#rachanaprati127
सुख में
दुःख में
सारे जग में पहले
जुबां पर जो आता है वो नाम है माँ
©gauravs
#rachanaprati126
9 posts-
gauravs 34w
#rachanaprati126 की सफल संचालन की @kshatrani_words जी को बहुत बहुत बधाई और विजेता @anusugandh जी को भी बहुत बहुत बधाई
#rachanaprati127 पहली जिम्मेदारी संचालन की मेरे लिए किसी परिक्षा से कम नहीं है कोशिश कर रहा हूँ गलती हो जाए तो माफ कर दीजिएगा
ये विषय रचनाप्रति में शायद पहले भी आया होगा और माँ को एक विषय बनाकर बहुत लोगों ने बहुत कुछ लिखा हुआ भी है. शायद ही कोई कवि, शायर, ऐसा हो जिसने माँ पर लिखा ना हो...लेकिन
हम सभी के माँ से जुड़े हुए कुछ ऐसे ज़ज्बात, कुछ ऐसी यादें जो कभी आँखे नम कर देती है तो कभी चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है.
माँ को जो बाते हम कभी कह नहीं पाए
शायद वो खूबसूरत लफ्जों में उतर आए.
#rachanaprati127 का विषय है 'माँ' ..
समय सीमा 2 दिन परसों 15 दिसम्बर रात 8 बजे तक31 39 10_tajraba 34w
सर्वप्रथम समय से काफी देरी के लिए माफी मांगते हैं आप सभी से।
और @mamtapoet ma'am का पुनः बहुत बहुत आभार।
आप सभी ने अपना समय निकाल कर प्रतियोगिता में भाग लिया, उसके लिए आभारी है हम आपके।
/anusugandh ma'am की रचना पढ़कर बहुत गौरव महसूस हुआ है की कैसे वो अपना फर्ज हर तरीके से निभा रही। फिर से ma'am हम कहते हैं, हमे क्या हम सभी को आप पर गर्व है।
@_do_lafj_ ji की लघु कहानी ने हमारे आंखों में सच में आंसू ला दिए। जितनी खुशी उस बच्चे को आपने दी है उससे ज्यादा आपको मिली होगी या मिलेगी।
@goldenwrites_jakir भाई जी यथार्थ को बड़े ही कड़वे लेकिन खूबसूरती से उजागर किया।
@anandbarun sir हम आपके शुद्ध हिंदी के कायल हैं। आपने जिस खूबसूरती से आत्मचिंतन किया, काश वैसे ही सब कर पाते तो आज हमारा ये समाज न जानें कितनी ऊंचाइयों को छू रहा होता। आपकी लेखनी को प्रणाम।
आप सभी की ही रचना उत्कृष्ट है, इसलिए हमारे लिए आप सभी ही विजेता हैं।
लेकिन एक निर्णायक के रूप में हम /anusugandh ma'am को #rachanaprati126 का विजेता चुनते हैं। आपको ढेर सारी बधाई ma'am.
कोई भी गलती हुई हो तो हम माफी मांगते है ।
#rachanaprati127 के संचालन के लिए हम @gauravs जी को आमंत्रित करते हैं। आपको संचालन की बहुत बधाइयां ।#rachanaprati126
#rachanaprati126 की विजेता @anusugandh ma'am हैं। आपको ढेर सारी बधाईयां ma'am.
