She: Sometimes I get the feeling you resent me?
I said I was angry, and then I found out that my anger is based solely on my own interests. Within seconds, my anger killed itself, saying that my personal interests can never belittle you.
©️I A M A N K Y T
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iamankyt 10w
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iamankyt 12w
मुद्दत-ख्याल
कभी जो मैं अपने हौंसले बदहाल हो जाऊँ
कभी जो मैं तेरी बातों से निढाल हो जाऊँ
कभी जो तू खामोशी से कहकशाँ के दामन में छिप जाये
कभी जो मेरे जिस्म से सहरा लिपट जाये
कभी मैं जो मुनासिब हो वही करूँ
कभी जो मैं सच के आगे झूठ करूँ
कभी जो मैं बसों को छोड़कर पैदल ही गाँव चल लूँ
कभी जो तुझे देख कर मैं अपनी आँखें मल लूँ
कभी जो आसमान में सितारा टूटता नज़र आये
कभी जो मैं क्या माँगू यही समझ ना आये
कभी जो तुम्हें सागर में ऊँचा उछाल दिखे
कभी जो मेरी बातों में तबाही का उबाल दिखे
कभी जो मैं छत से दौड़कर हवाओं में उड़ना चाहूँ
कभी जो मैं उड़ते परिंदों के पैर पकड़ना चाहूँ
कभी जो तराशूं मैं बादलों में सीरत कोई
कभी जो ढूँढूँ मैं पानी में रंगत कोई
कभी जो मैं धुँए को और धीमा करना चाहूँ
कभी जो मैं नशे में हर लम्हा रहना चाहूँ
कभी जो मुझे कुछ भी मेरा हिसाब ना रहे
कभी को मुझको तारीखें भी याद ना रहे
कभी जो मैं तरस खाकर अपनी तन्हाई मिटाऊँ
कभी जो घर से निकलकर शज़र को गले लगाऊँ
कभी जो मुद्दतों में भी कुछ बदला ना हो
कभी जो अभी तक हमारा फैसला ना हो
तुम किस हाल में रहोगी तब
मैं किस खुशी में रोऊँगा तब
क्या तब भी मुझसे आकर तुम जुनून की बातें करोगी
क्या मैं तब भी अपनी बेपरवाही की अना अदा करूँगा
क्या तुम पूरी तरह से खो चुकी होगी तब तक
क्या किसी तरह मैं तुम्हें पा चुका होगा तब तक
मानो अगर ये चाँद ईश्वर के लिये
चुनिंदा फिल्मों को इकट्ठा करता हो
उनमें से एक कहानी हमारी भी हो
तो क्या हमारे चलचित्र देखकर ईश्वर रोयेगा
क्या वो भी सोचेगा हमें किसी तरह मिलाने की
जैसे
किसी फिल्म को देखकर
उनके किरदारों को मिलाने की तड़प हम में बस जाती है।
क्या मैं इस तरह ख्याल कर के
तुम्हारे हिज़्र में ज़िंदगी बसर कर सकूँगा
क्या मैं जहाँ रोज़ आग लगनी है वहाँ उस चमन में गुलाब खिला सकूँगा
क्या किसी तरह मैं एक झूठ को ही मैं अपना सच बना सकूँगा।
या फिर
तुम जो हो, जहाँ हो, खुश हो, इतनी सी दिलासा देकर
मैं अपने हर शौक से मुँह फेर लूँगा।
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 13w
कुछ हो तो भी ठीक या कुछ ना भी हो
तुमसे तो होगी बात भले तुम ना भी हो
मिट जाये तेरे साये आँखों से तो क्या
