वियोग
प्राणप्रिया है चारु हासिनी
मधुर भाषिणी मृग नयनी
शो गई क्यों तज तेरे प्रियतम
जी सकता क्या बिना तेरे नाम ।।
तेरी रूप रस छंद
भर देती हृदय आल्हाद
खान पान आचार विचार
सब सून प्रियतमा बिन तेरे ।।
©rnsharma65
Dt. 09/03/2021