#rachanaprati127 के संचालन के लिए हम @gauravs जी को आमंत्रित करते हैं। आपको संचालन की बहुत बधाइयां ।26 16 9- _do_lafj_ @anandbarun Thank you so much sir❣️
- gannudairy_ @anusugandh मुबारक हो यारा ❣️
- gannudairy_ @gauravs मुबारक हो गौरव भाई
- anusugandh @mamtapoet thanks dear❤️❤️
- anusugandh @gannudairy_ thanks a lot dear❤️
anandbarun 34w
@kshatrani_words #rachanaprati126
मैंने, यह नुस्खा आजमाया है
बहुत कारगर साबित हुआ है
हाँ, कभी कोहरा घना तना है
कभी सूरज भी अस्त हुआ है
पर मन को राह दिखलाता है
सदा सुबुद्धि संचरित हुआ हैआत्ममंथन
इस जीवन की उथल-पुथल में घिरे
नित कुछ आत्म चिंतन के पल रहे
मुख्यतः जीवन की समस्त समस्याएं
अर्थ, स्वास्थ्य और रिश्तों से हैं जुड़े
पर, रिश्तों को सुधारने में वक्त लगे
यह सर्वाधिक प्रतिकूल असर करे
और अंततः सौभाग्य को भी पलट दे
अन्य को सुधारने से पहले, पहल रहे
समझ को इक नया आयाम है देने
नित्यप्रति उन्हें प्रार्थना में जरूर लाएं
उनके खुशियों हेतु मन में भाव जगाएं
जिन से रंजिश हो तनिक भी मन में
उन्हें माफ कर, उनके गुणों को गिनें
कलुष के कोहरे तितर-बितर कर के
मन को आनन्द का आगार बनाएं
उत्तम स्वास्थ्य और वैभव स्वतः पनपे
और शत्रु भी मित्रवत आचरण करे
नव प्रभात का अविर्भाव हो जीवन में
जन्म सार्थक कर अनुकरणीय बनें
जग प्रकाशित कर सूरज सा खिलें
©anandbarun25 12 9- aryaaverma12 उत्कृष्ट प्रदर्शन
- psprem Bahut achchha hai.
- alkatripathi79 अद्भुत रचना
-
anandbarun
@anusugandh @jigna_a @amar61090 @mamtapoet @iamankyt
बहुत-बहुत आभार -
anandbarun
@monadeep @kshatrani_words @aryaaverma12 @psprem @alkatripathi79
बहुत-बहुत शुक्रिया
_do_lafj_ 34w
Short story
रवि एक 14 साल का बच्चा,
बाबा नही है उसके,
बस माँ और एक छोटी बहन है,
माँ आज सुबह ही कहती है,
की घर मे आटा खत्म हो गया है,
आते वक्त लेते आना,
रवि ने सिर हिलाया बोला हां,
लेते आऊँगा,
माँ को हां तो कह दिया कि लेते आऊँगा,
अगर आज कोई दिया नही बिका तो,
आज फिर माँ और गुड़िया भूखी सो जाएंगी,
यही सब सोचते सोचते उसने दियों से भरे,
झोले को उठाया और चल दिया बाजार की तरफ,
जहाँ वो रोज अपना ठेला लगाता था,
अभी 14 साल का बस बच्चा ही तो है,
पर बाबा के जाने के बाद उसके पास आय का बस यही एक उपाय था,
जिससे वो अपने मां और बहन के लिए दो वक्त की रोटी ले पाता था,
कल एक भी दिए नही बिके थे,
क्योंकि उसके ठेले के सामने किसी ने बड़ी सी दुकान खोल दी थी,
आता जाता हर शक्स उस दुकान की तरफ चला जाता था,
रवि के ठेले की तरफ तो किसी की नजर तक नही जाती थी,
आज उसकी आँखों मे आंसू थे,
माँ और बहन इंतेज़ार कर रहे होंगे,
की आज खाने के लिए कुछ मिलेगा,
पर अब तक केवल 10 दिए ही बिके थे,
पर अब भी उसने आस नही छोड़ी,
थोड़े दिए ही सही बिकेंगे,
कोई ना कोई तो ख़रीदेगा,
""ना जाने क्यों बड़ी दुकान देख के हम भूल जाते है,
की इन् छोटे ठेले वालो के घर कैसे चलते होंगे,
सुबह से धूप में बस इस इंतेज़ार में रहते है,
की समान बिकेगा तो घर पे आज कोई भूखा नही सोएगा,
बड़ी दुकानों पे जाके वो जितने पैसे बोले तुरंत दे देते है,
पर किसी छोटी दुकान पे जाके मोलभाव करना जरूरी होता है,
अगर कुछ पैसे ज्यादा दे देंगे तो हमारा तो शायद कुछ नही जाएगा,
पर उनके लिए थोड़ी खुशियाँ आ जाएंगी,
पर आज कल सबको हर चीज Branded चाहिए,
खुद के लिए नही दूसरों को दिखाने के लिए,
किसी के पास खाने को कुछ नही ,
तो कोई brand के नाम पे लाखों उड़ा देता है।।"
#rachanaprati126
@alkatripathi79 @goldenwrites_jakir @anusugandh @mamtapoet @kshatrani_words
❣️बहुत कीमती हो जाती है ये मुस्कान भी,
जब कोई आंसुओ की कीमत जानता है।।❣️
©_do_lafj_24 25 9- _do_lafj_ @anusugandh Thank you so much dii
- _do_lafj_ @amar61090 Thank you
- _do_lafj_ @vishalbeaster Thank you so much
-
_tajraba
Hm smjh skte hai aapko. Aapki jaisi ikchha ho
Aapka bahut bahut shukriya aapne bhaag liya - _mr_cute_ Bahut khoob kya likha h beta
anusugandh 34w
#rachanaprati126@kshatrani_words
किया जब आत्मचिंतन अपना
क्या दिया देश के लिए योगदान कुछ अपना
ऐसा लगा शायद जीवन यूं ही व्यर्थ चला गया ....