आओगे याद तुम, तसव्वुर ना भी हो
कर लेगी सफर तय अपने हिसाब से
खाली हो कश्ती जो नाविक ना भी हो
कैसी अदा है ये रोने की तेरी जुदाई में
सोचा तुझे उदास, तू उदास ना भी हो
मान लूँ सच जो कहो मेरे इंतखाब को
वो तो सब भूल थी जो भूल ना भी हो
बढ़ने दो सब्र का दरख़्त बहार के बिना
मिट्टी बँधी तो रहेगी जो सब्ज़ ना भी हो
दिल बहलाने को टहलता हूँ मैं यहाँ वहाँ
बच्चा तो रोता ही है अगर दर्द ना भी हो
वो परेशाँ कर मुझे हँसकर कहते थे कि
हम तो करेंगे ये काम, ज़रूरत ना भी हो
मैं आता हूँ मिलने जल्दी बहाने से कोई
वो करते हैं देर अगर मशरूफ ना भी हो
शायर की उदासी, हारने की सोच नहीं
रहता है ख़ून गरम जो तपन ना भी हो
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iamankyt 15w
आईने में कहाँ मिलता हूँ खुदको
अपने निशान में ढूंढता हूँ खुदको
अँधेरी रात में तेरी याद का बरगद
शमा जला कर रोकता हूँ खुदको
कर कर छेद अब कश्ती में अपनी
वाज़िब वाज़िब सोचता हूँ खुदको
ज़ख्मों से बने सितारें उभरते जब
बेसूरत सियाह लगता हूँ खुदको
जब करती हो मीठी बाते मुझसे
शहद की तरह चखता हूँ खुदको
शाम टकराती है जब दरख्तों से
बेसबब सवाल पूछता हूँ खुदको
तुम आती हो तो खुल जाता हूँ
वरना फक़त समेटता हूँ खुदको
अपने ही गाँव में तआरुफ़ नहीं
अना ये है कि जानता हूँ खुदको
लिखता हूँ ग़ज़ल बिना लहज़े के
कागज़ जैसा फाड़ता हूँ खुदको
सब गँवाने का हुनर पसन्द आया
जीत की तरह हारता हूँ खुदको
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 16w
बस कुछ देर का मिलना है फिर तो बिछड़ जाना है
इसमें भी ये लुकाछिपी, अरे हमने कल मर जाना है
तुम्हीं बोलो मेरी बातों में कब इंतज़ार नहीं दिखा तुम्हें
भला अँधेरी आंखों को कैसे उजाला भूल जाना है
नशे में भी तुमको तो छोड़ चुका हूँ घर सलामती से
थकान ये है कि मुझको भी तो घर वापस जाना है
कभी सोचता हूँ तू बैठी है मेरे इंतज़ार में कहीं पर
और कोई जो तेरे पास बैठा,तुझको सरक जाना है
क्या बताऊँ बेबसी कि उसकी उदासी सुनकर भी
दूर से ही मुझे बातों बातों का हौंसला रख जाना है
इसी बहाने रुका रहता हूँ मैं तुमसे मिलने के लिये
कि फिर मुसलसल दूर जाना है और बेहद जाना है
खुद तुम्हें करनी होगी अब मेरी वकालत खुद तुमसे
वैसे तो एक रोज़ सब दलीलों का रंग उड़ जाना है
पला बढ़ा तुम्हारी याद में, शौक मुतमईन रहने का
एक ऐसा ज़ख्म था कि मरहम में ये फन जाना है
मुझसे क्या पूछना कि अब क्या है आगे का रास्ता
इस फैसले के लिये अभी तो एक तूफान सजाना है
जो बदल गया तू, मलाल है मगर सोचता भी था
तेरे शौक ओ सूरत में रंग भरकर मैंने छँट जाना है
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 20w
Read it after the image.
