ठहरने लगे हैं लम्हे,मगर लब्ज़ अब गुनगुनाते नहीं।
कलम से निकल पन्नों संग नई कोई धुन सुनाते नहीं।
टूट टूट कर बीते लम्हें जीने वाले ये शब्द,
नई कहानियों पर एतबार जताते नहीं।
©poetry__for__soul
ठहरने लगे हैं लम्हे,मगर लब्ज़ अब गुनगुनाते नहीं।
कलम से निकल पन्नों संग नई कोई धुन सुनाते नहीं।
टूट टूट कर बीते लम्हें जीने वाले ये शब्द,
नई कहानियों पर एतबार जताते नहीं।
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