खुद की ख़ामोशी से अपने ही मन के फैले
अँधेरे में मैं अब भटकने लगा हुँ !!
पहले लिख कर बया तो कर लेता था
मैं दर्द मेरा,मगर अब तो मेरे शब्दो को
भी मै खटकने लगा हुँ !!
संभाला हुआ था अब तक मुझे जिन
शब्दो ने,जो दर्द बाँट लेते थे मेरा,
पता नहीं क्यु अब मैं उसी दर्द का सिर्फ
सोचने भर से ही डरने लगा हुँ !!
-
cvats305 17w