ख़ैर जब ख़्वाब से जागा
तो फिर से ख्याल करने लगा
कि ये किस तरह की हालत थी
ना तो मैं खुश था ना ही दुखी
दरअसल मैं कहीं दिखा ही नहीं
मानो जैसे तुझको सोचना था
और खुदको तुझसे दूर भी रखना था।
ये सबकुछ याद करके
ऐसा लगता है जैसे मानो
कोई गरीब अमीरों की बस्ती में घूमने गया हो
जैसे कोई भाँग पीकर मेले की मस्ती में घूमने गया हो
जैसे मैं फिर से कोई गली जबरदस्ती में घूमने गया हो।
©️I A M A N K Y Tसहरा सब्ज़ा
मैं अपने अँधेरे से निकल कर
जब भी तेरे साये से जुड़ा हूँ तो
चाँदनी ने मुझे अपना सा माना है
मैं जब भी हवाओं की नमी बनकर
तेरे बालों पर बिखरा हूँ तो
मौसमों ने मुझे अपना दोस्त माना है
मैं जब भी बारिश की बूंद बनकर
तेरी हथेली पर रुका हूँ
तब मुझे अपनी ताज़गी का एहसास हुआ
मैं हमेशा तुझसे वस्ल की
अमित सम्भावनाओं में रहा हूँ
जहाँ कभी गया नहीं
वहाँ भी अपनी चीज ढूँढी है
मैंने मौत के बाद भी
तुझसे मिलने की उम्मीद ढूँढी है
मैं ख्याल करते करते जब
नींद के आगोश में गया
तब ख़्वाब ने बताया कि
तेरे इधर आने से
सहरा में एक बस्ती बनी
और आबाद होते चली गई
यहाँ पर पहाड़ उठे
खूब बारिशें हुई
सब्ज़ा हुआ
यहाँ आकर वो तितलियां बसी
जो चाँद पर बैठा करती है
यहाँ की मक्खियां
सूरज से रस लिया करती है
यहाँ किसी प्रकार का ना कोई बंधन है
यहाँ की मिट्टी फरिश्तों का चन्दन है
यहाँ ज़मीन जैसा कोई पिंजरा नहीं
यहाँ तो पानी भी
ज़मीन से कुछ ऊपर उठकर बहता है
यहाँ इतनी मोहब्बत है कि
शिकायतों को
खुदसे ही शिकायत हो जाती है
यहाँ की हवाएं
जब गालों पर फूटती है तो
तन्हाई रंग देती है
आँखों मे रक़्स भर देरी है
सादगी में नशा कर देती है
यहाँ के खेल भी अलग है
यहाँ जंगलों में
जहाँ मुलायम घास है वहाँ
सबको अकेला छोड़ दिया जाता है
जो ढूंढते है यहाँ
मुश्किल से मिलने वाले काँटे।
इनका मानना है कि
उन काँटो से खुदको ज़ख्म देकर ही
तुझको बुलाया जा सकता है
तेरा लम्स पाया जा सकता है
मग़र हक़ीक़त शायद कुछ और ही है।
ये काँटे दरअसल
तूने अपने अंदर छिपा रखी वो नाराज़गी है
जो अगर किसी को मिल जाये
तो शायद ये पूरी बस्ती लूट जाये।
और ऐसे ही जाने कितने राज पर
ये पूरी दुनिया टिकी हुई है
जहाँ अगर उजाला हो जाये तो
उसके आगे की कल्पना
मेरी मदहोशी के पास नहीं।
पर्दानशीं इस राज से परे
यहाँ सबको एक ही डर है
वो ये कि तुझको ये लोग
कहीं खो ना दे
क्योंकि यहाँ पर रह रहे
हजार साल के बूढ़े ने कहा है
कि तू एक लापता शख़्स है
जो गलती से इधर आ गया
एक रोज तू अपने मुकाम पर मग़र
चला ही जायेगा
या वो ही तुझे यहाँ आकर ले जायेंगे।
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 21w
बेचैनी
आज आ पहुंचा मैं
उस मरकज़ पर जहाँ
मेरे अंदर से कभी
ज्वालामुखी खुला था
निकले थे कई रंग और खनिज
जैसे: जुनून, जज्बात
ख़्वाब, ख्वाहिशें, आवारगी
दीवानगी और भी कई सारे।
आज आते ही एक धुन में
भर रहा था इस मुख को
और सोच रहा था बहुत कुछ।
क्या ये सिर्फ मेरी ही आदत है
कि जब