फिर अंदर अपना टटोला
दिल का दरवाजा खोला
ध्यान एक एक चीज़ पर लगाया
अपने आसपास नज़रों को घुमाया
जब पर्यावरण को स्वच्छ बनाया
कूड़ा करकट नहीं जलाया
तो पर्यावरण के साथ-साथ
देश प्रदेश को स्वच्छ बनाया
जल संकट कम करने को
पानी भी खूब बचाया
पहले बिजली जलती रहती
अब ध्यान बटन पर लगाया
जब निकले कमरे से बाहर
बटन पर हाथ दबाया
जिस गौ माता का दूध हम पीते
उसकी रक्षा सब क्यों नहीं करते
गौ माता की रक्षा करने को
अभियान में साथ निभाया
पर्यावरण शुद्ध रहे
दिवाली पर जश्न मनाया
पर पटाखों से परहेज़ करवाया
इन थोड़े-थोड़े प्रयासों से
देश का साथ निभाया
तो लगा ज्यादा नहीं तो
कम से कम थोड़ा तो
अपना योगदान करवाया
समाज के प्रति कर्तव्य है यह हमारा
कुछ ना कर सको तो
सभी अगर करें योगदान थोड़ा
तो देश का उद्धार हो जाएगा साराआत्मचिंतन
अंत में एक बात का
और करती हूं खुलासा
एक ही बेटा वही
देश के नाम करवाया
रखकर कलेजे पर पत्थर
फौज में भर्ती करवाया
अब टटोला अंतर्मन
ये ही आवाज़ आई
बुरा नहीं किया किसीका
बस यही तसल्ली मन को भाई
न जाने कितनी की देश भक्ति
कितना देश के काम आई
यह सब आप पर छोड़ती हूँ
अब आप ही न्याय करो
सब मिराकाई24 24 9-
anusugandh
@mamtapoet बहुत बहुत शुक्रिया ममता आपका इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए ।
आप जैसे पाठकों को पाकर हम धन्य हो गए, बहुत अच्छा लगता कि हम कुछ अपने देश के लिए करें, अपने समाज के लिए अच्छे से अच्छा अपना योगदान दें, अपना काम बस ईमानदारी से करें बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मेरी छोटी बहन❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ - anusugandh @monadeep so many thanks my dear❤️❤️❤️❤️❤️❤️
- mamtapoet @anusugandh
- _tajraba @anusugandh bilkul shi kaha aapne mam bilkul shi kaha. Aapko phir se bdhai
- anusugandh @kshatrani_words ❤️❤️❤️❤️
_tajraba 34w
12 Dec. 2021
#rachanaprati126
सुबह के पहर जब पैसेंजर से हम घर लौट रहे थे
उस दिन एक सज्जन सूट बूट पहन नीचे वाली बर्थ पर बैठे थे
आमतौर पर सुबह को सब अपने अपने काम पर लौटते है
तो ये ज़ाहिर है भीड़ भी काफी थी उस दिन,
ठीक उन्हीं के ऊपर बैठे थे एक बूढ़े से बाबा,
कपड़े धूमिल थे, और उनकी उम्र भी कुछ वैसी ही चुकी थी।
उनका स्टेशन शायद आने वाला था,
पैर नीचे की ओर लटकाया ही था उन्होंने कि
नीचे बैठे सूट बूट वाले ने जोर से खींच कर उनके पैर को मार
उनपर चिल्लाने लगे, मानो कोई उनपर कीचड़ उछाला हो।
खैर वो बूढ़े बाबा उतर चले गए अपने रास्ते
और उनकी आंखों में थी उनकी बेबसी, लाचारी,
और जोर लगाकर देखने पर भरी हुई आंखें।
सवाल जो मेरे जेहन में उठा कि
क्या बड़े बनते ही लोगों का दिमाग और सोच सिमट जाती है?
