क्यों इस लम्हे में,
है इतना सुकून।
क्यों है मुझमे अब,
इतना सा जुनून।
हुकुम सी है अब,
तालीम तेरी!
क्यों लफ़्ज़ों की जगह,
अब उगले है खून।
है तकलीफ भी,
ये कमाल की।
कि तू शक्ल ही नहीं
अब सवाल भी है।
तू खुद को दोष
देता है क्यों?
गलती तेरी थी या मेरी
अब ये कोई सवाल ही नहीं!
खामोश सी रहें और,
ख्वाहिश सी ये जिंदगी है!
अब मैं तेरी या तू मेरा,
ऐसा कोई बवाल नहीं है!
©riyalingwal
Do you want to become a co author??