घर
घर भी ज़िन्दा हो जाते हैं लोगों के भरे होने से
दीवार, छत और खंबे भी खिलखिलाने लगते हैं
झांकता है घर का भी बचपन दरारों से मानो
मिलजुल. के जब सारे गुनगुनाने लगते हैं
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mishrapooja
Teacher by profession and writer by passion..
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mishrapooja 118w
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Reflections of a Woman
She was written with love and care,
Not like a God but something like a 'Prayer'
©miss_imperfect -
इत्र
अपने इत्र की खुशबू ज़रा डिब्बी मे भेज देना मुझे
तुम नहीं, तो तुम्हारे होने का एहसास ही ज़िंदा रखेगा मुझे
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बड़े क़रीब से देखा है मैंने
रिश्तों मे पनपती नफ़रत को
लफ़्ज़ों मे प्यार घोल कर लोग
खंजर से वार करते हैं...
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मैं
मैं धूप हूँ मैं छाया हूँ
खुद का अस्तित्व हूँ मैं
नहीं कभी घबराया हूँ
मैं उठ कर गिरूँगा,
मै गिर गिर ऊठूंगा
स्वयं का बल हूँ मैं
अपने हिस्से की जंग लड़ने आया हूँ
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mishrapooja 196w
सितारा
ढूंढते फिर रहे हैं हम वो एक सितारा तेरे नाम का
जेब में रहकर जिसे किस्मत चमक जाती है
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ज़िन्दगी
ना जाने कौन सी दौड़ मे सब भागे जा रहे हैं
कुछ पल फ़ुर्सत के भी निकाल बन्दगी के लिये
एक दिन थम जानी है साँसों की जंग
कुछ सुकून दे दो इसे अपनी ज़िन्दगी के लिए
©mishrapooja -
बेवजह
बेवजह ही परेशानियां ओढ़ रखी हैं
ये समझदारी भी हरदम अच्छी नहीं होती
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Tum
ये जो थोड़ा सा तुम मुझे से रूठ जाते हो
मेरी मुहब्बत को और बढ़ाते हो
कितना भी मुकर जाओ हमे प्यार करने से
झुकी पलको से ही एतबार दिखाते हो
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परिंदों वाली ज़िन्दगी हो गयी अपनी जबसे बड़े हुए
पंखों पर अशियाना लिए आबो - दाना ढूंढते हैं...
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