सफर शुरू होता है तो
बड़े जुनून और खूब ख्याल होते है
मग़र मंजिल आते तक
जुनून को शिकवें डंसते जाते है
लगता है जैसे
मैं यहां आया ही क्यों
अब यहाँ कभी नहीं आऊँगा
अब इनके साथ कभी नहीं रहूँगा।
और फिर लौटते वक्त तक
सब कुछ मर जाता है
बस खामोशी से लौटता रहता हूँ
शनासा मोड़ की दिशा में।।
कभी लगता है
आख़िर मैं हूँ ही क्या
असुरों की कहानी में
कभी पूरा ना होने वाला यज्ञ
या वो वरदान जिसे पा तो लिया
मग़र कभी काम में ला न सका।
मुझे यूँ तो अपनी काबिलियत पर
बहुत यकीन है मग़र
अब खुद को आसानी से
नाकारा कह देता हूँ
कस देता हूँ
कितना ही कड़वा तंज खुदपर।
और हँसता हूँ खुद ही पर
फिर सोचता हूँ काश
कुछ नहीं तो
मैं एक मज़ाक ही होता।
कभी लगता है कि
मुझसे आश्ना होते ही
हर चीज गलत हो जाती है
मैं समन्दर में चलूँ तो
हवाये पलट जाती है
कभी लगता है कि जैसे
मेरे चेहरे पर
डाइवर्जन का ठप्पा लगा है
जिससे हर आती चीज़
पहले ही मुड़ जाती है
और पीछे से टक्कर
मारती रहती है
अतीत से आती गाड़ियाँ।
कभी लगता है कि
मैं हाइवे के किनारे
लेटा हुआ
अँधेरे का गम मनाता
धूप सेंकता हुआ
वो शख़्स हूँ जिसने
खुद अपनी कलाई से
आँखे ढक रखी है।
कभी सोचता हूँ कि काश
कोई काटकर अलग कर दे
मेरे मन के भीतर उलझे धागों को।
मग़र फिर ये काम सिर्फ़
मैं ही कर सकता हूँ
लेकिन जब भी
इन्हें काटने जाता हूँ तो
एक जुनून आता है
फिर से इन्हें सुलझाने का
और दो चार पुरानी उलझने
तो सुलझा लेता हूँ मग़र
दस बीस नई उलझने बड़ा देता हूँ।
काश जम जाये अब
लावा ज्वालामुखी पर
इस तरह जैसे
जम जाता है ज़ख्म पर
खून का थक्का।
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 22w
जवाब
जितने बड़े बड़े ख़्वाब देखे मैनें
मैं उतना ही छोटा रह गया
एक यार से मैंने कहना भी चाहा
मैं बहुत टूटा हुआ हूँ
मग़र फिर सोचा
कोई क्या ही समझेगा
ख्वाबों की शिकायत को
सो सुनता ही रहा उसके तकल्लुफ़ को
मैंने कुछ इशारा भी किया
अपनी बात जताने का
मगर उसकी नासमझ
मुझे चुप रहने की समझ दे गई।
और अगर बताता भी तो
वो मुझे ही कसूरवार समझता
और लगभग मैं ही कसूरवार हूँ
इस बात में कोई शक नहीं।
मैं कहना तो नहीं चाहता मग़र
कहीं न कहीं खुद पर
थोड़ी सांत्वना चाहता था
कि खुदसे तो अब
खुदको सांत्वना देने का दम नहीं।
मैं लोगों से तो अब भी
बड़ी बड़ी बातें कर सकता हूँ
मग़र खुद से किस गवाही पर करूँ।
यानी जैसे घर के बाहर तो
अब भी सरकारी खम्भों से
रोशनी थी मग़र घर के अंदर
तो कोई ऊर्जा नहीं।
मैं अब हर तरह से झुकने को तैयार हूँ
अपना हर कद बौना करने को तैयार हूँ
मैं अब खुद अपने आप को
गाली देने के लिये तैयार हूँ
मैं तो कुछ ना होने को भी तैयार हूँ
क्यों दिल के हाथ पैर नहीं होते
क्यों ये मुझे छोड़ कर निकल नहीं जाता
क्यों कोई मेरी अक्ल को गुलाम बना नहीं जाता
क्यों मेरा स्वार्थ
मेरी नैतिकता से जीत नहीं जाता
क्यों मैं बला का बुरा हो नहीं जाता
क्यों
क्यों
क्यों।।
मग़र मेरी ये सब हालतें भी बौनी है