पर जो सवाल मुझे खाया जा रहा था वो ये था कि
तुम वहाँ मूक बन कर क्या कर रही थी ?
उन्होंने ऐसा किया तो तुमने कुछ न करके
उनके इस अमानवीय कार्य का हिस्सा नहीं हो?
अगर तुम कुछ बोल नहीं सकती थी तो
कम-से-कम उन बाबा को उतारकर उनकी मदद तो कर सकती थी?
______________________________________________________
अभी कुछ दिनों पहले की बात है
सारी औरतें बैठकर बातें कर रही थीं,
उन्हीं के बीच में से किसी ने कहा -
"देखो इतने दिन हो गए लेकिन माथे पर न बिंदी था , न चूड़ी था उनके।
और एक उनकी अम्मा को देखो दोनों माई-बिटिया
कुछ ही दिनों बाद बिंदी चूड़ी पहनने लगी थी।"
उन्हीं में से किसी ने बोला -
"अरे मारा, ऐसे लोग भी इंसान होते है क्या"।
मैं वहीं स्तब्ध होकर शून्य में चली गयी कि
ये औरतें हैं? ये जब एक दूसरे को नहीं समझ रही तो
समाज क्यों समझेगा इन्हें ?
मैंने सोचा कि मैं जवाब दूँगी इनको,
और बोलूंगी की आपने ये सब गलत बोला है,
आप सब होती कौन है ये सब थोपने वाली किसी पर?
लेकिन सोचने और बोलने में यही कुछ
आसमान और जमीन का अंतर होता है।
________________________________________________________हम इतने मूर्ख है कि हमे कोई भी
आसानी से छल और ग़ुमराह कर सकता है।
हम सब पढ़ते क्यों है?
इसलिए की बस आगे की जिंदगी हम सुखमय बीता सकें?
इसे हमें एक हिस्सा मानना चाहिए ,
और बाकी जरूरत पड़ने पर हम लोगों को
किसी चीज़ का असल मतलब समझा सकें,
विशेषत: जब बात राजनीति की हो
सही और गलत में फर्क बता सकें।
कभी जाति, कभी धर्म, तो कभी किसान,
गलती है तो सिर्फ हमारी क्योंकि
पसंद भी तो हमें यही सब है।
खैर इसपर हम कुछ ज्यादा नहीं बोलेंगे
क्योंकि हमारी मैडम कहा करती है कि जो
पॉलिटिक्स पढ़ते पढ़ते उसमे घुसा वो फिर वहीं खत्म।
_______________________________________________________
हमारे सहपाठी ने इथिक्स के सर से सवाल पूछा
सर हम समाज मे बदलाव कैसे ला सकते हैं,
सर ने बड़े ही आसान शब्दों में बोला -
"The world can be changed by your example
not by your opinion"
और आगे उन्होंने कहा अच्छा ये बताओ
तुम रोज अपने घर के सामने वाली रोड पर गड्ढा देखते हो,
जब भी उधर से गुजरते हो या शाम में चौराहे पर चाय
पीते-पीते सरकार को गाली देते हो, लेकिन क्या
कभी तुमने ये बात ममुनिसिपालिटी को बताया ?
