आज़ादी, इस विषय पे सबकी प्रस्तुति जानदार, संजीदा रही। आनंद जी, अनु दीदी, ममता, ज़ाकिर भाई, गौरव जी, लवनीत भाई, प्रेम जी,पियु दी सबकी रचनाएँ लाजवाब थी। आज की कुछ कृतियाँ जो मुझे बहुत पसंद आई उनमें से पहली पायदान पे है ममता। पूरी कृति मुझे संपूर्ण लगी। @gannudiary जी की कृति बेहतरीन थी। आनंद जी की उत्कृष्ट, अनु दी की मार्मिक, लवनीत भाई की तथ्य से भरी, ज़ाकिर भाई और प्रेम जी की कलम की गाथा।
चूँकि विजेता घोषित करना है तो ममता विजयी हुई है। परंतु एक कल्पनाशीलता ने मन मोह लिया। गुलाम रूह की व्यथा आलेखित की। तो आज की सार्थक विजेता है अल्का त्रिपाठी जी।आपसे निवेदन है आगे संचालन करे।
त्रुटि हेतु क्षमाप्रार्थी ,
©jigna_a
#rachanaprati128
17 posts-
11 16 4
- mamtapoet Very happy morning @anusugandh @alkatripathi79 @goldenwrites_jakir @jigna_a @gannudairy_
- mamtapoet Congratulations @alkatripathi79
- gannudairy_ @mamtapoet good morning ji ❣️
- alkatripathi79 @mamtapoet thanka dear ❤
- anusugandh @mamtapoet very good morning dear
आज़ादी ✍️
आज़ादी की इक तस्वीर अब कलम में देखता हूँ
ज़िन्दगी नही अब गुमराह वो ख़्वाब देखता हूँ
है इश्क़ ज़िंदा कलम से कागज़ पर
वो ज़ज़्बात एहसास की सांसे अब शब्दों से ले रहा हूँ ,,
मुकम्मल तो नही हुआ मेरी चाहतो का आसमाँ पर
यादों की जमीं पर बिखरे ख़्वाबों को समेट रहा हूँ ,,
लफ़्ज़ों की आज़ादी में तेरी तस्वीर को कागज़ पर
हर्फ़ दर हर्फ़ कलम से कागज़ पर सज़ा रहा हूँ ,,
रख कर जुबां पर ख़ामोशी नम आँखों से
आज़ादी का तोल - भाव कर रहा हूँ ......
©goldenwrites_jakir7 1 1
तेरे ख्वाबों में कैद,
पर आजाद हूँ मैं मेरे ख़यालों में।।
दिन ढलता नही,
शाम गुजरती,
बड़े बेचैन रहते है,
इन तनहा रातों में।।
©_do_lafj_29 12 8- _astitva_ Take care of yourself
- _astitva_ Keep smiling and keep expressing always
- _astitva_ Missing you miss
- _do_lafj_ @_astitva_ sure I will post today busy with works
-
_astitva_
@_do_lafj_ Thank you so much Miss
Take care of yourself with work
आज़ाद ज़िस्म कैसे करुँ?
जब रूह मेरी ग़ुलाम है
दूर जाना चाहती उनसे,
पर दुआ में उनका नाम है..
