माँ
क्या से क्या हो गया मैं माँ!
आबाद होने निकला था घर से
कितना बर्बाद हो गया न माँ!
पास आकर बस गले लगा लो मुझे,
आँचल में अपने फिर से छुपा लो न माँ!
कब से तो भाग रहा हूँ मैं उलझन में,
थोड़ी देर गोद मे सुला लो न माँ!
चिल्ला चिल्ला कर कह दी तकलीफें बाजार में,
बस तुम आंखों को पढ़कर सब सुलझा दो न माँ!
अकेले,अब ये चाँद भी गिन नही पाता हूँ मैं,
तुम तो इन तारो को गिनवा देती थी न माँ!
सुबह की बटर ब्रेड से ऊब गया हूँ मैं,
रात की रोटी में चिन्नी लगा कर खिला दो न माँ!
बस जल्दी आकर गले लगा लो न माँ,
बिना सुने कुछ मेरा हाल बता दो माँ!
आँचल में अपने छुपा लो न माँ,
गोद मे अपने सुला लो न माँ!
©anxious_soul
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