वो शख्स
आंखों में नींद है उसके,
माथे पे सिलवटें हैं,
न जाने कितनी गहरी सोच में है वो शख्स....
(वो आशिक़ या महबूब नहीं, घर का सहारा है!)
©lafzon_ki_riwayat