क्या कहा, मोहब्बत तबाह करती है ......
लगता है मेरे मुल्क की सियासत से आप वाकिफ़ नही
©katnawer
#siyasat
41 posts-
72 14 10
घर
घर जो था पहले अब घर नही रहा हमदर्द
उसमे भी सियासत के सदन लगने लगे है
©princehamdard4 0महफ़िल/محفل
تمہارے حسن کا جلوہ بکھرنا شب کی محفل میں،
ہزاروں جان جاتی ہے، تمہارا کیا ہی جاتا ہے۔
तुम्हारे हुस्न का जलवा बिखरना शब की महफ़िल में,
हज़ारों जान जाती है, तुम्हारा क्या ही जाता है।
©ishq_allahabadi28 9 5- ishq_allahabadi @happy81 this can be fit on you as well...
- happy81 @ishq_allahabadi haha
- ishq_allahabadi @nimrahanif786
- nimrahanif786 @ishq_allahabadi بہت خوب
- ishq_allahabadi @nimrahanif786
junaidwrites 101w
बहार का जामा पहनकर देखो खिज़ा आयी है,
साथ अपने नफरतों का गज़ब अम्बार लायी है,
यही जैसे तैसे अबतक निज़ाम तो चलता रहा,
स्याह को कहती है उजला ये कौनसी बिनाई है,
कत्लो गारत हर जगह पर मासूमो का खून है,
जिंदगी पे संगो आतिश, लाशो पे गुल फिशायी है,
कौन अपना कौन दूजा फेहरस्ति है दम ब दम,
अपनों से अपने निकाले ये कौनसी शहेंशाइ है.
©junaidwrites20 5 2-
parle_g
अरे....कमाल का लिख दिया....आपने तो.... वाह....
❤️❤️❤️❤️❤️❤️ - _harsingar_ कमाल का लिखा वाह
- mamtapoet बेहतरीन
-
junaidwrites
@jiya_khan @_harsingar_ @mamtapoet
Tahe dilse shukriya... - vandanathorat Bahot sunder rachna hai
_sabr_ 112w
#सियासत
तुम जारी रखों सियासत की शतरंज,
वो यूँही सरहद लाँघते रहेंगे।
हम हारे या जीते हर जंग,
वो यूँही लौटकर आते रहेंगे।
क्या कहोगे शहीदों की माँओं से तुम?
वो यूँही मारे जाते रहेंगे?
©_sabr_3 0Siyasat
Awaazein nahi hain gaaliyon mein..
Paar shor hai siyasat ka...
Alag hai ye khel...sirf baaton aur vaadon ka...
Dekhte kyun nahi aaino mein...
Jashn hai Bebas awazon ka...
Ye toh uth ti nahi awaazein...
Kyunki Zurm hai...inke peeche chupi kitabon ka...
©i_amnt_writer1 0abrahamshan 116w
#Indianpolitics #Janta #desh_bhakt #Deewankhana
#siyasat #mohabbat #bgawat #dahshat or n jane kya kyaझटक के ओढ़ लो चादर किसी दीवानखाने की...
सियासत ही बचा सकती हैं हुकूमत के सियासत से...
©abrahamshan11 1- yours_rafaq Really Amazing,,, And i Also Write a little bit maybe u like, repost and follow,,, so plzzz just visit my profile for my appreciation,,, Tysm
क़त्ल - ए - आम
ये कैसे खौफ के सायें में ज़ी रहे हैँ हम
ये कैसे मज़हब की आग में जल रहे हैँ हम
यूँ तो कहने को, दहशत में रह रहे हैँ हम
फिर भी क़त्ल -ए -आम कर रहे हैँ हम
©wordsbynikhil7 2bejubaanshayar 128w
Siyasat pahle seva hota tha
Ab Vyapar ho gya hai
©bejubaanshayar28 4 7- mysteriousde Correct
- kousar422
-
bejubaanshayar
@mysteriousde @kousar422
- sahnah Perfect...