मेरी एक आदत के सामने।
हिम्मत ना हार सकने की आदत
मैं हिम्मत हारकर भी
हिम्मत हार नहीं पाता।
चाहे मैं अपने आप में
कोई सुधार कर ही ना पाऊँ
और उम्र भर नाकामयाब रह जाऊं
मग़र फिर भी
हिम्मत कभी हार ना सकूँगा।
शायद कभी मुमकिन हो सके
मेरा वो जवाब बनना
जो आज उठते सवालों को
शर्मिंदा कर दें।
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 22w
झूठा है अगर सवाल तो झूठ ही कहूँगा
आप पूछोगे जो हाल तो झूठ ही कहूँगा
रूह ने जो उसकी खबर दी वही सच है
ये आँखों देखा हाल तो झूठ ही कहूँगा
दशाएँ बदली, बिछड़ने वाले मिल गये
किताबों में ये कमाल तो झूठ ही कहूँगा
करके वादा फिर कभी मिलने का मुझसे
जो लोगे मेरा ख्याल तो झूठ ही कहूँगा
किसी दिन आकर गिनाकर अपनी यादें
पूछोगे मेरा मलाल तो झूठ ही कहूँगा
बहक कर अग़र करूँगा खुल के बात
कहोगे दिल सँभाल तो झूठ ही कहूँगा
मुन्तज़िर पेड़ परिंदों का देख जो कहोगे
खूबसूरत है ये डाल तो झूठ ही कहूँगा
छू ना सकी कश्ती चाँद चाँदनी रात में
समन्दर का उछाल तो झूठ ही कहूँगा
नहीं हुई जो बर्दाश्त शब ए हिज़्र मुझसे
गुजरा हुआ विसाल तो झूठ ही कहूँगा
©️I A M A N K Y T -
iamankyt 23w
किसी के नाम से अपना नाम क्यों करें हम
गैरों के बहाने से अपना काम क्यों करें हम
ठीक है मौजूद फिर गुमनाम ही कहीं पर
आबरू ए खामोशी बदनाम क्यों करें हम
जो हम में निहाँ है किसी को तो पता है
ये खूबसूरती खुदसे सरेआम क्यों करे हम
हाँ तू छिपाता है तुझ तक आने का रास्ता
पर सफर ये मज़ा है आराम क्यों करें हम
खेलें तेरे शहर आकर कोई ना आता खेल
मुखातिब तेरे कोई इंतजाम क्यों करें हम
किसी की बातों में आकर, कसमें खाकर
अपने जी का हाल यूँ तमाम क्यों करें हम
निभायेंगे साथ आपका बेसबब भी मग़र
है गफलत आपमें तो सलाम क्यों करें हम
नहीं तूफान को ना मुझे तूफान से फर्क़ अब
इस हाल में नज़र सर ए बाम क्यों करें हम
हमको तो फ़िराक़ में यह तसव्वुर सताया है
बंदिशों में यूँ खुद पर लगाम क्यों करें हम
ज़ुबान से तो नहीं कहा मुझे चले जाने को
इशारों में कहा है तो औहाम क्यों करें हम
©️I A M A N K Y T
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जब दाऊ बोले किशन कन्हाई,
बलराम की आँखें भर आई,
हलधर, बलशाली कृतकृत्य,
नारायण की निश्रा जो पाई,
चाहे युद्ध महाभारत में,
भेद मत के हुए दोनों में,
पर मन से गाँठ एक बंधी थी,
एक की आँख अगर रोई तो,
दूजे की कोरी कहाँ रही थी,
मानव लीला में बने जो भाई,
शेषनाग कर्तव्य न भूले,
प्रभास में ली थी समाधि,
क्षीरसागर को,
प्रभु से पहले थे पहुँचे।
©jigna_a -
jigna_a 12w
नग्न हास्य संसार को घातक लगता,
विशेषतः जब वो किसी स्त्री का हो,
आँखों में झिलमिल लकीर बाध्य कहाँ,
बशर्ते घूँघट के पीछे हो,
मनका मनका जोड़ बना हार,
पल्लू के ऊपर तो फबता,
परंतु पवित्र कुच की एक भी लकीर,
दिख गई तो मोती चुभता,
जो काया जीवनदायिनी, उसका दर्शन नर्क का द्वार,
फिर आठ माह की शिशु बाला पर क्यों होते अत्याचार?
