ज़िन्दगी, तेरे क़दमों में अपनी लाश रख दूँ क्या??
मौत ज़िन्दगी माँग रही है, तेरे पास रख दूँ क्या??
तूने लबों पर अपने पूरा समंदर बिठा रखा है
अग़र कहे तो लबों पे तेरे अपनी प्यास रख दूँ क्या?
ये पाग़ल लोग मुझको बड़ा शरीफ़ समझ रहे हैं
सोच रहा हूँ, मैं ख़ुद को अय्याश कर दूँ क्या??
घरवाले मुझसे तरक्क़ी की उम्मीद लगाए बैठे हैं
तुझे अपना बना कर, सबको निराश कर दूँ क्या??
हाय रे ! फ़िर से तन्हाई मुझको गले लगा रही है
तुम्हारा नाम लेकर इसको उदास कर दूँ क्या??
©rudramm
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rudramm 9w