"एक शब्द"
एक शब्द से शुरुआत करते हैं,
कविता में कुछ जगह छोड़ देते हैं,
और उन जगहों को तेरे नाम से भरते हैं।
आगे हो या पीछे, प्रेम तेरे नाम के साथ रहेगा,
तू जैसे जैसे कविता पढ़ती जाएगी,
अश्रु हर पंक्ति के साथ बहेगा।
कविता में लिखे हर शब्द तुझे कुछ और सुनाई देंगे,
मुझे प्रेम तुझसे आज भी है, हर शब्द तुझसे यही कहेंगे।
मेरे यार दोस्त सब तुझे भूल जाने को कहते हैं,
अरे वही, जो मेरे हर ऊंच-नीच में मेरे साथ रहते हैं।
और सच बताऊँ तो तुझे भूलना तो मैं भी चाहता हूँ,
मग़र तू मेरे कविताओं की पंक्तियाँ बन गयी है,
तेरी सारी बातें और यादें मेरे कलम की स्याही बन गयी है।
अक्सर तेरा ज़िक्र महफ़िल में मेरे यार कर देते हैं,
मैं मना भी करूँ तो मेरी ग्लास जाम से भर देते हैं,
यहाँ भी मैं अपनी कविता तेरे नाम से पढ़ता हूँ,
फ़िर बोतल उठा कर जाम अपने हाथ से भरता हूँ।
-वैभव
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