Khat-e-mustakbil
Kuch baat hai, jo khaas hai...
Dabe dil mein ehsaas hain...
Kuch shikwe hain is duniya se...
Ek ajab sa mann me pyaas hai...
Kuch baatein tumhe bataani hai...
Kuch kadwi baatein jaani hain...
Ye duniya hogi matlabi si shaayad...
Jiski pehchaan tumse karaani hai...
Is duniya ke hain rang niraale...
Har rang ki apni kahaani hai...
Har rang me tum na rang jaana...
Ye dushman badi puraani hai...
Is duniya ke hain log niraale....
Jo nasl hi aani-jaani hai...
Jo achhe hain unhe gin loge...
Unka saath baant khush reh loge...
Auro'n ki tadaat badi hai...
Unki ginti kisne jaani hai...
Wo rang bhed me baantenge...
Izzat nahi sikhaaenge...
Gar bhed-bhaav ne uljhoge tum...
Wo hamdardi nahi jataaenge...
Wo dharm-jaat me baatenge
Tumhe amn-chain hi nibhaani hai...
Siyaasat ke raste bahut alag hain...
Tumhe apne hi raste jaani hai...
Wo jism ka laalach de dekar...
Tumhe parde se bhatkaaenge...
Par tumhe hai karna unki hifaazat...
Wo zeenat hain, shaadmaani hain...
Kayi hain tabke bate duniya me...
Jo daulat ki hi kahaani hai...
Jise na mila..hain jaddo-jehad me...
Jinhe mil gaya, wo kehte hain...
Sirf ham hi yahaa'n khaandaani hain...
Tum upar uthhna soch se inke...
Kam karna inki rawaani...
Apne hi dam par dena inhe tum...
Inho'n ne jo khushiya'n na jaani...
Rang, nasl, jaati ab inke...
Behkaawe ki nishaani hai...
Amn-o-chain ka Paigham hai dena...
Ye baat to maine jaani hai...
©abulfaiz215 0मौसम का हाल भला क्या पूछते हो
क्या बताएं हवाओं का मिज़ाज कैसा है
हुक्मरानों की गलियों में आवाम रो पड़ी
और वो कहते रहे सियासत का जलसा है
©pawankumarpatel13 2 3princehamdard 141w
सियासत
सियासत कब का खा बैठी हमारे भाईचारे को
यहा जो कुछ अम्न बाकी है वो कलमकार की देन है
©princehamdard7 0PAHCHAN
मै अपनी पहचान को रख ना सका बरक़रार, शायद कम पड़ गए कागज़ चार, वो कह रहे मुझसे निकल लो सरहद पार।।
तुम मुझे मेरे नाम से जानते हो ,मेरे काम से जानते हो, हां आम आदमी हूं,इसलिए कम लोग जानते हो।।
गांव में मेरी चाय की दुकान है,चाय के शौकीन रोज दुकान आते है,
चायकी चुस्की के साथ जब "वाह" बोलते है ,तो लगता है ये चाय ही मेरी पहचान है, (चाय सिर्फ प्रधान सेवक की पहचान नहीं)।
तो हुआ यूं ,जो रोज होता रहा है 1-2 सालो के फासलों दरमिया,
महीना सावन का था, ब्रह्मपुत्र उफान मे थी, ब्रह्मपुत्र अब बस घर में ही थी।
हमने लिए एक दो कपड़े साथ,कुछ पैसे चार,हो गए कस्ती में सवार
*बात अब जान पर थी तो किसी पड़ी पहचान की थी*
जब ब्रह्मपुत्र लौट गई अपने रास्ते ,हम भी लौटे अपने घर,
सब कुछ उजड़ चुका था,सबकुछ बह चुका था,बह चुके थे वो कागज़ चार , जो साबित करते मेरी पहचान ।।
लगा रहा हूं दफ्तर के चककर पे चक्कर,
चप्पल अब घिस चुकी, उम्मीदें टूट चुकी
लोग कम नहीं थे यह,भीड़ लाखो की थी,भीड़ अब भी लाखो की है,
सिख , हिन्दू , मुसलमां सब तो यहां ,
मेरी दादी और टोपी देख कर वो हस्ते है और कह देते है " "तो चचा तुम भी बग्लादेशी हो,
