जब आसपास कोई नहीं होता,
तब एकांत में खुद से मिलती हूँ मैं!
बहुत कर लिया दूसरों से दोस्ती,
अब ज़रा खुद की दोस्त बन जाऊं मैं!
जब ज़रूरत पड़ेगी मुझे किसी की,
तब खुद के साथ खड़ी रहूंगी मैं!
राह बताने वाले तो हजार मिलेंगे,
पर अपनी मंजिल खुद तय करूंगी मैं!
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