इक़ भी तस्वीर नही घर में उनकी,
और सजा रक्खा है दिल का कोना कोना
नही चाहती देखना भी उन्हें,
पर होठों पे मेरे उनकी मुस्कान है
आज़ाद ज़िस्म क्या करुँ,,
जब रूह मेरी ग़ुलाम है
©alkatripathi79Photo By Wasis Riyan on Unsplash71 41 24- man_ki_pati
- amateur_skm Ufffff ye मर्ज
- alkatripathi79 @amateur_skm thanku Bhai ❤
- alkatripathi79 @man_ki_pati thanku so much dear ❤❤
-
angel_sneha
@alkatripathi79
Welcome
▫
है ख़बर पहुॅंचानी आज़ादी की सभी परिंदों को
चलो कुछ परिंदों को फ़िर कैद करते हैं
©anonymous_14345 17 9- anonymous_143 @psprem Shukriya:-)
- ansarisofia Wahh
- anonymous_143 @ansarisofia Shukriya:-)
- kashish__gupta Waah
- anonymous_143 @kashish__gupta Shukriya:-)
आज़ादी
भाव भक्ति का कोमल पक्षी ,
कैद हृदय था बरसों से,
आज़ादी का भाव जगाया,
गिरधारी ने भक्ति से।
तोड़ जंजीरे मोह माया की,
खोल दिए सब राह मेरे,
उड़ने की मन आशा देकर,
पंख दिए मोहे शक्ति से।
अविरल विचरे भटके घूमें,
दिशाहीन मन दिन राती,
उस भटकें मन को समझाए,
गोविंद केवल भक्ति से।
इस कारण मन आशा रखकर,
कर्म करो सब सुखकारी,
सब बाधाएं संकट हर ले,
वो हरि अपनी शक्ति से।
©loveneetm22 6 9- alkatripathi79 अप्रतिम अद्वितीय
- anusugandh सुंदर भाव से लिखी गई रचना
- jigna_a अद्भुत, अद्वितीय
- happy81 Atbut
- mamtapoet Bahut sundar
piu_writes 29w
मानव जीवन की यही विषम त्रासदी चाहता है सब से ही आजादी
ये आजादी अगर मिल जाती है
तो भी सुखी नहीं रहता है
जबतक निज कुंठाओं से मुक्त नहीं
इंसान तबतक कैदी रह जाता है
©piu_writes21 7 8- gauravs हर-एक शब्द में सच्चाई ✍️✍️
- anandbarun आज़ादी का सही अर्थ
- mamtapoet Yahi satya hai
- anusugandh बहुत खूब बात कही आपने
- amar61090 Behatreen
आज़ादी ✍️
आज़ाद है कलम "पर कागज़ पर शब्दो की तस्वीर नही
रूह मचल रही लिखने को "और किसी को यक़ीन नही
कैसे दिखाऊं हर इक ख़्वाब को बिखरे उनके निशां
ज़िन्दगी मुस्कुरा भी रही और गम को छुपाती भी नही ..
©goldenwrites_jakir21 7 7-
dil_k_ahsaas
जिंदगी को मुस्कुराए एक ज़माना बीत गया
कर्जदार है इतनी कि खुशियों का तराना भूल गया। - anandbarun बहुत खूब
- alkatripathi79 बहुत खूब
- anusugandh सुंदर भाव से लिखा भाई आपने
- greenpeace767
gauravs 29w
#rachanaprati128 @jigna_a जी
सीखने की जिद्द है.. धीरे-धीरे अच्छा लिखना सीख जाऊँगा
आप सभी के सहयोग से.. चार रेखाओं में छोटी सी कोशिश..
यहाँ गलतियाँ स्वीकार की जाती है..
इंसान का अजब ग़ज़ब तरीका है खुद के किए हुए सही-ग़लत फैसले को वो आजादी कह देता है. लेकिन वहीं फैसला उसका कोई अपना करें तो उसे बर्दाश्त नहीं होता.सदियों में बहुत कुछ बदला ये हक़ीक़त नहीं बदली
चार दिन की जिंदगी में इंसानी फ़ितरत नहीं बदली
दुनिया भर को दे रहें वास्ता जो आज़ाद ख़यालों का
घर की चारदीवारी में मगर इनकी हरक़त नहीं बदली
©gauravs28 22 10- kumarrrmanoj Badhiyaa
- abhijames This is awesome
- gauravs @kumarrrmanoj धन्यवाद भाई
- gauravs @abhijames धन्यवाद
- amateur_skm आप बढ़िया लिखते हैं भाई ,लिखते जाइए पैनापन अपने आप आते जायेगा
आज़ादी
आज़ाद रूह को आज़ाद कलम चाहिए।
आज़ाद तकरीर लिखने के लिए।
बंदिशों में रहकर आज़ादी कभी लिखी जाती नहीं।
मगर सच बात तो ये भी है कि, आज़ाद रूह कभी किसी भी बंदिशों में आती भी नहीं।
रूह तो आज़ाद है,मगर इजाजत वो भी लेती है खुदा से।
लिखती है आजादी वो अपनी आजाद कलम से,
भरपुर होकर लिखती है,इबारत लंबी लंबी,
लेकिन खुद से खुद होकर जुदा से।
तभी तो किसी शायर ने कहा था कि....