लेकिन अब वो अकुलाती नहीं,
बस,अपनी हँसी को छुपाती नहीं,
तिरस्कार, घृणा,निरादर, त्याग,
विष ही सारे बस नाम अलग,
हलक से गरल की जलन से,
जो अधरों पे प्रस्फुटित होता,
वो स्मित अमृत सम अमर होता,
उसे परवाह नहीं अब उसका क्या आकलन करोगे,
वो अब बन चुकी,
अमृता!
©jigna_a -
दूर रह तू सबसे रानी कि तुझसे ना कोई बैर करे,
फ़िर भी अगर टकरा गये तुमसे तो ख़ुदा ख़ैर करे।
©rani_shri -
atif_aslam 13w
@kp_singh @uzmafaiz @iamankyt @iamfirebird @saniyasdd
Ego needs a platform to showcase itself and social networks are the perfect answer. 80% of our online conversations are self-disclosure, compared to 30-40% of offline conversations. We live in a ‘Me’ society with an obsession of the ‘self’ that drives us to update our status and tag ourselves in photos(but only those that we look good in of course).Ego
Ego needs a platform to showcase itself and social networks are the perfect answer. 80% of our online conversations are self-disclosure, compared to 30-40% of offline conversations. We live in a ‘Me’ society with an obsession of the ‘self’ that drives us to update our status and tag ourselves in photos(but only those that we look good in of course).
अहंकार को खुद को दिखाने करने के लिए एक मंच की आवश्यकता होती है और Socail Network इसका सही उत्तर है।
30-40% offline बातचीत की तुलना में हमारी 80% online बातचीत खुद की तारीफ के लिये होती है।
हम 'मैं' समाज में 'सबकुछ मैं ही हूं' के जुनून के साथ रहते हैं जो हमें अपनी हर activity को Update और photo मे tag करने को प्रेरित करता है। (लेकिन केवल वे जो हम अच्छे दिखते हैं)।
©atif_aslam -
ज़िन्दगी की उठा-पटक में
सबकुछ छूट जाएगा कहीं
वक़्त के नए फ्रेम में
जब मुड़ कर देखूँगी कभी
उन अहसासात के
मायने बदल तो न जाएँगे कहीं
©neha_sultanpuri -
neha_sultanpuri 13w
उम्र भर जिनको अक़ीदों ने लड़ाए रक्खा
बाद मरने के वो सब एक ही रब के निकले
~ राजेश रेड्डी -
मैं तुझे फिर मिलूँगी,
तेरे ही आँसुओं में,
जो टपक रहे होंगे मेरे जाने के बाद,
और उनमें बसी मैं,
तब भी कहूँगी तू रहना आबाद,
मेरी यादों की कब्र पे
तू चढाएगा अपनी आहों के फूल,
तब वो सारे इल्ज़ाम
जो तूने लगाए थे मुझपे,
उन फूलों में महक उठेंगे,
सुन, वो जो बरगद है न,
जिससे दोस्ती है तेरी,
उसकी एक टहनी मेरे नाम करेगा?
तुझे उस नफ़रत की सौं'
जो कभी मुहब्बत के ऊपर मुखौटा बना
लगा लेता था अपने वजूद पे,
देखो न, मैं फिर भटक गई इधर उधर,
उस टहनी में झूलूँगी मैं सालों,
और शायद वहाँ झूलते,
किसी मासूम की हँसी में,
मैं तुझे फिर मिलूँगी।
©jigna_a -
Is it pink or blue?
Excruciating pain
My movements in her womb
Marks my existence
Instead of asking her
"How's she?"
They asked her,
"Is it a boy or girl?"
Why blue is meant for boys and pink is for girls?
