फिर बारिश आयी
बरसात और तुम दोनों एक ही कश्ती के मुसाफिर थे
या तो न आना ही फितरत थी या
मुझे सताने में दोनों ही माहिर थे, तुम और बरसात दोनों एक ही कश्ती के मुसाफिर थे।।
वो मुहब्बत वो उल्फत ये बात है उन दिनों की
कुछ हुआ या होते होते रह गया
एहसासों को दबाने में दोनों ही माहिर थे,तुम और बरसात.....
तुमने मांगे न होते अगर वो तोहफे सारे
चैट के दौर में भेजे वो सब खत तुम्हारे
एहसासों की नमी जो खत पे थी
तुम्हारे शब्द जो एहसास थे उन दिनों के
वो तसवीरें जो आज भी यूही सलामत रखी है मैंने
लौटा तो न पाऊंगा ये मेरे जीने के सहारे
तुम और बरसात लगता है दोनों एक ही ...faza
©vickyprashant_srivastava
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vickyprashant_srivastava 65w
Bahut दिनों कुछ लिखा है आज mirakee पे।
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