"चुपके से" कान में हवा कुछ कह गई
चूड़ियाँ भी खनक गईं पायल भी छनक गई
कजरा भी शरमा गया गजरा भी महक गया
शायद तेरे आने का संदेश दे गईं
©kusumsharma
kusumsharma
Kahte hain ki jo aap doge usse kahin guna prakrati vapis karti hai. Instagram= kusu.sharma22
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kusumsharma 140w
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kusumsharma 141w
❤ तेरे सिवा न कोई था न है और न होगा ❤
ये तू जाने या मैं
#mirakee #writersnetwork #readwriteunite #pod #writersofmirakee @mirakee #krishnalove #god @mirakeeworld @writersnetworkइस दिल में मेरा साँवरा किसी और को कैसे आने दूँ
हर धड़कन में वो ही धड़कता हर साँस में उसका नाम
किसी और का कैसे लूँ
हर जनम उसी को चाहा इस जनम में कैसे छोड़ दूँ
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
मैं तो एक बूँद बादलों के संग बरसती रही बस यूँ ही
तूने अपने में जो मिलाया कब मोती बन गई
पता ही न चला
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
अगर आईने में साफ नही दिख रहा तो ये आईने की नही उस पर जमी धूल की गल्ती है हम धूल साफ करते नही और आईने कोदोष दे देते हैं
इसी तरह हमारे मन पर भी न जाने कबसे स्वार्थ ईर्ष्या लोभ लालच मोह आदि विकारों की धूल जमी हुयी है जिसके कारण हम दूसरों को ज्यादा दोष देते हैं अपने अंदर झांककर नही देखते...
#mirakee #writersnetwok #pod #writersofmirakee #quote #life #lifequote @mirakeeworld @writersnetworkअर्से बाद आईना जो साफ किया
कुछ चटके कुछ टूटे कुछ बिखरे
तो कुछ खिले खिले से ज़ज्बात दिखे
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
ये हवा में कैसी महक है
लगता है
तेरे दिल में भी प्यार का
कोई फूल खिला है
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
लगता है तूने दिल ❤ की अदला बदली कर दी
तभी तो धड़कनों में तेरा ही नाम सुनाई देता है
क्या तुझे भी ???
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
हमारी आँखों में कोई प्रकाश नही है ये तो सिर्फ़ यंत्र हैं, बाहर प्रकाश है तभी हम देख पाते हैं, चाहे वह सूर्य का हो चाँद का हो या किसी अन्य साधन का हो, अगर ये न हों तो अंधकार ही अंधकार है...
असली प्रकाश तो वह है जो अंधकार में भी देख सकें, जहाँ बाहरी प्रकाश की जरूरत ही न पड़े, जहाँ स्वतः ही प्रकाश है, और वह तुम्हारा खुद का है, "परमात्मा" का है
कुसुम..✍
#mirakee #writersnetwork #readwriteunite #pod #quote #philosophy #thought #lifequote #writersofmirakee @mirakeeworld @writersnetworkप्रकाश में तो हर कोई देख लेता है
जो अंधकार में भी देख ले तब बात बने
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
तेरी यादों ने अंगड़ाई ली है
लगता है तूने कहीं मेरा ज़िक्र छेड़ा है
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
हमे डर क्यूँ लगता है !!!
क्योंकि हम इस शरीर को ही खुद को समझ बैठे हैं
जिस दिन इस बात का अहसास हो जायेगा कि हम इससे अलग हैं उस दिन हर दुख चिंता से मुक्त हो जायेंगे
लेकिन इसका मतलब ये नही कि शरीर महत्वपूर्ण नही है बहुत महत्व है इसका इसी के द्वारा हम परम सत्य की प्राप्ति कर सकते हैं
इस शरीर में जितने भी कष्ट आते हैं तो उन कष्टों का अनुभव हम ही करते हैं शरीर नही
जैसे मकान में टूट फूट होने पर मकान को कोई फर्क नही पड़ता उसमें रहने वाले को पड़ता है और वह उसे ठीक करवाता है
लेकिन एक समय ऐसा भी आता है जब रहने वाले को भी कोई फर्क नही पड़ता बस वह अपना नियत कर्म करता है...
