ख़त्म हुई कहानी अब घर जाने का सोचो
जी लिए ज़िन्दगानी, अब मर जाने का सोचो
बहोत हुआ आवारापन बहोत हुई बदमाशी
कुछ ख़्याल करो, अब सुधर जाने का सोचो
ऐसे कब तलक यूँ खौफ़ में जीते रहेंगे हम
वक़्त आ गया है, कुछ कर जाने का सोचो
ऐसे कैसे पूरी होगी गुलशन की मन्नत सोचो
लाज़िम है ख़ुश्बू के जैसे बिख़र जाने का सोचो
आपने बड़ी देर कर दी मेरी जान आते आते
अब तो किसी एक जगह ठहर जाने का सोचो
©rudramm
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