"मेरी आजाद रूह को कैद ए जिस्म न देना।
बड़ी मुश्किल से काटी हैं सजाएं जिंदगी मैनें।"
©psprem28 32 10- psprem @anusugandh. Thanku so much.☘️️
- kumarrrmanoj Nice
- psprem @kumarrrmanoj. Thanku so much.
- tejasmita_tjjt Superb written ✍️✍️
- psprem @tejasmita_tjjt. Thanku so much.☘️️
jigna_a 29w
#rachanaprati128 @anandbarun @anusugandh @mamtapoet
यह कृति संवाद है रंगमंच के एकपात्रीय अभिनय का।आज़ादी
" मुक्त होना है!, मेरी अरदास है, अगर कोई दिव्यशक्ति है तो उससे प्रार्थना है मेरी, मुक्त होना है मुझे। एक मैं हूँ और मेरे ही भीतर एक और मैं हूँ, उसकी पकड़ में कसावट है, जो मेरे अस्तित्व का गला रूँध रही है।"
आँखों में अजब विह्वलता....... और आर्द्र स्वर।
" आग्रह, हठाग्रह, पूर्वाग्रह, ओह! थकान होती है मुझे,मुझसे ही। क्यूँ मैं सतत किसीको अपने अनुरूप ढालना चाहूँ? क्यूँ मैं स्वयं को सार्थक और अन्यों को व्यर्थ मानूँ? क्यों मुझमें इतनी आत्मश्लाघा भरी है? क्यों मैं अपने विचित्र व्यवहार को झूठे सच का चोगा पहनाऊँ? क्यूँ जब मेरी यात्रा सदैव उर्ध्वगामी होनी चाहिए, किसी और मोह नहीं मैं आत्म मोह में अटक जाऊँ?"
अचानक आक्रंद सह।
" यह मैं, जो मेरे ही अस्तित्व के कफ़स में क़ैद हूँ, मुझे मुक्त कर भगवन्। मैं शातिर ना बनूँ, मैं सहज, सरल रहूँ। देखो! देखो मुझे वो प्रकाशित पुंज दिख रहा है। मेरी वजह से आया एक भी आँख का आँसू मेरी गति रोकेगा। मैं निश्छल बनूँ, मैं निश्छल बनूँ।"
दो हाथ जोड़कर, बंद नेत्रों सह याचक।
पर्दा गिर जाता है।
©jigna_a32 18 12- odysseus_2 Amazing...
- piu_writes @jigna_a wah
- shriradhey_apt
- anusugandh अति उत्तम रचना✍️✍️✍️
- amar61090 Wow shandar
anusugandh 29w
#rachanaprati128@jigna_a
आजादी एक सोच, एक विचार,
किस से किस को आजादी???
क्या अपने आप से ..अपने विचारों से ...
किससे ??एक प्रश्न पूछा आपसे ??अपने आप से ??
एक ख़्वाब प्यारा सा, दुलारा सा
टूटे नींद तो मिले ख्वाब से आजादी
प्यारे ख्वाब से ?
पर ना चाहे कोई आजादी .....
जिंदगी भी सुनहरा ख़्वाब
जो ना चाहे टूटना ,ना छूटना,ना बिखरना
सदा चाहे जीना ,अनवरत
ये चाहे जीवन को पकड़ना
ना चाहे आजादी इस जन्म से, देह से ,
मोह छूटे तो मुक्ति मिले इस देह से !!
