बि खरना
पतझड़ में पत्तों को बि खरते देखा
सावन में बूंदों को बरसते देखा
आंधियां बदल को के उडी
पर राह में पड़ा एक वृद्ध वहीं का वहीं रह गया
उसको देखने वाला कोई नहीं था
-
shashipandey 78w