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तुम ज़िन्दगी को जिओ,
उस से जूझने की कोशिश क्यों करते हो।
चलते वक़्त के साथ तुम भी चलो,
'आगे क्या होगा', उसकी फ़िक्र क्यों करते हो।
तुम पंख फैला कर ऊँची उड़ान भरो,
अपने आप मे घुटन महसूस क्यों करते हो।
अपने सपनो को पूरा करो,
'लोग क्या कहेंगे'की चिंता क्यों करते हो।
अपने आप से क्यों उलझते हो,
जो सुकून ना दे उसकी तमन्ना ही क्यों करते हो,
कुछ चीज खुदा पर भी छोड़ दो
सब मुश्किलों से खुद ही क्यों उलझते हो।
©shristi_dubey
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shristi_dubey 49w
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मां कर्म फल है तुर्भू माते संघोस्त करमणि ।।