झूठा फ़साना
बेशक ये डर ही है, जो मुझे हमेशा एक बंद किताब बनाए रखता है, वो भी सख़्त जिल्द वाली, क्या कहते हो तुम, अपनी भाषा में? जी हां, हार्ड कवर, नॉट पेपर बैक। जिसे एक पारदर्शी अलमारी में सजाया गया है। तुम देख सकते हो, और अनुमान लगा सकते हो। लेकिन सिर्फ वही जो मैंने चाहा है, दिखाना। हकीकत से रूबरू हो पाओ तुम, कि पन्ना दर पन्ना पड़ लो, इतना बड़ा कमिटमेंट, नहीं कर पाऊंगी मैं!
पर ठीक भी है, मेरे आईने से देखो तो। मैं क्यों करूं कोई वायदा तुमसे? हो कौन तुम? बस क्योंकि तुम्हें पता है, मैं मरती हूं हिंदी पिक्चरों पर, तो तुम्हें अपना दोस्त बना लूं, और कसमें खां लूं, तेरा जैसा यार कहां? या तुम वो हो, जो जान गए हो, मैं लिखती हूं, प्रेम से लैस कहानियां, और गुनगुनाती हूं, "मेरे ख्वाबों में जो आए", और इसीलिए अब मुझे तुम्हारे भेजे हुए हर वीडियो को सबसे पहले देखना चाहिए?
एक मिनट रुको, कहीं तुम वो तो नहीं, जो जान गए हो कि मैं रोती भी हूं, और तुम्हें अब मिल गया है हक़, मेरी दुनिया बनने का? नहीं। तुम उतने ज़रूरी नहीं हो। तुम्हें शायद पता ना हो, लेकिन तुम भी कमिटमेंट से बचते हो, जैसे इतने लंबे लेख को तुम नहीं पढ़ोगे, मैं जानती हूं, और सिर्फ़ इसीलिए मैं इसमें एक एक लाइन बड़ाती जा रही हूं।
मैं सिर्फ़ अपने आप से कमिटेड हूं, और किसी से नहीं। किसी और के वक्त के हिसाब से मैं अपना समय नहीं बांट सकती। क्योंकि तुम अब खाली हो तो मैं बात नहीं कर सकती। मैं अपने आप की सबसे पहली प्रायोरिटी हूं, तो किसी और की दूसरी नहीं बन पाऊंगी। मेरे लिए सबसे पहले मैं हूं, फिर कोई और। तो जब मैंने तुम्हें प्रेम दिया, तो वो भी मेरे लिए था। और जब मैंने तुम्हें दूर किया तो वो भी मेरे लिए ही है। तुम कह सकते हो कि मैं स्वार्थी हूं। पर मैं अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किसी का इस्तेमाल करना नहीं जानती। ना ही किसी को आहत करती हूं। मैं बस, प्रेम से मेहनत करना जानती हूं।
और जानती हूं तो केवल वायदे निभाना। ता–उम्र!
(अब ये फ़साना पूरा जो हुआ है,
इस कमबख्त दिल ने फ़िर याद तुम्हें ही किया है!)
©tortoise
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tortoise 22w
My frnd like it too much