बाल सौंदर्य
ऐ बहती शीतल मारुत सुन....
मन उड़ता पंक्षी
एहसास दीवानी तितली सी
धड़कन संगीत-मधुर मेरे
छू कर मुझको तूं भी सपने बुन.....
खिलखिलाहट से उर-हर्ष भरे
नयनों में प्रीत-समंदर लहरे
शब्द सुखद निर्झर से
ऐ ठहरे अम्बु स्वर भर ले
पल-पल में कलकल की धुन.....
अलक निराले अविरल से
लहराते बलखाते मुखमंडल पे
कुछ अविरत कुछ अल्हड़ से
मानो प्रेम परस्पर पल्लवित हुए
ऐ वारिद तूं भी अपनी अवनि चुन...
होंठ-पंखुड़ी खुलते शोभित अभिमत ले
दौड़े मधुकर सुमन छटा समझ कर के
धरती-अम्बर मंजुल मंजुल
ऐ तरुवर कोमल किसलय धर ले
वन- उपवन में अब तूं भी खिल जा रे प्रसून...
रूप निराली छटा बिखेरे
चहके घर, आंगन में हो जो मेरे स्वर
सविता की सुनहरी रश्मि, चंदा की मधु-चांदनी
सब पलपल मुझमें सिमटे
माँ तूं ममता भर ले, लोरी कर गुनगुन......
---श्याम
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