भूल जाते है शायद हम सबसे पहले इंसान यहां"
बमुश्किल छत नसीब थी,अब दो गज जमीन तो दूर और आसमान भी अब मेरा नहीं
एक झटके में मुसाफिर हूं , मुहाजिर हो गया हूं ।।
मेरा बस तुमसे एक ही है सवाल ,
मै 47 के पहले का या 71 के पहले का या बाद का
खुदा ने कब दिया हा कुछ इंसानों को
हम इंसानों को सरहद और मजहब मे बाटने का।।
ये कोई वतन कि रखवाली नहीं, ये बस सियासत है,
आम इंसान जो बटा हुआ है है, उसको और बाटना यही इनकी हसरत है
-Mady
©mady9949 0वक़्त हुआ करता था हिन्दू मुस्लिम जैसे अल्फ़ाज़ कम सुनने को मिला करते थे
मजहब से ज्यादा लोग वतन को माना करते थे।
एक ओर खड़े थे अल्लाह के बंदे तो दूसरी ओर राम के भक्त खड़े थे।
लेकिन
जब वतन पर मरने की बात अाई तो बस इसी बात पर लड़ लिए थे।
चिंता में पड़ जाती होगी इनकी मां इन्हे देखकर।
नजर ना लग जाए भाईयो के प्रेम को देखकर।
फिर सियासत से आवाज़ अाई
की ना है अब हिन्दू मुस्लिम भाई भाई।
टूट चुकी थी बाबरी मस्जिद
जल रहा था गौधारा
इसी बीच किसी कौने में रो रही थी भारत मां।
नारो ने अपने रूप बदल दिए थे।
कहीं से जय श्री राम तो कहीं से
नारा ए तकबीर सुनाई पड़ रहे थे।
फिर लाठी चली डंडा भी चला।
इस मजहब के सियासी दंगो में तिरंगा भी जला।
हिन्दू भी मरे मुस्लिम भी मरे
उस मां के बारे में भी सोच लिया होता जिसके सिर्फ बेटे मरे।
नारे भयंकर रूप ले चुके थे
देश के टुकड़ों कि बात करते थे।
अवार्ड लौटा रहे थे बुद्धिजीवी कहकर।
असेहेंशिलता बढ़ चुकी है देश के अंदर।
सियासत का ज़ोर इस कदर बढ़ चुका था
क्या संसद क्या मकान क्या दफ्तर क्या मयखाने
सब बन चुके थे सियासी अखाड़े।
सियासत के इस खेल में जनता का शोर था।
कहीं सत्ता ने आग लगाई थी कहीं विपक्ष खून से रंगा था
बेगुनाह गुमराह जनता के खून में सना हुआ तिरंगा था।
लगी हुई थी जो आग खाक हो गए थे उसमें कितने ही चंदन और अखलाक।
ओर इसी के साथ देखे थे जो सपने रामराज्य के हो चुके थे वो भी राख।
जनता ने ही मारा जनता को
मरने वाले तो ना सियासी थे
मजहब के नाम पर जो खूनी हो गए।
वो इसी मुल्क के वासी थे।
क्या भूल गए वो दौर जब लड़े थे
महाराणा प्रताप ओर हकीम खान सुरी
एक ही अकबर से।
क्या भूल गए वो दौर जब लड़े थे
अशफाक ओर बिस्मिल
उन्हीं फिरंगियों से।
क्यों ना उस दौर को फिर से जिया जाए।
रामराज्य के राख हुए सपने को पुनः जीवित किया जाए।
सियासत खेलने वालो को अपनी एकता का दम दिखाए।
मजहब से ऊपर उठकर क्यों ना फिर हिन्दुस्तानी बनकर दिखाए।
©satyakaam24 10 4- simmi_16 Bohot khub likha hai
-
ruchi_yadav
Inshan me insaniyat jo baki hai ab vo bhi mar rhi rhi news m Hindu Muslim dekh kar
- high_on_rhyming @ruchi_yadav @simmi64 आप दोनों का बोहोत बोहोत शुक्रिया।कॉलेज में मैने यही कविता कवि सम्मलेन के ऑडिशन में सुनाई थी कल।
-
high_on_rhyming
@devanshi0 @manuu_ @simmi64 @ruchi_yadav hey!! Everyone just uploaded this poetry on our YouTube channel
Please search on YouTube Mulk ya mazhab our channel name is hidden notes
Just need your support - aneeshk maharana lekin maan singh se ladhe the
मुश्किल है जज़्बातों की तिजारत करना,
एक शख्स से ही दो बार मोहब्बत करना.........
