बेटी
क्यों वो नन्ही सी जान
एक बोझ थी
क्यों उसकी किस्मत
अपनों ने ही खरोच दी
हां वो भी तो सोचती
काश कुछ मै कर सकती
आगे पढ़ सकती
क्यों उस पर ही
बरती गई सख्ती
वो बन गई पंख बिन पंक्षी
जो अब उड़ान की सिर्फ देख सकती है ख्वाब
कैसे प्राप्त करेगी अपना मुकाम
सोच जब होगा तेरे पापों का हिसाब
क्या देगा तू जवाब
क्यों तूने अपनी जिम्मेदारी तले दबोच दिए बेटी के ख्वाब
©shailesh__pathak