परत दर परत जमीं थी खामोशियाँ मेरी....
परत दर परत सब्र ने आज़माया मुझे...
©man_ki_pati
man_ki_pati
Dard + Ashu = Muskaan
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man_ki_pati 12w
कौन नहीं चाहता हैं अपनी ज़िन्दगी को जीना...
मगर कभी - कभी ज़िन्दगी कुछ ऐसे हालात बना देती हैं...
कि...फिर वही ज़िन्दगी बोझ लगने लगती हैं.. -
man_ki_pati 17w
"प्यार".......
हमारे कुछ दोस्त कहते हैं हम प्यार पर नहीं लिखते...
बात छोटी सी बात थी..
लेकिन कही ठहर गई...
आखिर क्या हैं ये प्यार...
क्या प्यार को सच में समझा जा सकता हैं..?
क्या आप कभी समझ पाए..?
क्या किसी का साथ प्यार हैं..?
या किसी से जुदाई प्यार हैं..?
किसी के साथ हसना प्यार हैं..?
या किसी को याद करके रोना प्यार हैं..?
आखिर हैं क्या ये प्यार...?
आपने किसी को चाहा वो आपसे दूर हो गया..
क्या ये प्यार हैं..?
या आपने किसी को चाहा वो आपको मिल गया ये प्यार हैं...?
नहीं एसा कुछ भी नहीं हैं..
प्यार इन सब से परे हैं...
वह आसमान के ऊंचाई से ऊँचा हैं..
सुन्दर कि गहराई से गहरा हैं....
प्यार में रूहदारी और रूहदारी में प्यार हैं...
जो आपके अंदर उतऱ जाए बस वही प्यार हैं..
जो बदले में कुछ ना मांगे बस वही प्यार हैं..
प्यार में विरह या श्रृंगार नहीं होता..
प्यार में बस प्यार होता हैं..
मुहब्बत कभी अधूरी नहीं होती..
वह तो हमेशा से पूरी होती हैं..
उसमे अधूरापन कही हैं ही नहीं..
प्यार में किसी को पाने कि शर्त नहीं होती...
और ना कभी प्यार को सोच समझकर किया जा सकता हैं..
ना जाने किससे कब और कहा हो जाए..
अगर आपको कभी एसा लगे कि आपका प्यार अधूरा हैं..
तो आपको चुनाव करना होगा..
प्यार और अधूरेपन में से किसी एक का..
क्यूंकि या तो "प्यार" होगा..
या तो "अधूरापन"..
दोनों एक साथ नहीं हो सकते..
क्यूंकि प्यार तो अपने आप में ही पूरा होता हैं..
अगर आप किसी के प्यार में हैं तो आपको दुनिया कि हर शह खूबसूरत दिखती हैं..
प्यार जरूरत जिम्मेदारियो इन सबसे ऊपर हैं..
प्यार एक नशा हैं..
जिसमे एक प्रेमी हमेशा नशे में रहता हैं..
उसे तो दुनिया कि हर शह अच्छी लगती हैं..
जब अपने मेहबूब को अपने रूह में महसूस करने लगो..
जब उसके ना होने पर भी..
उसको अपने करीब पाओ..
आँखे खुलने या बंद करने पर..
जब उसका हसता.. मुस्कुराता चेहरा हर वक़्त तुम्हारे नजरों के सामने हो..
तो समझ जाइएगा यही प्यार हैं..
हमारी नजर में तो बस यही प्यार हैं..
आपकी नजर में कुछ और हो तो हमे बताइयेगा जरुर...."प्यार"......
©man_ki_pati -
man_ki_pati 19w
क्या हो यैसे तुम...???
यदि किसी टूटी हुई स्त्री ने...
आकर तुम्हारे कंधे पर सर रख दिया हो कभी चुपचाप...
तो बेहिचक बताना सबको कि...
संसार के सबसे भरोसेमंद पुरुष तुम हो...
यदि कोई तुम्हारा अपना...
तुम्हारे पुकारने पर टूट गया हो और बह गया हो फुट फुट कर
तो कहना...
