।
संजय मिश्रा - 1/5 / 2021
©73mishrasanju
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स्वप्नद्रष्टा
मै एक अचेतन स्वप्नदृष्टा
देखता हूँ अलस भोर में अँधकार से निकल भागने को आतुर सूर्य की छटपटाहट
दोपहर को खुले आसमान में रार मचाते धरा को दह्काते सूर्य को
और सांझ के साँवरे सलोने उच्च भाल पर बिंदी से जड़े शालीन सूर्य को
मैं महसूस करता हूँ सुदूर प्रांतों से लंबा रास्ता
तय करके आईं अद्भुत गुलाबी हवाओं को
देखता हूँ मै विस्मय से मुंह खोले से नवपल्लवित नर्म पौधों को
देख पाता हूँ चाँद के देर से आने पर भयभीत हिरणी सी बेसुध होती और खिल उठती चांदनी को
हां मै हूँ एक अचेतन स्वप्नदृष्टा
संजय मिश्रा 26/04/2019
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends50 5 20- rani_shri
- 73mishrasanju @rani_shri धन्यवाद
- ravindra_upadhyay_gunjan Wahh
- sanjeevshukla_ वाह्ह्हह्ह्ह्ह
- lovenotes_from_carolyn Adbhut sapane!
73mishrasanju 64w
जीवन बोध
स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं कुछ उजले कुछ धुंधले-धुंधले।
जीवन के बीते क्षण भी अब कुछ लगते है बदले-बदले।
जीवन की तो अबाध गति है, है इसमें अर्द्धविराम कहाँ
हारा और थका निरीह जीव ले सके तनिक विश्राम जहाँ
लगता है पूर्ण विराम किन्तु शाश्वत गति है वो आत्मा की
ज्यों लहर उठी और शान्त हुई हम आज चले कुछ चल निकले।
स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं ... ...
छिपते भोरहरी तारे का, सन्ध्या में दीप सहारे का
फिर चित्र खींच लाया है मन, सरिता के शान्त किनारे का
थी मनश्क्षितिज डूब रही, आवेगोत्पीड़ित उर नौका
मोहक आँखों का जाल लिये, आये जब तुम पहले-पहले।
स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं ... ...
मन की अतृप्त इच्छाओं में, यौवन की अभिलाषाओं में
हम नीड़ बनाते फिरते थे, तारों में और उल्काओं में
फिर आँधी एक चली ऐसी, प्रासाद हृदय का छिन्न हुआ
अब उस अतीत के खंडहर में, फिरते हैं हम पगले-पगले।
स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं ... ...
अज्ञात
If you like, please tag your friends75 10 24- ravindra_upadhyay_gunjan Wahhh ❤
-
madhursankhla_21prerna
Beautiful...
Very good afternoon - 73mishrasanju @madhursankhla_21prerna Good afternoon .
-
madhursankhla_21prerna
Thank you for reading my posts...
Thank you for reposting also...
Thanks a lot...
shashiinderjeet 79w
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
आप सब के जीवन में खुशियों के पुष्प खिलाएँ
शशिइन्द्रजीत
#दीपावली
#mirakee #writersnetwork #HUnetwork #hindilekhan #hindiwriters #hindi_poetry #hindisahitya #hindinama #writersofinstagram #stories #hksशुभ कामनाएँ....
