मूंछों के ताव को,
सीने पर लगी घाव भी न झुका सकी,
इन्कलाब लिखने की तमन्ना को,
घटती सांसे भी न रुका सकी,
आख़िरी गोली से भी वन्दे मातरम कहूंगा,
शिकंजे तुम्हारे प्रबल नहीं कि इरादों को मेरे जकड़ सके,
आजाद था आजाद हूं और आजाद रहूंगा
वन्दे मातरम् जय हिन्द
©gopaljha95
gopaljha95
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gopaljha95 128w
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gopaljha95 133w
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को शत शत नमन #inspiration #life #thoughts
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@ayush_tanharaahi @jayraj_singh_jhala @naushadtm @hindiwriters @writersnetwork @rangkarmi_anuj @hindiurduwritersमसले मसाइलें चलती रहीं,
राजनीति पुरजोर था,
आजादी की कामना लिए,
अंग्रेजों के राह में खड़ा आजाद हिन्द फौज था,
आजाद हिन्द फौज का वो सेवक,
आजादी को चढ़ गया शूली था,
आजाद हिन्द के सपने को जिन्होंने संवारा,
हिन्द के वीर सपूत नेताजी भारत का बेटा दुलारा था
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को शत शत नमन
©gopaljha95 -
gopaljha95 134w
मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं ♥️ #nature #love #poetry #life #thoughts
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#hindilekhan #ggk #live #love #hindi
@ayush_tanharaahi @jayraj_singh_jhala @naushadtm @hindiwriters @writersnetwork @rangkarmi_anuj @hindiurduwritersआओ मिठास बांटे इस जहां में,
आ तिल गुड़ सा साथ हो जा,
तू पतंग मैं डोर संभाले बागडोर,
चल साथ साथ आसमां के गोते लगा,
©gopaljha95 -
gopaljha95 142w
तुम कांटे हो मुकुट की ,
मैं गले का हार प प्रिये,
तुम भागो जंगल जंगल,
पहली किरण पर मैं बनाऊं सरकार प्रिये,
तुम छुपते छुपाते रहो होटलों में,
मैं बनाता सरकार प्रिये,
सीटें तुम्हारी ज़्यादा हो सकतीं हैं,
ये सब हैं मेरे आमदार प्रिये,
शह का इंतेज़ार करो तुम ,
मैं देता हूं हार प्रिये,
चिकारा कहते हैं प्यार से हमें,
नाम हमारा शाह प्रिये
©gopaljha95 -
gopaljha95 146w
चुनावों का दौर है,
चर्चे और पर्चे हर ओर है,
डकैतों की दुनियां है,
और नेता सारे चोर है,
बेशक सही गलत का बोध है हमें,
स्थिति अपनी क्या बताएं तुम्हें,
अंग्रेज़ों ने लुटा था एक जमाने में,
अब अपने है लूट रहे हमें
©gopaljha95 -
gopaljha95 148w
विजय दशमी की शुभकामनाएं
#hindilekhan #ggk #life #live #love #hindi @jayraj_singh_jhala @naushadtm @rangkarmi_anuj @hindiurduwritersमर्यादा की कथा सुनाते थे,
हुए एकांत में नग्न थे,
जमाना समझता था बाबा उन्हें,
वो काम मोह में मग्न थे,
रावण जलता था हर दशहरे मे,
बाबा भी उसी श्रेणी के योग्य थे,
जाने कितनी आबरूअों का दमन किया था,
नर्क भोगने योग्य थे ,
अजीब थी कलयुग की माया ,
श्री राम के नाम पर रहे भोग थे,
खुद के अंदर रावण जगाए रखा,
चौराहे पर रावण रहे जल थे
©gopaljha95 -
gopaljha95 149w
अपनी हालातों से तंग मैं,
दर्द हो जोड़ों की अंग अंग में,
जी चाहता है,
धुनि रमाऊं नीलकंठ सा,
हो जाऊं मतवाला पी के भंग मैं,
अपनी हालातों से तंग मैं,
©gopaljha95 -
gopaljha95 149w
लूटा गया हर चौराहे पर मैं तो तार तार हो गया ,
मैं बिहार हो गया,
बुद्ध की बुद्धि देते मौन हो गया,
सरकारें बनाता गिराता हूं मैं,
पर आज बिहार हो गया,
बुद्धजीवियों का राज्य,
