Long-distance relationship
कातिल हूं मैं या कातिल है वो
किसे पता है के गुनहगार है कोन
ओर मुझ से न पूछो वक्त की रज़ा
हर अदा पे मैं फिदा , कातिल भी वो
हर कैफियत में शामिल भी वो
~ हेमन्त जांगिड़
hemantjangid
Actor | Writer
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लेखक
एक लेखक कल्पना
के समुद्र में तब तक
डूबता जाता है जब तक
उसको शब्द और स्याही
मिल नही जाते, ये दो मोती
उसे सामान्य से अलग बनाते है
जो उसे इतनी गहराई में डूबने के
बाद मिले है।
~ हेमन्त जांगिड़ -
दिल लगाने को 'हेमन्त' पूरा समंदर पड़ा हैं
जरा अतीत में झांक कर देख
शाह जहां का ताजमहल ख़ाली खंडर पड़ा है।
~ हेमन्त जांगिड़ -
इबादत
हर रात सोने से पहले तुझे याद करना
ये इश्क़ कम और इबादत ज्यादा लगती है।
~ हेमन्त जांगिड़ -
मन का जाने क्या पता, पलट के समझे भेद
पास रहते क़दर नही, दूर जाए तो खेद।
~ हेमन्त जांगिड़ -
वक्त- बेवक्त कहां, क्या बिसर जाएं
सितम तो हर तरफ़ है, क्या गुज़र जाएं ।
~ हेमन्त जांगिड़ -
मैं शहर भी आया तो कर्ज़ लेकर
अपनी हर जिम्मेदारी का फर्ज़ लेकर
किसने सोचा था बिक जाऊंगा
चंद पैसों में हजारों का दर्द लेकर
~ हेमन्त जांगिड़ -
दो वक्त की रोटी के लिए
एक वक्त काम करना पड़ता है।
काम नही हो, तो वक्त का क्या करे ?
जवाब है ये तो वक्त ही बताएगा।
~ हेमन्त जांगिड़ -
hemantjangid 39w
बारिश के मौसम में बूंदों सा
मिट्टी पर पड़े सिलवटों जैसा हूं
सर्दी में गर्मी की
बदलती करवटो जैसा हूं
गर्मी की तपती धूप में
सुकून-ए-मटके का पानी हूं
पतझड़ में सूखे पेड़ों सा
चरणों में पड़े पत्तों जैसा हूं
हर मौसम में मैं बसंत हूं
इसलिए मैं "हेमन्त" हूं
~ हेमन्त जांगिड़ -
द्वंद नही है लिखने को
छंद नही है लिखने को
सब कुछ तो लिखा जा चुका
दर्द वही है लिखने को है
कविता नही है लिखने को
उपन्यास नही है लिखने को
इतिहास लिखा जा चुका है
शब्द वही है लिखने को
~ हेमन्त जांगिड़