_______________________________________________________
एक सही समाज का निर्माण खुद से शुरू होता है,
फिर परिवार और समाज,
खामोशी तब तक अच्छी होती जब तक कुछ गलत न हो,
और गलत पर खामोशी मतलब तबाही को न्योता,
गलत को तुरंत सही करके ना सिर्फ हम उस चीज़ को सही करते है
बल्कि एक संदेश भी देते हैं, और उस कड़ी को आगे बढ़ने से रोकते है,
किसी (राजनेता, न्यूज़ चैनल) के भी बातों में आने से पहले
जिस चीज़ की बात हो रही हो उसका खुद जाँच पड़ताल करना चाहिए
तब निष्कर्ष निकालना चाहिए,
और यही सब मिलकर एक आदर्श नागरिक के कर्तव्य को बनाते है।
______________________________________________________
जहाँ जरूरत पड़ी वहाँ मैंने हमेशा खड़े होने की कोशिश की है,
लेकिन बहुत सारी जगहों पर शांत रहकर
मैंने सब बराबर भी कर दिया है।
लेकिन फिर से ऐसा न हो खुद से मैंने वादा भी किया है ।
-अनुश्रुति38 13 10- diwangee Emoji galat touch hi gaya
- anandbarun बहुत ही सार्थक विचार मंथन. समय आगे निकल जाता है और हम सोचते रह जाते है. हम अक्सर कहीं खो जाते हैं. यह सच है...
- amar61090
-
anusugandh
बहुत सुंदर तरीके से आपने एक एक बात को रखा समाज में क्या हो रहा है हमें क्या करना चाहिए क्या हम करते हैं क्या हम नहीं करते और कहीं पर हम चुप रह जाते हैं, यही हमारी सबसे बड़ी गलती है कि हम शुरुआत खुद से नहीं करते यह सोचते हैं कि कोई दूसरा शुरू करें औरों को गाली बकते हैं औरों को कहते हैं लेकिन अपने लिए बिल्कुल नहीं बदलते ।
सही मुद्दा उठाया सही बात की बहुत खूबसूरत लिखा आपने - psprem Very nice.
_tajraba 34w
सबसे पहले @mamtapoet ma'am को सफल संचालन की ढेर सारी बधाइयाँ, और साथ ही बहुत बहुत धन्यवाद #rachanaprati126 का संचालन सौंपने के लिए, आभार।
एक जांबाज सिपाही अपने देश के लिए मर मिटने का शपथ और ज़रूरत आन पड़ने पर देश के लिए अपनी जान समर्पित कर देता है। क्या आपने कभी एक आदर्श या सच्चा नागरिक बनने की कोशिश की है ? जरूरी नहीं कि हर बार सरहद पर जीत ही देश को बचा सकता है, कभी कभी देश अंदर से खोखला हो जाता है।
देश के ये सच्चे नागरिक ही उसे बचा सकते है। और सच्चे नागरिक का कर्तव्य आप सभी बख़ूबी जानते होंगे।
तो इस बार रचना प्रतियोगिता का विषय है - आत्मचिंतन, कि क्या कभी मैं अपने देश के काम आया हूँ ?
(इसमें आप खूद से ही सवाल, खुद से ही जवाब मांग सकते हैं या अगर काम नही आये है तो खुद से वादा करते हुए कविता लिख सकते हैं)
रचना का शीर्षक आप सभी अपने मनमुताबिक रख सकते हैं।
समय सीमा - परसो यानी 13 dec. 2021, 3 बजे तक।
P.S. -
एक सैनिक की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती ।
कोई भी भूल चूक हो तो माफ़ी चाहते हैं।#Rachanaprati126
विषय - आत्मचिंतन, कि क्या कभी मैं अपने देश के काम आयी/आया हूँ ?
