अब ख़ामोश ही रहता हूँ मैं आजकल ज़माने में
किसी को दिलचस्पी नहीं कुछ सुनने सुनाने में
जाने कल कौन किस बात पर रुसवा हो जाएगा
उम्र गुज़र जाएगी फिर रूठे हुए को मनाने में
- हिमांशु श्रीवास्तव
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