पलकों से मिलती आंसुओं को आजादी
कभी आंसू छलकना चाहे
कभी अपने अंदर ही समाहित रहना चाहे
खुशी गम में बराबर शरीक आंसू
खुशी में भी आजादी चाहे
गम में भी आजादी चाहे ...
नारी की भी आंसू जैसी कहानी
खुशी में भी गम में भी ना साथ छोड़े नारी
चाहे कितना सोचे,मिले हमें आजादी
रोक लेती संस्कार की बेड़ियां आजादी
ना मन से मुक्त, ना विचारों से मुक्त
बस परिवार के लिए ना चाहती आजादी
प्यार के विश्वास से बंधी हुई नारी
तभी ना चाहती कभी भी आजादी
यह बंधन,बंधन नहीं लगता
बस प्यार की डोर से बंधी नारी
ना चाहे आजादी
मन में छुपा कर रखती
समुंद्र सी गहराई
इस गहराई को अपने में समाती
तो क्या करेगी पाकर आजादी????आज़ादी
मन से अपने को कैद ना करो
छोड़ दो स्वच्छंद दे दो इसको आजादी
खुद में खुश रहने का यही तरीका
दे दो दुखों को इस दिल से आजादी!!
©anusugandh27 33 7- kumarrrmanoj Behtreen
- anusugandh @kumarrrmanoj मनोज जी तारीफ के साथ-साथ मेरी गलतियां भी बता दो तो ज्यादा अच्छा रहेगा मुझे अच्छा लगेगा
-
kumarrrmanoj
@anusugandh ji koshis karungaa
Lekin aap bhod bda kaam de rahe ho .... - anusugandh @kumarrrmanoj jante ho Manoj ji mujhe jyada likhna Nahin Aata Bhasha Sidhi likhni Aati Hai ,jyada pure Hindi nahin aati,tau bus simple likh deti hoon dil k bhav,aap sab bataayenge tau theek kar loongi,
-
kumarrrmanoj
@anusugandh ji mai khud aap logo se sikhne ki koshis krta hu...
Meri last post padhe plz
gannudairy_ 29w
आजादी
किसी के दुख में रो उट्ठूं कुछ ऐसी तर्जुमानी दे
मुझे सपने न दे बेशक, मेरी आंखों को पानी दे
मुझे तो चिलचिलाती धूप में चलने की आदत है
मेरे भगवान, मेरे शहर को शामें सुहानी दे
ये रद्दी बीनते बच्चे जो गुम कर आए हैं सपने
किसी दिन के लिए तू इनको परियों की कहानी दे
ख़ुदाया, जी रहा हूं यूं तो मैं तेरे ज़माने में
चराग़ों की तरह मिट जाऊं ऐसी ज़िन्दगानी दे
जिसे हम ओढ़ के करते थे अकसर प्यार की बातें
तू सबकुछ छीन ले मेरा वही चादर पुरानी दे
मेरे भगवान, तुझसे मांगना अच्छा नहीं लगता
अगर तू दे सके तो ख़ुश्क दरिया को रवानी दे
यहां इंसान कम, ख़रीदार आते हैं नज़र ज्यादा
ये मैंने कब कहा था मुझको ऐसी राजधानी दे।
©gannudairy_23 21 5- gannudairy_ @gauravs ji veer ji tuhada Ashirwad Haiga.. ❣️
- psprem Bahut hi behtreen likha hai aapne.
- gannudairy_ @psprem thanku ji ❣️
- anandbarun वाहह, बहुत खूबसूरत
- gannudairy_ @anandbarun thanku sir
anandbarun 29w
@jigna_a #rachanaprati128
अच्छा हुआ, जो, ग़म ग़लत हुआ
भला इन बोतलों में रखा क्या था
सानी= दीगर= दूसराजो घर फूंके आपना..
