रफ्ता-रफ्ता
रफ्ता-रफ्ता यूँ भूले जा रहा कोई
हर शाम उदास किए जा रहा कोई
शफक की लालिमा छाने सी लगी है
सितारों का मजमा सज़ा रहा कोई
चाँद बादलों मे छुपता तो कभी निकलता
दिल चाँदनी का क्यूँ जला रहा कोई
तेरी यादों की जुगनुओं से चमकता था जो
बियाबान सा शजर नज़र आ रहा कोई
बागबाँ तिरे गुलिस्ताँ मे हवा कुछ ऐसी चली
बहारों मे मौसम-ए-खिजा़ दिखा रहा कोई
Suchita @succhiii
-
succhiii 174w
बागबाँ - माली
शजर -पेड़
खिजा़-पतझड़
शफक -सूर्यास्त की लालिमा
#hindiwriters #hindilekhan @panchdoot @hindikavsangam @mirakeeworld @soulwriter