मैं कहां?
मैं कहां तुम सी मधुर हूं?
घोर कलियुग,सत्य स्वर हूं!!
दृश्य जो अब देखती हूं!
तो ये मन में सोचती हूं!!
मधु भी फीका वार्ता से!
लक्ष्यप्रेरित जो रही है!!
मेरे हिय की प्रीति तो!
स्पष्टता मेरी रही है!!
मैं न तुम सी प्रिय रहूंगी!!
किंतु छल मैं ना सहूंगी!
मैं कहां तुम सी मधुर हूं?
घोर कलियुग सत्य स्वर हूं!!
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maakinidhi 18w