©kusumsharma -
kusumsharma 141w
अहं के खेल में
रिश्ते दाँव पर लग जाते हैं
जीत किसी की भी हो
घाव दोनों ओर लगते हैं
©kusumsharma
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सुनो कान्हा,
इक तेरा दर, ना हो दूरी ।
मेरा झुका हुआ सिर,ना हो मजबूरी।।
मेरी ये प्रीति ,बढ़ती रहे उम्र सारी ।
है ये आखरी तमन्ना, इसे ना रहने देना अधूरी ।।
©miss_sharma_ -
bal_ram_pandey 141w
इश्क़ दरिया है, एक तूफ़ान है
इसके करीब ही, दिल का मकान है
आहों का समंदर ,तसव्वरकी कश्तियां
ज़ुस्तज़ू मौत की , जिसका मुकाम है
हो गया महताब ,जिस पर हुई नज़र
जिस पर हुआ ,सितम उजड़ा जहान है
हुए फना कितने ,ग़म जदां होकर
मरते हुए को इश्क, जीवनका दान है
लोगों की कहने से होते,खफा नहीं
उल्फत इश्क़ की, मीठी जुबान है
इंतज़ार में उनके जले, अश्कों के चिराग़
ख्वाबे-आईना है इश्क़, ग़म का जाम
©bal_ram_pandey -
ग़ज़ल-३९
घर बार छोड़ आई क्यों, क्या मंहगा इतना प्यार था
रिश्ते-रिवाज़-रस्म से ज्यादा, वो इजहार बेशुमार था
माँ-बाप-भाई-बहन क्या कुछ रहे नहीं थे, कहने को
अंधा बना दिया जिसने, क्या प्यार वो नहीं बेकार था
अब ठोकरों में, कट रही ज़िन्दगी, तो एहसास हुआ
तब बहे आब-ए-चश्म में, ना दिखा तुम्हें खुमार था
वो नोच रहा था, तुम्हें नाम प्यार का कर आगे
तेरे जहन में उस बात का, कोई ना आसार था
कैसे चून लिया था, हमसफ़र-ए-यार को बन अंधा
तबाह कर दी खुशियाँ, इक घर की, कैसा प्यार था
खुली निगाहों से, हश्र देखता रहा, सामने से 'विशाल'
हलक तक खुली नहीं, वहाँ तो इर्दगिर्द अंधकार था
©gazal_e_vishal -
ग़ज़ल-४०
" आसाँ कहाँ "
वो करेंगे भी क्या मोहब्बत यहाँ, रह-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
मिले गुल-ए-बदन कांटों में, मुस्तक़िल सू-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
कितने मर मिटे, जाँ-निसार कर गए, शान-ओ-शोहरत के खेल में
वो क्या निभाएँगे इश्क़-ओ-मोहब्बत, ऐश-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
पत्थर बन बैठे, खा फरेब कितने, इस रह-ए-उल्फत में जो यहाँ
नूर-ए-हुस्न का ज़हर पाकर जिए, बहार-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
खुश नसीब करोड़ों में, मिल जाएँगे गिने-चुने, गर दरख़्वास्त की तो
हरेक के नसीब में कहाँ लिखा, मिलेगा दाद-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
वो तो परवाने होते है, जानकर भी जल जाते है, पास शमा के
उन जैसी मोहब्बत में क्या चलेगा कौन, दर्द-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
वो लूटा देते खुद को शान से, जैसी उनकी मुराद या इबादत हो
बे-फ़िक्र जिया करते इश्क़ में, ऐसा हद्द-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