समय सीमा - परसो यानी 13 dec. 2021, 3 बजे तक ।32 16 9- gannudairy_ बहुत खूब
- mamtapoet बहुत खूबसूरत बात कही है, विषय बहुत अच्छा है
-
_tajraba
@gauravs @goldenwrites_jakir @alkatripathi79 @anusugandh @aryaaverma12
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
हमने सोचा विषय बदल दें ,फिर आप सभी की विषय के लिए तारीफ़ ने हमें रोक लिया। हम आशा करते हैं जल्द ही आप सभी अपनी रचना प्रतियोगिता के लिए देंगे।
फिर से आप सभी का आभार -
_tajraba
@gannudairy_ @mamtapoet
बहुत बहुत आभार आप दोनों का
आपकी रचना का इंतज़ार रहेगा -
_tajraba
@anandbarun
एकदम सही कहा सर आपने।
और जब तक हम सही गलत नहीं समझेंगे तब तक ऐसे ही राजनेताओं के चंगुल में फंसते रहेंगे और खुद का और बुरा हाल कर लेंगे ।
शुक्रिया sir आपका बहुत
mamtapoet 34w
#rachanaprati125
#rachanaprati126
आप सभी का हार्दिक आभार, जिन्होंने भी इस श्रृंखला में अपना योगदान दिया।
आप सभी की रचनाएँ एक से बढ़कर एक थी। @jigna_a didi की देशप्रेम भरी गाथा,@goldenwrites_jakir भाई जी की खूबसूरत रचनाएँ, @loveneetam जी की विरह के डर से भरी अभिव्यक्ति, @anandbarun sir जी की अनुपम कृतियाँ,@amateur_skm, भाई की अनुपम कृति,@psprem जी की और@kshatrani_words जी की प्रेरणादायक रचना,@anonymous_143जी की डॉक्टर के डर की अभिव्यक्ति,@anusugandh didi जी की प्रेम में डर से भरी सुंदर रचना। सभी में से सर्वश्रेष्ठ का चुनाव करना मुश्किल ही प्रतीत होता है।आगे संचालन के लिए में @kshatrani_wordsजी को आमंत्रित करती हूँ, वो आगे इस श्रृंखला का मार्गदर्शन करे, आप सभी से उनके सहयोग की प्रार्थना के साथ धन्यवाद ।
©mamtapoet31 11 8-
_tajraba
बहुत बहुत बधाई आपको सफल संचालन के लिए
और आपका बहुत आभर ये कार्य सौंपने लिए -
_tajraba
@goldenwrites_jakir bhai ji @anandbarun sir @anusugandh ma'am
Aapka bahut bahut aabhar - alkatripathi79 सफ़ल संचालन की बधाई
- alkatripathi79 @kshatrani_words congratulations
- mamtapoet @alkatripathi79 @kshatrani_words thank you❤❤
मन
मन मे हर रोज हजार सबाल आते हैं
पर जबाब खाली हाथ लोट जाते हैं
अख़बार की सुर्ख़ियों मे हर रोज पापो से भरा समाज होता है
किस राह की और हम बड़ रहे ये सबाल हर रोज मन की आत्मा मे जन्म लेता है
किसे सही किसे गलत कहें ज़ब हम ही इन सब का एक हिस्सा हैं
आज मेरी कल तेरी कहानी का खुलता काला चिठ्ठा है
आज हर एक इंसान दूसरे इंसान से आगे निकलने की रेस लगाए हुए है
रास्ता सच्चाई का भूल कर ------ गलत फेमियो मे उलझा हुआ है
आज इंसान ---- ------------ इंसान नहीं मतलब का सौदागर बना हुआ है
भगवान ने इंसान को उसकी इबादत के लिए बनाया था
पर आज हर एक इंसान खुदा बनकर बैठा है
सच --- ईमान की राह से कोसो दूर
पाप के घड़े मे उलझाए रखा है
बदलता बक़्त हर रोज कुछ ना कुछ सिखाता है
पर हम उसे नजर अंदाज कर हर रोज एक नई गलतियां करतें है
☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️☔️
©goldenwrites_jakir50 32 19- piu_writes @goldenwrites_jakir
- gauravs बेहद उम्दा.. लाज़वाब
- anusugandh Bilkul sahi likha bhai aapane bilkul Sach Baat
- mamtapoet Man k sawal bilkul sahi hai
- divyachaudhary99 Very nice
संचालन की लख लख हार्दिक बधाइयाँ शुभकामनायें भाई G