छोड़ आया हूँ दूर, मय और साक़ी
जो खड़ा होने कि हिम्मत है जुटा ली
वो भी वक्त था जो जीने को साथी
सहारा ढूंढने की लत थी लगा ली
कोहरे की काली करतूत थी जारी
अब तो उजालों में भी दिखता साक़ी
अंदर जो पैठा था स्याह सी सानी
दिखाई जो आग तो हुई रौशन सारी
मुझको अब कतई जरूरत नहीं उसकी
मैने अपने दीगर को जला, ली आज़ादी
अंतर है इक आग का दरिया उफ़नती
हो हिम्मत का सिला तुझमें भी बाकी
बढ़ाओ हाथ तो दे दूं कुछ उधारी
ऐसा नहीं कि शौक नहीं महफिल की
सब बैठते हैं और वो नाचती जाती
पर मैं तो आप ही धुत्त हूँ साक़ी
अब जरूरत नहीं डोरे डालने की
जो नीयत के फिसलने की हामी
भरता नहीं बुलंद हौसलों की थाती
©anandbarun38 16 12- kamini_bhardwaj1 अतिसुन्दर
- alkatripathi79 अद्भुत रचना है भईया जी
- anonymous_143 Behad Umda
- kumarrrmanoj Behtreen
mamtapoet 29w
आज़ादी??
गम ले रहा सिसकियां
उदासी को भी आने लगी है हिचकियाँ।
दुःख के चक्षु क्यों नींद को तरसते
मंडराते बादल पर क्यों न रोकर बरसते।
कौन किस किस से आज़ादी मांगे?
आँसुओं में पसर गई जलकुंभी
कलेजा बन गया बीहड़
उग आये थोर, बबूल,
गुलाब सी थी जो धरती।
क्या आज़ादी मिलेगी मन को कभी?
चुग गए गिद्ध, भरोसे की फसल
कोयल रो रही, पाल रही औरों की नसल
कुबुद्धि ने जकड़ लिए सब सुविचार
चटोरे चाट रहे मलिन आत्मा का अचार।
आज सवाल सब कैद हैं, क्या आज़ाद होंगे कल?
समेट भी लूँ, सारी धरती उर में
पर क्षुधा शांत होती नहीं,
छिद्र कर दिया आसमां में
पगडंडी फिर भी मिलती नहीं सड़क में ।
मिट्टी चाहे आज़ादी, काली हुई क्यों डामर में?
कटघरे में हर श्वास आ गई
निचोड़ लिया सब लहू आत्मा का,
कंठ की गली सूखी रह गई
आज़ाद होकर भी क्या, धड़कन नब्ज़ से आज़ाद हुई कभी?
©mamtapoet40 25 18- i_am_an_unprofessional_writer ❤️❤️❤️
- avaneeshrajput
- amateur_skm Ekdum dimag हिला दे ♥️ऐसा लिखी हो आप
- gannudairy_ Happy new year best friend ♥️
- mamtapoet @gannudairy_ very happy new year
मुझे विजेता घोषित करने हेतु गौरव जी का धन्यवाद
तो बंधुओं, आज एक अनूठा विषय दे रही हूँ, आज़ादी, परंतु यह शब्द नहीं इसे विषय के रूप में लेना है। देश की आज़ादी में सिमित ना रह जाना आपसब। पूछना खुद से कैसी कैसी कैद होती है? सूक्ष्म से सूक्ष्म विचार, भाव पकडना। अध्यात्मिक, दार्शनिक, कुछ भी। चलिए कलम की धार तेज़ किजिए। कल रात ११ बजे तक।
©jigna_a28 19 13-
goldenwrites_jakir
Topic
संचालन की लख लख हार्दिक बधाइयाँ शुभकामनायें दी "
- jigna_a @loveneetm
- anonymous_143 Vishay
- jigna_a @anonymous_143 fir likho aap
- alkatripathi79 Congratulations nice topic