अर्धांगिनी
पहली किरण संग पायल छम-छम
उसकी चमक से आंगन चम-चम
हाथों में मधुर चाय की प्याली
"उठिए ना" होठों से ध्वनि निराली
शांत सरल मुख पर मुस्कान
सर्वस्व अपना कर देती कुर्बान
काम-काजी या हो वो घरेलू नारी
गृहलक्ष्मी है हर हाल में सब पे भारी
तन कोमल, मन दृढ़़ बड़ा है
पराया घर अब अपना बना है
वो खड़ी हर हाल में संग-संग
सुख हो दुःख हो या संघर्ष बड़ा है
रखती है सबका वो ध्यान
सहनशीलता की है वो प्रमाण
वो पत्नी है, वो भार्या है
वो प्राणप्रिया, वधु, वामा है
तुम मानों चाहे बात ना मानों
वो आधा अंग तुम्हारा है
वो पतिव्रता पावन नारी
तुम्हारे हर काम में साझा है
©saloniiiii
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saloniiiii 25w
मैं तेरी अर्धांगिनी,
तेरे हर काम में साझा हूँ ॥
बात समझलो प्राणप्रिय
मैं गृहमंत्री, मैं ही स्वामी हूँ ॥
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