कितना दरिया बहाया तेरे नाम पे
कितनी बार कोशिश की कैद होने के लिएं
दस्तक भी काई बार दि तेरे चौखट पे
अपना सब कुछ खो कर, मेरे पास लौट आए हो ना
भले ही तुम्हारे सामने मुस्कुरा लेति हूँ मैं
काश तुम समझ जाति मेरी आंखें में नमी क्यूं है
खैर, तुम्हें ये भी हर बार समझाना पड़ता है की मुहब्बत है तुमसे
ये किस्सा तमाम कर दो ना
इनका अंजाम बता दो कोइ
©leena_afsha_ishrot
क्या बात क्या बात वाह