आएँ वो ज़रूर लुटाने खुद को, 'विशाल' होगा क्या आगे ना समझा
तैर जाएँगे या डूब जाएँगे यहांँ लुटाते, लुफ़्त-ए-सफ़र ये आसाँ कहाँ
©gazal_e_vishal -
ग़ज़ल-४१
झूठे पर्दे लगाए बैठे, सीरत छुपाएंगे वो कैसे
इतना आसाँ ना है लूटना, लुटाएंगे वो कैसे
फरेबी शख्सियत रख, गिरेबाँ में हमें मिले
असलियत को खोदकर, मिलाएंगे वो कैसे
तसल्ली झूठी लगती, आज भी वादों में किए
सच का बोझ खातिर, हमारे उठाएंगे वो कैसे
साल-दर-साल आ जाते, देने समझ वो हमको
अपनी समझ को यहाँ, समझाएंगे वो कैसे
उगलेंगे ज़हर, गर बातें उठनी शुरू होगी तो
तपिश से फिर हमारे खुद को बचाएंगे वो कैसे
सब खेल लेते, साथ हमारे खिलौने ना है हम
पता चले सब एक है, तो सर ढकाएंगे वो कैसे
अभी तुम ही कह दो 'विशाल', क्या सही यहाँ
काफ़िर तो अपने है तो, आगे बढ़ाएंगे वो कैसे
©gazal_e_vishal -
_aahana_ 141w
#riya_twolines #writerstolli
Fighters must always be ready... Who knows...when life may present a new challenge....सब्र ओ हौंसला अपना ही करता साया
कठिनाईयों की धूप से बचने का नही कोई आसरा
©riyabansal -
deepajoshidhawan 142w
खयाल रहे ,
जो इंसान ' तुम्हारे ' लिए कभी
'किसी और ' को छोड़ आया हो
एक दिन ' किसी और ' के लिए
ज़रूर ' तुम्हें ' भी छोड़ जाएगा..
©deepajoshidhawan -
deepajoshidhawan 142w
क्रोध, क्षोभ, ईर्ष्या में जिह्वा
शब्द रचना में सदैव हारी है,,
विराम उचित तब वाणी को,
मौन चिंतन सब पर भारी है..क्रोध, क्षोभ, ईर्ष्या में जिह्वा
शब्द रचना में सदैव हारी है,,
विराम उचित तब वाणी को,
मौन चिंतन सब पर भारी है..
©deepajoshidhawan -
deepajoshidhawan 141w
Your greatest fear is not death or failure.
It is losing your dear ones.तुमसे मिलकर यूँ बदल गया है
इबादत करने का अंदाज़ मेरा,,
जो बख़्शा बस वो सलामत रहे
ऐ ख़ुदा हो मुझ पर करम तेरा..
©deepajoshidhawan -
शब्द
इन से गहरा लगाव रहा है मेरा
बचपन से ही किस्से कहानियों कविताओं के रूप में
ये मुझे अनायास ही अपनी और खींच लेते थे
और फिर जब धीरे-धीरे जिंदगी
अपनी अनिश्चताओं से डराने लगी
तो काले बोर्ड पर लिखे हुए ये सफेद अक्षर
मेरी जिंदगी का मकसद और जुनून बन गये
जब तक कि मैने अपना मुकाम न पा लिया
खुश किस्मत हूं कि इन्होंने मुझे सक्षम बनाया
वो लौटाने मे जो मैने प्राप्त किया
फिर यूँ ही चलते चलते
खुद पर से विश्वास खोने लगा
तो एक बार फिर इन्होने थाम लिया मेरा हाथ
और अब जब कोई कह देता है कि
मेरी कलम समेट लेती है संसार खुद मे
तो ये फक्र बन मेरी आँखो मे चमकने लगते हैं
और मैं निश्चिंत हो जाती हूँ
कि ये मुझसे कभी दूर नहीं होंगे
मेरे साथ भी....मेरे बाद भी...
©riyabansal
