Poem
आज के प्यार ने,
इश़क तो देखा ही नहीं।
मोबाइल की चैट से हट कर,
कभी खत लिखकर देखा ही नहीं।
सुनहरे नजरों के साथ,
कभी नरम धूप साथ में सेंकी ही नहीं।
इज़हार-ए- मोहब्बत की जल्द में,
खो न जाने के डर से झुपकर कभी देखा ही नहीं।
©riyalingwal