घर घर कलेक्टर आम हो गया,
कुछ अपनों ने दिए ज़ख्म,
मैं सरेआम हो गया,
मेरे भाषा का किसी ने मज़ाक उड़ाया,
मैं सरेआम लड़ गया,
सुविधाओं से परे ,
अकेला इन राहों में खड़े ,
मैं बिहार बन गया
©gopaljha95 -
gopaljha95 150w
तू मुझमें शामिल है शाये की तरह,
तू बनी मेरे जिने की हर एक वजह,
तुझे पाना चाहूं,
तेरा होना चाहूं ,
तेरे जुल्फों के वादियों में खुदको खोना चाहूं,
तुम अगर समंदर की लहरें हो तो ,
मैं तुमसे मिलता रहूं किनारे की तरह ,
तू मुझमें समाया है शाये की तरह ,
तुम मेरे रोम रोम में बसती हो,
दुःखी होता हूं अगर मैं तो,
मुझे हंसती खुद भी हंसती हो,
तेरे साथ "कामिल" हूं मैं ,
तेरे हर सांस में शामिल हूं मैं,
©gopaljha95 -
gopaljha95 150w
हाइकु
खामोशियों को,
गुनगुनाने तो दो,
सुनाने तो दो,
सुनाने तो दो ,
आज जताने तो दो,
ज़ख्म कुरेदो,
ज़ख्म कुरेदो,
जज़्बात गाने तो दो,
कवि कल्पना,
कल्पनाओं को,
कविता बनाने दो,
गाने तो दो,
©gopaljha95
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rangkarmi_anuj 128w
थैले में विद्या
अभाव है बस्ते का
अधूरी सामग्री बंट रही
हाल बेहाल है शिक्षा का
यह दर्द मेरे साथ
यह दर्द है इस बच्ची का
फटे हुए कपड़े
बहुत दुख देते हैं
उधड़े हुए धागे
नज़र झुका देते हैं
कसूर है आखिर किसका
यह दर्द है इस बच्ची का
फ़टी छोटी एड़ी
बद्दतर हालत शरीर की
दंग रह जाए सरस्वती
देख स्थिति बच्ची की
साथ छूट रहा विश्वास का
यह दर्द है इस बच्ची का
दिल पसीज जाए
गांव में देख नज़ारे को
मुँह से उफ्फ निकलेगी
जब देख लेंगे गरीबी को
क्या यही है भविष्य भारत का
यह दर्द है इस बच्ची का
छायाचित्र- अनुज शुक्ल
गांव में यह हालत है शिक्षा की बहुत दुख हुआ यह देख कर #poetry #thoughts #diary #nature #life #travelअधूरी सामग्री
©rangkarmi_anuj
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Purane Khat Bhi
Kya Sukoon Bhala Dete Hai?
Mill Kisi Roz,
Inhe Hum Hi Jala Dete Hai. -
kartikchoudhary 152w
होकर गुस्सा इसी बात पे शायद फिर जोर से बिजली गर्जती है,
क्यों शर्म नही आती तुझको ऐ बारिश जब लाचार के ऊपर बरसती है।इस ठंडी गीली रात में न जाने कैसे सोता होगा,
जो है बेघर, बरसात में उनका क्या होता होगा।
जब ठिठुर के हवा के झोंके से उसका छोटा बच्चा रोता होगा,
एक मजदूर बाप का मजबूर दिल कितने टुकड़े होता होगा।।
©kartikchoudhary -
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_aahana_ 153w
उसके सुकूं पर परेशानियों का पहरा
साया है उनका मुझ पर गहरा
छिन जाये गर नींद उसकी आँखो से
देखुं फिर कैसे मैं ख्वाब सुनहरा
दिल को जो आ जाए करार उसके
घेर ले बेशक मुझे उसकी बेचैनियों का घेरा
ना हलचल, न रवानी ,न मौज हो लहरों में
अच्छा लगता है कभी कभी दरिया ये ठहरा
जिंदगी की चादर के ताने-बाने में
बुना गया है गम और खुशी को इकहरा
दीपक संग जलना है नियति बाती की
संग बाँटे सब.... क्या तेरा, क्या मेरा
अंधेरे सन्नाटों में ठहर जाती है जो रात
देर से सही पर आता तो है सवेरा
©riyabansal -
naushadtm 153w
Ek koshish collab ki - @fairygurl
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बस अपने लिए रब से माँगते है वो
©naushadtm
जज़्बातों को जो खेल समझते है
रिश्तों को भला कहाँ समझते है
©naushadtm -
panchdoot 154w
पत्रिका के आगामी अंक के लिए ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु...