संसार के सबसे गहरे मित्र हो तुम...
यदि तुम्हे नहीं सूझे..
कभी भी कोई सवाल उसके लिए..
जिसके प्रेम में हो तुम..
तो समझ लेना संसार के सबसे सच्चे प्रेमी हो तुम...क्या हो यैसे तुम...???
©man_ki_pati -
man_ki_pati 19w
तुम भी क्या बात करते हो....
एहतियात बरतने कि.....
हमने तो मुहब्बत भी कि हैं.....
ये जानकर कि मुहब्बत.....
मेरी अधूरी रह जानी हैं.....ये लम्हे..
ये बाते..
और..
ये तस्वीर मेरी..
तुम सहज के रख तो लोगे ना बरसो...???
मेरे जाने के बाद भी..
©man_ki_pati -
man_ki_pati 20w
स्त्री पुरुष का सम्बन्ध....
एक पुरुष और स्त्री के आपसी सम्बन्धो कि परिणीति सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती..
क्या......
स्त्री - पुरुष किसी और तरह नहीं बंध सकते आपस में..??
और बंधे ही क्यूँ....
उन्मुक्त भी तो रह सकते हैं...
समाज के बने बनाये एक ही तरह कि सदियों पुरानी सन्धान सी हैं...
कि स्त्री -पुरुष का के रिश्ते का एक ही रूप हैं...
एक स्त्री पुरुष बौद्धिकता के स्तर पर भी एक हो सकते हैं...
उपन्यास..
कहानिओ..
गज़लो..
पर भी विमर्श करना
कहानिओ कि नई पौध रोपना.
क्या देहिक सम्बन्धो कि परिभाषाए लाँघता हैं....???
एक स्त्री - पुरुष घंटो बाते कर सकते हैं..
फूलो के रंगों के बारे में..
तीतीलिओ के पंखो के बारे में...
समुन्द्र कि दूधिया किनारो के बारे में..
और..
ढलती शाम के संतरंगी आसमानो के बारे में...
इनमे तो कही भी देह कि महक नहीं..
दूर - दूर तक नहीं..
फिर दायरे वही दायरे बाँध देते हैं दोनों को..
एक स्त्री और पुरुष..
के आपसी सानिध्य कि उत्कनठा..
कि दूसरी धुरी आवश्यक तो नहीं कि दैहिक खोज ही हो...
मन के खाली कोठरो को..
सुन्दर विचारों से भरने में भी सहभागी हो सकते हैं स्त्री-पुरुष..
यूं भी तो हो सकता हैं..
उनके बिच कुछ येसा पनपने को उदवेलित हो..
जो देह से परे हो..
प्रेम कि पूर्व गढ़ित परिभाषाओ से भी अछूता हो...
नैसर्गिक अनूठापन लिए हुए..
सिर्फ सनीग्ध.. धवल एहसास हो..
अंकक्षारहित विस्तार हो..
इस तरह के रिश्ते कि ..
परिषभाषा को नवपल्लव कि तरह क्यूँ ना पनपने दे..
स्त्री -पुरुष.....स्त्री - पुरुष
©man_ki_pati -
man_ki_pati 22w
चिंता और चिता के बिच.....
जिस बिंदी का अंतर होता हैं...
उस बिंदी को उम्र भर अपनी माथे पर सजाति हैं औरतें...बिंदी.....
©man_ki_pati -
man_ki_pati 23w
यूँ बिन मौसम बरसात..
सीहरती हवाएं...
और बिखरे जर्द पत्ते..
जैसे अकारण ज़िन्दगी से अल्हदगी..
बेसुध हालत..
और टूटी हुई मैं.....
यूँ कुछ अल्फाजो के दायरे में...
मैंने लिख दिया हाल ए ज़िन्दगी को..ज़िन्दगी .....
©man_ki_pati -
man_ki_pati 25w
कोई पा जाता हैं खुशियाँ यूँ ही बस खैरात में..
शुक्रिया तक भी नहीं होता कभी उसके ज़ज़्बात में..
