रिश्तों की तुरपाई, ज़ख्मो की सिलाई
क्या ख़ूब करने लगी हूँ मैं
बिन बहाए आँसू, बिन लिए सिसकियाँ
सबकुछ सहने लगी हूँ मैं
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अब तो माँ की नज़रों में भी
बड़ी हो गई हूँ मैं.....
©alkatripathi
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alkatripathi 37w
महोदय.. रिश्तो की तुरपाई और जख्मों की सिलाई
कि जगह रिश्तो को प्यार और शिद्दत से निभाया जाए
साथ हीं जख्मों पर संयम छाप मलहम लगाया जाए...!!
g.m.cute Sarkar g