ज़िन्दगी का सफर
तो आखिर शायद वो वक्त आ ही गया जो शायद मैं सिर्फ अपने ख्वाबों में सोचा करता था। मोहब्बत को अगर मंज़िल मिल जाए तो मेरे दोस्त वो शायद मोहब्बत ही नहीं, मुश्किल से इस सफर को और मुश्किल बनाने में एक और पढ़ाव जुड़ गया। ये वो लड़की थी जिससे शायद मैने बेइंतेहा मोहब्बत करी लेकिन फिर भी ना पा सका, लेकिन आगे उसके बेहतर भविष्य और मेरे से बेहतर साथी की कामना ज़रूर करूंगा।
©ritik_sharma
-
ritik_sharma 78w