कागज़ की कश्ती, मैं दूर तक बहाने चली
बेगानों से, मैं दिल का रिश्ता निभाने चली
की चरागो में दम हो तो जलेंगी हवा में भी
समझ कर हवा, मैं तूफ़ानों से टकराने चली
©alkatripathi79
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