कभी हाथ उठाने से पहले रेहमतें बरसा देता है,
कभी मांगने पर बी मूंह फेर लेता है।
दिल पे किसी का बस नहीं Omi
वो खुदा होकर बी अपने मन की करता है।
©Poet_of_sea
poet_of_sea
Who am I? I'm mere an alphabet in ocean of poetry Feel free to tag, would love to read
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poet_of_sea 63w
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न मोहब्बत की चाहत न नफरतों का गम
आइना बनकर जो जैसा मिले
उसे उस जैसा नज़र आए हम।
©poet_of_sea -
poet_of_sea 135w
चल रहें है दुनिया में मिलावटों के सिल्सिले
मैंने अल्फ़ाज़ों में थोड़े जज़्बात मिला भी दिए तो क्या ?
©poet_of_sea
#hindiwriters @hindiwriters
Image credits:- elfandiary©poet_of_sea
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poet_of_sea 135w
दुनियादारी के खोखले रिवाज़ों में जकड न मुझ को
के बे-मन की गई दुआ भी कबूल नहीं होती!
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इस मोहब्बत की कश्मकश में
तजुर्बा कुछ ऐसा पाया है,
कोई ज़ख्म लाया
तो किसीने आज़माया है !
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©poet_of_sea -
मुझे दिल पर कुछ इस वजह से तरस आता है
टूटा है यारों
पर उसे याद कर अब बी मुस्कुराता है
©poet_of_sea -
गुज़रता हूँ तेरी यादों की गलियों से कुछ इस तरह
जैसे बच्चा एक मेले की नुमाइशों से गुज़रता है,
न चाहते हुए बी
लौट आता हूँ हकीकत की महफ़िल में इस तरह
जैसे बच्चा खिलौने की दुकान पर दिल छोड़ आता है!
©poet_of_sea -
समुन्दर से गहरा इश्क़ मेरा
जो लफ़्ज़ों में ले आऊं
तो नदी बी ना लगे !
©poet_of_sea -
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पिता
वो पिता है,
सब सहेगा.
उफ़ न कहेगा.
सब करेगा,.
आह न भरेगा!
ख्वाब बुनेगा तुम्हारे,
अपने ख्वाब के ऊन से ..
ले जायेगा फ़लक़ पे,.
तुम्हे सितारों में बुन के..
और सदा तुम्हारे नीचे रहेगा.
वो पिता है... सब सहेगा..
©shwetalily -
vishal__ 133w
ग़ज़ल-३०
राहों से गुज़रते किसी से मिलना क्या बिछड़ना क्या
छोटी छोटी बातों पे गुस्सा होकर फ़िर बिगड़ना क्या
बहुत कमी रही सांसों की, बात बाताएँ भी तो किसे
ग़ैर होती ज़िंदगी के सात, रहना क्या पिछड़ना क्या
धुँधली परछाई ख़ुद की, अग़र आज ख़ुद ना रही तो
ख़ुद में उलझ जिस्म से, लड़ना क्या झगड़ना क्या
सिमट के रही दायरों में तो, वहीं बसेरा हो जाएँ तो
मनमर्ज़ी से दफ़न होती ज़ीस्त पर, अकड़ना क्या
बर्बाद तो यक़ अर्से से करती रही, ख़ुद-ब-ख़ुद को
फ़िर सुनी-अनसुनी बातों में, उसे ही पकड़ना क्या
बा-वास्ता रख समझौता, करेंगे भी क्या करेंगे अब
भूली-बिसरी यादों को बार बार, यहाँ रगड़ना क्या
तो कैसे हम-नफ़स, हम-दर्द, हम-राही ख़ुद के है
तलाश-ए-ख़ुद में डुबना क्या ओर जकड़ना क्या
©vishal__
२८/०१/२०२०
दो-पहर ०२:४१ -
mausiqii_ 134w
Rishtey nibhana Aasan nahin. Rishton ki dor nazuk hi sahin magar mazboot hoti hai, Par bichadne par bhi jo rishta nibhana nahin jaante, un rishton ka koi mol nahin.. Rishton mein zimmedariyan hoti hai, Jo rishtey rahe ya na rahe unn zimmedariyon ko nibhana padhta hai. Aasan hai inse bhaagna, par kab tak? Zameer aakhir sabka hota hai...
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. #life #thoughts #diaryunn haalatho ka shukriyaa
jo asli chehre dikhlate hai,
varna baaton baaton mein toh log
saath janmon k vaade kar dete hai,
aur waqt aane par,
aankhein moondh kar raasta badal lete hai.
© Sharwari -
t_maahi 134w
उसे याद नहीं था शायद,
वो दरवाज़ा खुला छोड़ आई है।
माँ ख़ुदकुश़ी से पहले,
बच्चों पर दुआ छोड़ आई है।
कर के बच्चों को रब के हवाले,
इक माँ उन्हे तन्हा छोड़ आई है।
नहीं इज़्ज़त कोई घर में,
इसलिए वो घर छोड़ आई है।
हज़ार ख्वाब थे मगर,
आज वो सारे भरम छोड़ आई है।
न रहेगी अब वो उस घर में,
उदास,अकेला सफ़र छोड़ आई है।
उसे ख़्याल भी कुछ नहीं कि,
अपनी डालों का श़जर छोड़ आई है।
क्या हासिल हुआ ये गुनाह करके,
ज़मीं पर ही सारे अजर छोड़ आई है।।
©t_maahi -
दर्द तब भी होता था,
दर्द अब भी होता है,
क्या करें!
यह इंसान सीरत से ज़्यादा सूरत को चुनता है।
©siyahiii -
बे-हाल-ए-दर्द-ए-दिल, आख़िर हुआ क्या है
क्यों ख़ौफ़ में हो, यहाँ ज़ाहिर हुआ क्या है
यक़ अर्सा-ए-तन्हाई, ख़ामोश रह गुज़ारा क्यों
ग़र दफ़न राज़ किए तो, फ़िर हुआ क्या है
हम-नफ़स-ओ-हम-दर्द, छोड़ गया राहों को
हावी होकर मुस्तक़िल पे, तासीर हुआ क्या है
©vishal__ -
rangkarmi_anuj 134w
सवाल
तू सवाल कर गया
मैं सवाल बन गया
तेरा चुभता हुआ सवाल
मुझे घायल कर गया
मैं बस सन्न रहा
जवाब से खाली रहा
मैंने सवाल कर दिया
तूने सवाल टाल दिया
बेमतलब लगा मेरा सवाल
मुझे बुरा बना गया
मैं बस सोचता रहा
सवाल पर सोचता रहा
बात को बदल दिया
सबकुछ बेकार कह दिया
फ़िज़ूल हैं सारे सवाल
मुझे फरेबी कह दिया
मैं बस देखता रहा
चुपचाप बैठकर सुनता रहा
अंदर शोर हो गया
बाहर मौन हो गया
जूझ रहा मेरा सवाल
क्यों ये हो गया
रात भर बैठा रहा
सवाल सवाल रटता रहा
©rangkarmi_anuj -
befikre 134w
Nahi kar sakta y jivan kisi ke naam mai
Y jindgi bhi meri maa ka karj hai mujhper
©befikre -
abhilashagupta24 134w
उस ज़ालिम के लिए फना है हम,
उसके बिना भरी महफिल में भी तन्हा है हम।
-अभिलाषा
©abhilashagupta24 -
vandanachitkara 134w
अभी अभी तुम मन से गुज़रे
और मैंने तकिये को ज़ोर से पकड़ लिया
©Vandana Chitkara
