जज़्बात , सवारा करती ।
न कोई रंग – रूप , ज़रूरी फिर भी ।
ए कुदरत , तू इतनी नायाब !
फ़िर भी , तेरे अक्स को संभाल न पाएं ।
कितने अहसान – फरामोश साबित हुएं ।
©anuradhasharma
#naturerichness
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anuradhasharma 64w