दीपावली
माना कोरोना ने बदहवास किया
फिर भी हम जी भर खिलखिलाएं गे
भारतवासी मिल मिटटी के दीप जला
अमावस में पूर्णिमा धरा पर लाएं गे
रामराज्य समरसता की महक फैला
सितारों सा भारत को जगमगाएं गे
विजय पर्व से सीख ले धर्म विजय की
उर को सत्य धर्म गुणों से सजाएं गे
घृणा की विष सोच मिटा सब उर से
एकता की पताका सभी लहराएं गे
अपने सद गुणों से भर सब के उर
विश्व को भी एकता अमृत पिलाएं गे
जिस मानव में भरे नहीं हैं मानव गुण
उनको मानवता का गुण सिखलाएं गे
©shashiinderjeet14 0 1shashiinderjeet 82w
नवरात्र मर्यादा
जिन घरों में संस्कारों को मान दिया जाता है ,
माँ का , बहन का आदर करना सिखाया जाता है,
वो ही बच्चे अनजान लड़कियों की इज्ज़त बचाने में
अपने प्राणों की बलि दे देते हैं ।
ऐसे लाखों उदाहरण मिलते हैं ।
गंदे संस्कारों में पले नशे में ,
अनेकों व्यसनों में लिप्त ,
हर नारी में वेश्या देखने वाले
अपनी माँ , बहन का अपमान करने वाले ही
बलात्कार जैसे घृणित अपराध करते हैं ।
किसी भी धार्मिक परिवार के बच्चों में
मैने अपने जीवन में ऐसे कुकर्मी को कभी नहीं देखा ।
कृप्या सभी धार्मिक लोगों से अनुरोध है
कि वो ईश्वरी शक्ति को नारी के साथ जोड़ कर
अपनी पोस्ट से गलत संदेश न दें ।
सर्व प्रथम हिन्दू धर्म का स्वयं अच्छी तरह से ज्ञान अर्जित करें ,
फिर उसे पोस्ट में डालें ।
नवरात्र मर्यादा को भंग न करें ।
धन्यवाद्
©shashiinderjeet19 1 4-
wordsofpragya
Wow!! Beautiful lines.Your words are magical.✨You can publish your writings in a book.
I'm compiling an anthology named, "SHADES OF NIGHT". Dm me on Instagram: @wordsofpragya .....If you want to be a co-author in this book to rewrite your own stars. You'll get many special rewards.
73mishrasanju 82w
ये दिल अपना न जाने क्यूँ
यूँ ही बस टूट जाता है
मनाते हैं जो हम दिल को
तो जग ये, रूठ जाता है
मेरी दीवानगी मुझको,
कहाँ ले कर के जाएगी
मेरी ख़्वाहिश किसी को भी,
न शायद रास आएगी
ये ग़म मेरा न जाने क्यूँ,
मुझी पर मुस्कुराता है
मनाते हैं जो हम दिल को
तो जग ये, रूठ जाता है
खिज़ाओं में बसे थे हम,
बहारें थीं मुहाने पर
क़रीब आईं नहीं पल भर,
मेरे इतना बुलाने पर
ये 'सच' मेरा न जाने क्यूँ,
मुझे बरबस रुलाता है
मनाते हैं जो हम दिल को,
तो जग ये रूठ जाता है
मेरी ख़ुशियाँ मेरे दिल से,
यूँ ही तक़रार करती हैं
ज़रा ख़ुश हम जो होते हैं,
हमीं पर वार करती हैं
मेरा हँसना, न जाने क्यूँ
क़हर मुझ पर ही ढाता है
मनाते हैं जो हम दिलको
तो जग ये रूठ जाता है
ये दिल अपना,न जाने क्यूँ
यूँ ही बस टूट जाता है
मनाते हैं जो हम दिल को
तो जग ये, रूठ जाता है
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends
©73mishrasanju103 15 38- neelthefeel Extraordinary writing .....
- rekhta_ Kaafi khubsurat likha hai aapne❤️❤️
- mrkhan56 Bahut khoob
- psprem Nice one ️
- sanjeevshukla_ वाह्ह... बहुत बहुत खूबसूरत कविता..
ehsaas_arav 83w
sorry to be unavailable for such a long time
hope you all are doing well
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@writedilse @hindiwriters
@hindiurdu_saahitya.