कोई गवां देता हैं उम्र सारी अपनी.अपनों के लिए..
उफ्फ़ तक नहीं होता हैं कभी..
उसके किसी अल्फाज़ में..
©man_ki_pati -
man_ki_pati 25w
ज़िन्दगी कि किताब में....
दर्द बेहिसाब हैं...
एक अधूरी सी कहानी...
और सब टूटे हुए ख्वाब हैं....
©man_ki_pati -
man_ki_pati 28w
साँसो के धागो में उलझी हसरतो कि डोर हैं...
जब तक चलेंगी सांसे.. तब तक ही शोर हैं....
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banarsi_babu 15w
MUJHE JUDGE KARNE WALE
Meri Chhoti chhoti galtiyo ko, too much karne wale!
Tum hote ho kaun, mujhe judge karne wale!
Meri zindagi sirf meri hai,
Mere Ishwar ne sirf mujhe bakshi hai.
Tu pahle apni jindagi to jile,
mere jindagi per hak rakhane wale.
Tum hote ho kaun mujhe, judge karne Wale!
Jism Mera hai, to kapde bhi mere honge.
Galtiya bhi meri hain, to faisley bhi mere honge.
Apna sab Kam chhod kar, mere kapdon per comment karne wale.
Tum hote ho kaun, mujhe judge karne Wale! -
banarsi_babu 14w
Nice line
"कद्र" करनी है तो "जीते जी" करें
"मरने"के बाद तो "पराए" भी रो देते हैं
आज "जिस्म" मे "जान" है तो
देखते नही हैं "लोग"
जब "रूह" निकल जाएगी तो
"कफन" हटा हटा कर देखेंगे
****किसी ने क्या खूब लिखा है***
"वक़्त" निकालकर
"बाते" कर लिया करो "अपनों से"
अगर "अपने ही" न रहेंगे
तो "वक़्त" का क्या करोगे
"गुरुर" किस बात का... "साहब"
आज "मिट्टी" के ऊपर
तो कल "मीट्टी के नीचे.
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banarsi_babu 13w
Ek time tha !
kabhi Hum unke pichhe the .
Aur aaj ka dovr kuch aur...... -
banarsi_babu 13w
Mile pyar to, kadra karna yaaro.
kismat sab par, yu meherban nahin Hoti.
If you get love, appreciate it man.
Luck is not kind to everyone. -
mamtapoet 13w
पापा की जप्पी ,
मम्मी की झिड़की,
भाई की थपकी,
रोज कोने कोने से
खुदको समेटकर लाती हूँ,
बस माथा चूमता है वो,
और बिखर जाती हूँ। -
mamtapoet 13w
रोज़ कहा करती थी उससे,
मुझे तुमसे लड़ना अच्छा नहीं लगता,
कभी तो तसल्ली से बैठ कर ,
बात कर लिया करो, मुझसे।
आज पूरे 11 दिन हो गए,
सब कुछ छोड़ कर,
मेरी तस्वीर के सामने बैठकर
बस एकटक मुझे ,देखे जा रहा है,
सुनो!बाहर पंडित जी बुला रहे है।
देखो, मैं फ़िर रूठ जाऊंगी,
बात तो आज भी नहीं कर रहे हो......
©mamtapoet -
अपने बरगद और
तालाब की पाल से गले लगकर,
कल खूब रोई,
मेरे गाँव की पगडंडी
सुना हैं वहाँ कल सड़क बनने वाली है।
अब वो अजनबी जो होने वाली है।
©mamtapoet -
smart_words 12w
ख्वाबा विच केडा पड़िया है ,
बहुत वैखे है, बहुत टूटिया है ,
©smart_words -
smart_words 12w
कसूर तो बस वक़्त का है जनाब ,
वरना दोस्त तो इकट्ठे आज भी हो
सकते है !!
©smart_words -
parle_g 12w
मुझे हवाओं से जलाओ या आग से
मैं ख़ाक हूँ ज़िया इस वीराने की
©parle_g