Each one is happy except few
Shh! Gender doesn't match any of the two, there's no reason to distribute sweets
Some congratulate my mom and also blessed her
To give birth to a "boy" next time
But I am unfortunately the first transgender
It's the last day of the year of 70'
Instead of welcoming my existence
Few cursed my mom for giving birth
To a baby who's neither girl nor boy
But then,
My maternal uncle posted a telegram to my paternal grandpa as,
"New family member is being added and it's a boy"
My birth started with a fraudulent
Exactly after 1 week of my birth,
They came to visit me as they find out
What's my entity?
A division has been created between two family
Only because of me
I too cursed myself for being different
But finally in the year 2019,
We're protected, our rights have been recognised
And received a status of our own to live like any other people
//It's not about just pink or blue
It's about the existence of people who are born different or indifferent//
©leena_afsha_ishrot -
jigna_a 16w
मेरे अज़ीज़ ने कहा है मुझे ज़िंदगी हमें जीती है,
और ये सिखाने को ज़िंदगी ने उसे भेजा था।
उसे खोने से बहुत ड़रती थी मैं,
उसने बखूबी मेरा ड़र निकाल दिया।
बस, खो गया!
Jignaaमेरे पास कोई मुद्दा नहीं लिखने का,
अर्थात यूँ नहीं कि ज़िंदगी ने न छेड़ा,
मुस्लसल कहीं का नहीं छोड़ा,
फिरभी, शिकायतें क्या करना,
जब जन्मे थे क्या कोई परिपत्र लिखा था?!
एक मुट्ठीभर आँसू मिलेंगे,
पुलिंदा भर ठहाका,
बादलों की सैर करोगी,
या पत्थरों पे सर पटकना,
नहीं कोई कंडीशन अप्लाइड का तमगा नहीं था,
न ही आचार,विचार, प्रचार या प्रवचन था,
ये तो हम ही बुद्धिजीवी कुछ ज़्यादा,
हाथों की आड़ी तीरछी लकीरों में कहीं किस्मत का एकतारा बजाया था,
देखो न कुछ था नहीं,
फिरभी कितना कुछ लिख गई,
वो सहमी सहमी जिगना,
कलम के पीछे बेबाकी से छुप गई,
कल फुसफुसाई थी उसकी सखी उसके कानों में,
बोली, किसने कहा था तू मुझे जी रही,
मैं ही तुझे जीने आई थी,
वो ही अपनी ज़िंदगी,
जो इस दफा मुद्दा बन गई।
©jigna_a -
anandbarun 22w
@kshatrani_words #rachanaprati126
मैंने, यह नुस्खा आजमाया है
बहुत कारगर साबित हुआ है
हाँ, कभी कोहरा घना तना है
कभी सूरज भी अस्त हुआ है
पर मन को राह दिखलाता है
सदा सुबुद्धि संचरित हुआ हैआत्ममंथन
इस जीवन की उथल-पुथल में घिरे
नित कुछ आत्म चिंतन के पल रहे
मुख्यतः जीवन की समस्त समस्याएं
अर्थ, स्वास्थ्य और रिश्तों से हैं जुड़े
पर, रिश्तों को सुधारने में वक्त लगे
यह सर्वाधिक प्रतिकूल असर करे
और अंततः सौभाग्य को भी पलट दे
अन्य को सुधारने से पहले, पहल रहे
समझ को इक नया आयाम है देने
नित्यप्रति उन्हें प्रार्थना में जरूर लाएं
उनके खुशियों हेतु मन में भाव जगाएं
जिन से रंजिश हो तनिक भी मन में
उन्हें माफ कर, उनके गुणों को गिनें
कलुष के कोहरे तितर-बितर कर के
मन को आनन्द का आगार बनाएं
उत्तम स्वास्थ्य और वैभव स्वतः पनपे
और शत्रु भी मित्रवत आचरण करे
नव प्रभात का अविर्भाव हो जीवन में
जन्म सार्थक कर अनुकरणीय बनें
जग प्रकाशित कर सूरज सा खिलें
©anandbarun
