एक ही मोड मैं खड़े दो अजनबी जिनकी पता और रिश्ता एक लेकिन रंगे अनेक... न खुलती है न ढलती है,.... शायद इनके रंगे हैं अजनबी.....
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Silencing my inner talks and silencing my inner peace I am silently listening to your inner being...
Not waiting for my answers but waiting for the unfurnished talks which your eyes in silence left unfinished ...
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keet_pro 28w
Ignoring the winter evening's she floats like a stringless kite between the book stalls in her lose fitted pyjamas ,adjusting her glasses, hushing to her messy falling hair and Pushing herself away from the assembled world.......
And there she goes like warrior finding her copies in one hand and feeling her happiness in every single sip of hot steaming cofee on the other hand.........
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साथ होकर भी हाथ छोड़ने का डर क्यों बनी रहती है
दिल की बातें क्यों दिल में ही रह जाती हैं....
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मद्धम सी हवा ओढ रही है एक नही लहर...
दिल में उठी लहर गूंज रही है कानों पर.. फिर भी क्यों नैनों ने रोकी है उन बुदो कों........फिर भी क्यों नैनो ने रोकी है उन बुदो को....©keet_pro
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keet_pro 41w
The band on the ring finger
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The wedding band on the ring finger looks prodigious and ravishing with herculean expectancy and subservient values embedded on it......
The infallible band on ring finger gibe on frisky rhythm of my heart to beat slow with oders and illusory bliss.... -
keet_pro 42w
खयालों से उनका हाल पूछूं या अपने हाल का पता भेजूं....
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पलके पूरी तरह से खुली नहीं थी और आंखों से नींद अभी भी तेहार रही थी.
सूरज भी सुबह आलस भरी निगाहों से देख ही रही थी की एकदम सी बेपरवाह झिलमिलाती वह अ उतरी थी. मेरी खिड़की के पास मुझे दस्तक देने के लिए... उसके आते ही सूरज मुंह बनाकर मेघों के पीछे छुप गए थे और यह देखकर कलियां आपस मैं हंस रही थी... मैं एकदम उसे नजरअंदाज करके अपनी चादर खींच रही ही थी की खिड़की के बाहर से ठंडी ठंडी मोती जैसे पानी के छींटे चेहरे पर बरसा दी... उसकी इस मासूमियत देखकर हंसी पड़ी में और चुपचाप उठ कर छज्ज पर चल आई एक कप चाय के साथ और तब तक तो वह पूरी तरह से बरस पड़ी थी यहां पर, वहां पर
बड़ी ही बेपरवाही और शरारतपण से....
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keet_pro 83w
बिन मौसम बारिश!!!!!
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ऐसा क्यों लगती है कि बिन मौसम बारिश और पुरानी यादों का बहुत गहरा ताल्लुक है!!!
ना किसी से कुछ पूछती और ना किसी को कुछ बताती /
जब भी आती है पुरानी यादों को फिर से ताजा करके चली जाती है/
नखरे तो नूरजहां से भी कम नहीं इनकी !!!!लेकिन जब भी आती है यादों पर जान और चार चांद डाल ही लेती है / -
keet_pro 92w
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चांदनी रात से मुंह मोड़ लो या चांद से रूठ ही लो और तारों से दिल भरके तेरी शिकायतें करो ताकि
कोयलिया तेरे खिड़की के बाहर पूरी रात बैठकर गाती रहे... और तुम्हें समझाए कि किसी घूमती फिरती भोली भाली सी बादल को कोई ऐसे सताते हैं क्या????
