चुपचाप जरूर हूं ,पर तन्हा नहीं ,
बिखरा जरूर हूं , पर टूटा नहीं !
आलम कुछ यूं चढ़ा है इश्क का सर पर ,
तेरी कस्में कबूल हैं , पर झूठे वादे नहीं !
©guftgu
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guftgu 8w
चुपचाप जरूर हूं ,पर तन्हा नहीं ,
बिखरा जरूर हूं , पर टूटा नहीं !
आलम कुछ यूं चढ़ा है इश्क का सर पर ,
तेरी कस्में कबूल हैं , पर झूठे वादे नहीं !
©guftgu