होंठो पे रखी हुई
ये सिगरेट
न कोई तलब है
न कोई नशा ,
ये तो फ़क़त
तुम्हारे होंठो की
छुवन की स्मृति को
भूल जाने की
मेरी इक़ नाक़ाम
कोशिश है..❣️
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gym_lover
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महोब्बत में जबरदस्ती
अच्छी नही होती
जब आपका दिल करे
तब मेरे हो जाना..
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याद आती हैं
बातें कितनी बैठकर
इस साहिल पर ,
रोना चाहता हूँ ,
मग़र हँसकर
हाल-ए-दिल
सँभाल लेता हूँ..❣️
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अपने अधूरेपन का
अहसास हमेशा
रहा हैं मुझें
तेरे ख्वाबों से
खुद को पूरा
करता हूँ मैं..
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इक़ स्त्री के
प्रेम में इतना
डूब चुका हैं पुरुष
कि अब पिता
की थकान भी
नही दिखती उसे..!
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सभी पुरुष
जिस्म नही मांगते ,
कुछ तुमसे ,
तुम्हारी पीड़ा
भी मांगते हैं...!
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ये 'तन्हाई'
जो कई वर्षों से
मिरे साथ हैं ,
मग़र
अफ़सोस हैं मुझे
कि इक़ दिन
यूँ भी होगा ,
मैं इसे 'तन्हा'
छोड़ जाउँगा...!
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जिंदगी से
निपट रहा हूं
मौत क्या हैं ?
खुदा ही जाने...!
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कि बिखरे-बिखरे सहमे-सहमे
रोज-ए-शब्द देखेगा कौन
लोग तेरा जिस्म देखेंगे
तेरी सादगी देखेगा कौन..!
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आप कितने ही अच्छे
क्यूँ न बन जाओ ,
मग़र हमेशा किसी के
ख़ास नही हो सकते...!
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