उड़ने वाला पंछी जब पिंजरे मे रहता है.
घुटता है अंदर दम हर रोज़ यही कहता है.
निकलेगा दिन बीतेगा रात कभी तो hogi पंछियों से mulakat....
बस इसी आस मे वो जुदाई का दर्द सहता है.
©tanish_ji
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