10 2 173mishrasanju 83w
मेरा इश्क़ ही मेरी ज़िंदगी , इसको मिटायें किस तरह ,
तेरी ज़ुस्तज़ू में जी रहे , तुझे भूल जायें किस तरह ।
बीत जाये उम्र यूँ ही , नाम तेरे कर जो दी ,
मेरी ज़िंदगी बेहिसाब है , इसका हिसाब दूँ किस तरह।
हद से गुज़र जाये यूँ ही , ये तड़प जो मेरे दिल की है
ये ईनाम हैं जो ज़ख्म हैं , उनको छिपायें किस तरह।
दर पर तेरे झुक जाये यूँ ही , सज़दे को मेरी नज़र ,
तू ख़ुदा है मेरा ख़फ़ा है क्यूँ , तुझको मनायें किस तरह।
मेरी सांस रूक जाये यूँ ही , तेरी ख़ुशबू अब जुदा न हो ,
धड़कन मेरी तेरे नाम हैं , तेरा नाम न लूँ किस तरह,
करे जा सितम मुझ पर यूँ ही , तेरी हर सज़ा क़ुबूल है ,
मुझे दर्द देना अदा तेरी , इसे न कुबूलूँ किस तरह ।
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends82 11 32- sanjeevshukla_ बहुत खूब
- vishal_pandhare वाह बेहद कमाल का लिखा है
- 73mishrasanju @rani_shri शायद आपके ईश्क़ क्यूँ हुआ , का ही विस्तार है । please look.
- rani_shri Bakamaal
- 73mishrasanju @rani_shri तहेदिल से शुक्रिया
73mishrasanju 83w
बैठ किनारे , देखता हुआ
सरोवर में गिरती उन बूँदों को
ओस की बूँदें , जो
झिलमिलातीं, सपनों की रात सी ,
परिणीति, तरंगें उत्पन्न करतीं ,
आश्चर्य है ! मेरा हृदय भी शांत ,
किन्तु कहीं-कहीं पर
डूबती - उतराती
वह यादें , जो ओस बन मेरी पलकों से झरीं थी कभी ।
देखता हूँ मैं कि मेरे छूते ही ,
वह पत्ता काँप उठता है,
सह नहीं पाता क्या वह भी,
तपती रेत की तरह मेरी आस को,
जो चुनती है ,
ओस ,
और सुंदरतम अतीत के ,
भाव विह्वल पल,
जैसे कि मैं फिर पूछता हूँ तुमसे ,
क्या मैं ,
देख सकता हूँ तुम्हें ?
अपने हाथों से ?
तुम मुस्कुरा देती हो,
अहसास करके मेरे हाथों की छुअन का ,
वह स्पर्श , जो अधरों से किया , तुम्हारा ,
मेरी अंगुलियों ने कभी ।
आह ! नहीं है अंत इसका , यह सब कुछ,
बनेगा - मिटेगा
बस इसी तरह से,
लहरें-तरंगें , आत्मसरोवर में उठेंगी किन्तु ?
यह भी हलाहल है जो ,
मजबूर कर रहा है , मुझे ,
शिव बनने को ।
बैठ किनारे ,
सोचता हूँ मैं ,
तुमसे है जीवन या तुमसे था कभी ?
©73mishrasanju
If you like, please tag your friends61 12 23- bal_ram_pandey Ji kya khoob ✍️✍️
- 73mishrasanju @athira785 Thank you
- sanjeevshukla_ वाह्ह्ह... वाह्ह्ह.. वाह्ह्हह्ह्ह्ह... बस वाह्ह..
- 73mishrasanju @sanjeevshukla_ मेरे लेखन को पढ़ने और पसंद करने के लिए धन्यवाद मित्र
rituchaudhry 89w
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क्या होगा कहो ग़र मिल जाओ तुम तो
©rituchaudhry50 32 14- rituchaudhry @satender_tiwari_brokenwords aabhar
- shashiinderjeet O dear , aap ne english mei bhi bahut khoob likha hai, sari rachnaye khoob surat hain ,aap jin ko copyright nhimdiya use apna copyright dedo
- rituchaudhry @shashiinderjeet I didn't understand last bit of your sentence regarding copyright 'dedo' what does this word mean.
- uttamky Kya baat h..❣️❣️✍️
- rituchaudhry @uttamky शुक्रिया
rituchaudhry 89w
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©rituchaudhry46 28 14- rituchaudhry @shriradhey_apt shukriya
- blame_game_
- _laconic Waah❤
- rituchaudhry Shukriya @_aahana_ ,❤️❤️❤️❤️
- rituchaudhry Shukriya @lushlust