तुम चाहो जिसे कोई और न चाहे उसे,
यही तो है मोहब्बत में सियासत करना..........
©kumar_adi17 2 1bejubaanshayar 161w
Hamara mulk jannat hai
Ise majhab me na bato sahab
©bejubaanshayar68 31 22- humakhan0503 Waaaahhh bahot khoob
- shrutiiyadav Ryt sahi kaha aapne
- shiv__ Bahut khub
- rituchaudhry 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
kritivaishy 167w
सियासत
एक रिश्ता ही तो था
जो महफ़ूज़ था सियासत से,
आजकल ये भी पटे हुए ही मिलते है।
यारों की यारी हो या,
दिलदार की मोहब्बत,
सब कुछ इससे मिले हुए से लगते है।
बेटे की मोहब्बत हो या,
भाई की चाहत,
अब सब कुछ इससे जुड़े हुए से लगते है।
एक रिश्ता ही तो था,
जो महफूज़ था सियासत से,
आजकल ये भी पटे हुए से मिलते है।
©kritivaishy24 2 1सियासत...
नज़रें गई जहाँ तक वहाँ तक है सियासत..
इंसान की मजबूरियों की वजाहत है सियासत..
एक कुर्सी के खातिर बस यहाँ क्या कुछ नहीं होता..
मज़हब बना मुद्दा और इबादत है सियासत..
मोहब्बत तो दिलों में अब कहीं मिलती नहीं देखो..
इंसान को इंसान से अदावत है सियासत..
यकीं करें किस पर यहां मस'अला गंभीर है..
क्या झूठ यहाँ सच्चाई में मिलावट है सियासत..
तरक्की देश की होगी गर मेरी सरकार आएगी..
'तक़्श' जानते ये सब हैं कहावत है सियासत!!
©unexpressed_vibes25 5 5- unexpressed_vibes @diptianupam bahut Inayat ☺️☺️
- unexpressed_vibes @riyabansal thanx...
- unexpressed_vibes @diptianupam bahut Inayat ☺️☺️
Aakhri mulaqat
Usne Aakhri mulaqat karke meri zindagi ki raat kardi..
Abhi theek se usko jaana bhi nahi tha ki usne jaane ki baat kardi..
Jise naaz tha gurbat pe meri ..
Usne shaan paiso ki dikha kar zahir meri aukaat kardi ..
Jiske lehje me sirf hum tum hua karte the ..
Aaj usne sharminda mujhe punch kar meri Zaat kardi ..
Jiski chahat me maine zamana chhoda ..
Aaj usne mujhe chhod kar wahi siyasat mere sath kardi
©iam_aman
किसी से सच्ची मुहब्बत तो कर के देख उसके जाने के बाद
मौत मागेगा और वो ना कभी तेरी गली से गुजरेगा