1. 'हम और हमारे अधिकार' मैगजीन का शीर्षक है। जिसमें आप भारतीय नागरिक के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में मिले अधिकारों के बारें में लिख सकते हैं। ध्यान दे, आप केवल एक क्षेत्र और उसके अधिकारों के बारें लिखें। सभी अधिकारों को एक लेख में वर्णित न करें।
2. सही तथ्यों और नई जानकारियों के साथ लिखें।
3. लेख की शब्दसीमा 1500 से अधिक रखी गई है।
4. यदि आप आगामी अंक में लिखने के इच्छुक हैं तो नीचे दिए ईमेल पते पर अपना विषय और अंतिम तारीख दोनों बताएं।
5. लेख के साथ स्वघोषणा, पहचान आईडी और एक फोटो व नाम (जिस नाम से लेख) प्रकाशित करवाना चाहते हैं। सभी जानकारी एकसाथ भेजें। अलग-अलग मेल स्वीकारिए नहीं होंगे।
6. यदि आप कविता और कहानी भेजना चाहते हैं तो उसका कोई विषय नहीं। आप अपनी पसंद की सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानी कविता भेज सकते हैं, लेकिन प्राथमिकता उक्त विषय को दी जायेंगी ।
7. लेख भेजने की अंतिम तारिख 6 सितंबर 2019 है।
8- अपने लेख हमें panchdoot1@gmail.com पर भेजें।
9- केवल जरूरी जानकारी के लिए मेल करें अन्य जानकारियों के फेसबुक, ट्विटर या इंस्ट्राग्राम पर मैसेज करें।
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anita_sudhir 155w
लघु कविता
1)
शब्दों के तीर
क्यों चलाते हो तुम
ऐसा नहीं है कि
मेरे तरकस में तीर नहीं रहते ,
चुप रह जाती हूँ
होठों को सिये रहती हूँ
तुम्हारी ही सलामती चाहती
मुस्कान लिए रहती हूँ
पर घाव दे जाते जहर भरे तीर
इनकी चुभन से होती है पीर
कुछ दरक उठता है
कुछ कसक उठता है,
फिर तैयार हो जाती हूँ
दूसरे वार के लिये ।
2)
बड़े बड़े धनुर्धर हैं
बड़े हैं तीरंदाज ,
तीर निशाने के लिये तैयार
ढीली रह जाती प्रत्यंचा
तीर निशाने से चूक जाता है।
ये ही हो रहा समाज में
प्रेम ,समर्पण त्याग की
प्रत्यंचा ढीली हो रही
लगता नहीं वांछित निशाना
जीवन नैया का डगमगाना
बदस्तूर जारी है ।
©anita_sudhir
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बड़े बड़े धनुर्धर हैं
बड़े हैं तीरंदाज ,
तीर निशाने के लिये तैयार
ढीली रह जाती प्रत्यंचा
तीर निशाने से चूक जाता है।
ये ही हो रहा समाज में
प्रेम ,समर्पण त्याग की
प्रत्यंचा ढीली हो रही
लगता नहीं वांछित निशाना
जीवन नैया का डगमगाना
बदस्तूर जारी है ।
©anita_sudhir -
kartikchoudhary 156w
For my mirakee family happy independence day with rakshabandhan
#rakshabandhan #independenceday.
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prayaas_sharma 157w
कई को सवाल कई को मलाल है ये दोस्ती,
न करे तो तिश्नगी और करे तो जलाल है ये दोस्ती
कुछ सूखे पत्तों से रंग चढ़ा है बेईमान दिमाग पर ,
उसी बेरंग सी ज़िन्दगी का गुलाल है ये दोस्ती।
©प्रयास शर्मा "आशुतोष"
